अमेरिकी और भारत के बीच ट्रेड डील की चर्चा काफी समय से हो रही है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता होने वाला है और यह चीन की तरह ही एक बहुत बड़ी डील होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन के बाद अब भारत की बारी है. 26 जून को वाशिंगटन डीसी में एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कि अमेरिका ने ने अभी चीन के साथ एक समझौता किया है. भारत के साथ भी एक बहुत बड़ा समझौता होने जा रहा है.
हालांकि, उन्होंने इस समझौते में क्या कुछ और होगा और दोनों देशों के बीच इस मसले पर बातचीत कहां तक पहुंची है, इसकी कोई जानकारी नहीं दी. वहीं, भारत अमेरिका को स्पष्ट कर चुका है कि वह समझौता तभी करेगा जब डील दोनों ही देशों के लिए फायदेमंद होगी
ट्रंप ने किया बड़ा इशारा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं. चीन के साथ भी हम ऐसा कर रहे हैं. ये वे चीजें हैं जो पहले कभी संभव नहीं थीं. इस बयान से साफ है कि अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को नई दिशा देने की मंशा रखता है.
आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) में हो रहे बड़े बदलावों के बीच अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारियों को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है. ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका हर देश से व्यापार नहीं करेगा. कुछ देशों को हम सिर्फ एक पत्र भेजेंगे और कहेंगे—धन्यवाद—but now you have to pay 25, 35 या 45 प्रतिशत शुल्क, उन्होंने स्पष्ट किया.
आखिरी पड़ाव पर ट्रेड डील
ट्रंप के इस बयान से पहले, अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने भी संकेत दिया था कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अब ज़्यादा दूर नहीं है. USISPF (यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम) में उन्होंने कहा था कि दोनों देशों ने कई मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण बना लिया है और एक संतुलित और व्यावहारिक समझौता जल्द हो सकता है.
भारत की ओर से भी यह बात सामने आई है कि इस दिशा में काम हो रहा है. 10 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि हम ऐसा समझौता करना चाहते हैं जो भारत और अमेरिका दोनों के लिए लाभकारी हो, निष्पक्ष हो और संतुलन बनाए रखे.
भारत नहीं करेगा जल्दबाजी
हालांकि अमेरिका जहां इस डील को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना चाहता है, वहीं भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर जल्दबाज़ी नहीं करेगा. भारत ने अपने हितों को प्राथमिकता देते हुए 26% टैरिफ के संभावित खतरे के बावजूद झुकने से इनकार किया है. यह टैरिफ डेडलाइन 9 जुलाई को खत्म हो रही है, और अमेरिका की ओर से दबाव भी तेज होता जा रहा है.
फिलहाल भारत विन-विन यानी दोनों पक्षों के लिए लाभदायक समझौते की बात कर रहा है. अमेरिका भारत से कृषि और खाद्य क्षेत्र को खोलने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है. अमेरिका चाहता है कि यह समझौता सिर्फ कृषि तक सीमित न रहे, बल्कि इसमें सरकारी खरीद, बौद्धिक संपदा अधिकार, सीमा शुल्क, और डिजिटल व्यापार जैसे अहम मुद्दे भी शामिल हों.
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