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ईरान का परमाणु संयंत्र तबाह करने वाला B-2 बॉम्बर, 45 साल पहले इसलिए आया था वजूद में…

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Jul 1, 2025    1508275 views     Online Now 267

अमेरिका का B-2 बॉम्बर इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला करने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि ऐसा सिर्फ अमेरिका के विमान ही कर सकते हैं और दुनिया में ऐसा मिशन कोई और सेना अंजाम नहीं दे सकती. आज इसी बात को जानेंगे कि आखिर अमेरिका को B-2 बॉम्बर की जरूरत कब महसूस हुई थी, इसको बनाने का काम कब शुरू किया गया, ये कैसे वजूद में आया और इसकी लागत कितनी है.

1970 और 1980 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु हथियारों की होड़ तेज थी. अमेरिका को डर था कि सोवियत रूस ने एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर लिए है, जो उसके जहाजों के हमलों को न सिर्फ रोकेगा, बल्कि उनके विमानों को नेस्तनाबूद कर देंगे. यह वहीं समय था जब अमेरिका को एक ऐसे बमवर्षक की जरूरत थी जो ‘दुश्मन’ में बिना पकड़ में आए घुसे और परमाणु या पारंपरिक हथियार तबाह कर सके.

कैसे वजूद में आया B-2 बॉम्बर?

अब अमेरिका ने ‘Stealth’ तकनीक पर गुप्त रूप से काम करना शुरू किया, जिससे विमान रडार पर दिखाई नहीं दे. लॉकहीड ने F-117 Nighthawk बनाया, लेकिन वह केवल छोटा हमला कर सकता था. बाद में नॉर्थओप ग्रुमैन को एक बड़ा, ज्यादा दूरी तक उड़ने वाला स्टील्थ बॉम्बर बनाने की जिम्मेदारी दी गई. इसी के साथ 1979 में प्रोजेक्ट शुरू हुआ. इसे ‘Advanced Technology Bomber (ATB)’ नाम दिया गया. इसका डिजाइन बहुत अनोखा था. इसमें न तो पूंछ थी और न ही सीधे पंख थे. मकसद था रडार इस प्लेन को , इंफ्रारेड, ध्वनि और दृष्टिगत पहचान से बचना.

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करीब 10 साल बाद, नाम रखा गया B-2 Spirit

स्पिरिट यानी आत्मा, जिसका किसी को पता न चलता कब शरीर के अंदर आए और कब बाहर चली जाए. ऐसा ही ये बॉम्बर विमान था. 1988 में इसे सार्वजनिक रूप से पेश किया गया, लेकिन इसकी कई विशेषताएं अभी भी गुप्त रखी गईं. 17 जुलाई 1989 को B-2 Spirit ने पहली उड़ान भरी थी.

कितनी कीमत है एक बॉम्बर की?

एक B-2 की कीमत 2 बिलियन डॉलर (लगभग 16,000 करोड़ रुपये) तक बताई जा रही है. अमेरिका ने ऐसे अब तक सिर्फ 21 विमान ही बनाए गए हैं, जिसमें से एक टेस्टिंग के दौरान नष्ट हो गया था. अमेरिका अब तक इसका इस्तेमाल कोसोवो युद्ध, अफगानिस्तान (2001) और इराक युद्ध (2003) में कर चुका है. अब इसी से ईरान पर हमला कर उसके परमाणु सयंत्र को बर्बाद करने का दावा किया गया है.

इसकी अधिकतम रफ्तार लगभग 1,010 किलोमीटर प्रति घंटा है और रेंज 11,000+ km (बिना refueling) की है. हथियार क्षमता की बात करें तो परमाणु और पारंपरिक बम दोनों के लिए उपयुक्त है. इसे एक समय पर 2 पायलट और मिशन कमांडर बैठते हैं.

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