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Success Story: दादा थे चंबल के डाकू, पोते ने UPSC में गाड़ा झंडा, पढ़ें देव प्रभाकर तोमर की सफलता की कहानी

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Apr 24, 2025    150811 views     Online Now 484
Success Story: दादा थे चंबल के डाकू, पोते ने UPSC में गाड़ा झंडा, पढ़ें देव प्रभाकर तोमर की सफलता की कहानी

देव प्रभाकर तोमर की सफलता की कहानी

यूपीएससी परीक्षा में इस बार कुल 1009 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. उत्तर प्रदेश की रहने वाली शक्ति दुबे टॉपर बनी हैं. इस बार कई ऐसे अभ्यर्थियों ने यूपीएससी में सफलता हासिल की है, जिनमें से कोई भेड़पालक समुदाय से आता है तो किसी के पिता पुलिस जीप चलाते हैं तो किसी के पिता साइकिल पंक्चर बनाते हैं. सफल अभ्यर्थियों की इस लिस्ट में एक ऐसा कैंडिडेट भी शामिल है, जिसके दादा के नाम से कभी चंबल थर्राता था, लेकिन पोते ने यूपीएससी में झंडा गाड़ दिया है. इस कैंडिडेट का नाम देव प्रभाकर तोमर है.

देव प्रभाकर ने यूपीएससी 2024 में 629वीं रैंक हासिल की है. वह मूल रूप से ग्वालियर चंबल के मुरैना जिले के एक गांव के रहने वाले हैं. एक जमाना था जब उनके दादा की चंबल इलाके में तूती बोलती थी. दरअसल, उनके दादा रामगोविंद सिंह तोमर कुख्यात डाकू थे, लेकिन अपने दादा की डकैत छवि को पीछे छोड़ते हुए देव ने अपने पिता के संस्कार को अपनाया. उनके पिता बलवीर तोमर शिक्षक रहे हैं. उन्होंने अपने पिता से ही लक्ष्य को पाने के संस्कार हासिल किए हैं और देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी में सफलता हासिल की है.

अंतिम प्रयास में मिली सफलता

देव प्रभाकर की सफलता का ये सफर इतना आसान नहीं था. उन्होंने अपने 6वें यानी अंतिम प्रयास में सफलता हासिल की है. इससे पहले वह तीन बार इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया था. दिलचस्प बात तो ये है कि वह पहले लाखों के पैकेज वाली नौकरी करते थे. साल 2019 में उन्होंने नीदरलैंड में फिलिप्स कंपनी में जॉब हासिल की थी. उन्हें 88 लाख का सालाना पैकेज मिलता था यानी करीब 7.33 लाख महीना, लेकिन इसके बावजूद अपने परिवार वालों को मना करने के बाद भी देव ने महज डेढ़ साल में ही अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी में जुट गए.

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3 बार मेंस किया था क्लियर

देव ने यूपीएससी की तैयारी में दिन-रात एक कर दिया. उन्होंने खूब मेहनत की और तीन बार मेंस परीक्षा भी क्लियर कर ली, लेकिन इंटरव्यू में उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया. इससे वह टूटे नहीं बल्कि लगातार तैयारी में जुटे रहे और आखिरकार अपने छठे प्रयास में उन्होंने 629वीं रैंक के साथ सफलता हासिल कर ही ली. उनकी इस सफलता पर उनकी मां पुष्पा फूली नहीं समा रही हैं. वहीं उनके पिता बलवीर तोमर का सिर भी गर्व से ऊंचा हो गया है.

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