उत्तराखंड में यूसीसी लागू
आज, 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code लागू हो गया है. इस ऐतिहासिक कदम से उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में इसका औपचारिक ऐलान किया. इस दौरान UCC से जुड़ी नियमावली और एक विशेष पोर्टल का लोकार्पण भी किया गया जो बाद में जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा. आइए जानते हैं कि यूसीसी की वजह से उत्तराखंड में क्या क्या बदल जाएगा?
क्या है समान नागरिक संहिता?
हर देश में कानूनों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है—आपराधिक और सिविल. आपराधिक कानून चोरी, हत्या, या हिंसा जैसे मामलों पर लागू होता है. इसमें सभी धर्म और समुदायों के लिए समान नियम और सजा होती है. सिविल कानून शादी, तलाक, संपत्ति विवाद जैसे निजी मामलों में लागू होता है. यह रीति-रिवाज और परंपराओं पर आधारित होता है.
भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ मौजूद हैं. मसलन, हिंदुओं के लिए शादी और तलाक के नियम हिंदू मैरिज एक्ट के तहत आते हैं, जबकि मुस्लिमों के लिए ये मुस्लिम पर्सनल लॉ पर आधारित हैं. इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग कानून हैं. समान नागरिक संहिता के जरिए सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक और संपत्ति से जुड़े मामलों में समानता लाने का प्रयास किया गया है.
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शादी की कानूनी उम्र: अब सभी धर्मों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल होगी. मुस्लिम कानून में अब तक अलग व्यवस्था थी. साथ ही, शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा.
तलाक के समान नियम: अलग-अलग धर्मों में तलाक की प्रक्रिया और आधार अलग अलग थे. जैसे, हिंदू धर्म में 6 महीने का अलगाव जरूरी होता है, जबकि ईसाई समुदाय में यह अवधि 2 साल है. UCC के तहत अब तलाक के नियम और प्रक्रियाएं एक समान होंगी.
बहुविवाह और हलाला का अंत: मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह और हलाला की प्रथा अब समाप्त हो जाएगी. दूसरी शादी की अनुमति तभी होगी, जब पहली पत्नी से तलाक हो चुका हो या वह नहीं रही हो.
संपत्ति और उत्तराधिकार: अब सभी धर्मों में बेटियों को माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा. वर्तमान में यह प्रावधान केवल हिंदू लड़कियों के लिए था.
गोद लेने का अधिकार: पहले मुस्लिम महिलाएं बच्चों को गोद नहीं ले सकती थीं. UCC के लागू होने के बाद, सभी धर्मों की महिलाओं को गोद लेने का समान अधिकार मिलेगा.
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी नए नियम
लिव-इन रिलेशनशिप पर भी खास प्रावधान बनाए गए हैं. ये सभी लोगों पर लागू होंगे, भले ही वो उत्तराखंड का निवासी हो या न हो. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए दोनों को बालिग होना जरूरी है और उनके बीच खून का रिश्ता या पारिवारिक संबंध नहीं होना चाहिए.
अगर लिव इन में रहते हुए बच्चा होता है, तो उसे वैध माना जाएगा. लिव-इन रिश्ता खत्म होने पर महिला भरण-पोषण और गुजारा भत्ता का दावा कर सकेगी. अगर किसी ने एक महीने के भीतर लिव-इन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया, तो उसे 3 महीने की जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है. गलत जानकारी देने पर जुर्माना बढ़कर 25 हजार रुपये तक हो सकता है.
सैनिकों के लिए भी खास प्रावधान
UCC में सेना के जवानों के लिए वसीयत को लेकर अलग नियम बनाए गए हैं. वे हाथ से लिखकर या मौखिक निर्देश देकर भी वसीयत कर सकते हैं. इसे दो गवाहों के सामने सत्यापित करना होगा. हालांकि, ये साबित होना चाहिए कि वसीयत के दस्तावेज सैनिक ने ही लिखे थे. उत्तराखंड की कुछ अनुसूचित जनजातियां, जिन्हें संविधान के भाग 21 के तहत संरक्षण प्राप्त है, UCC से छूट दी गई है. ये जनजातियां राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 3% हैं.
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