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पुतिन के बुरे दिन शुरू! जिससे लगता है डर वही संभालेगा जेलेंस्की की सेना

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Apr 17, 2025    150814 views     Online Now 393
पुतिन के बुरे दिन शुरू! जिससे लगता है डर वही संभालेगा जेलेंस्की की सेना

पुतिन के बुरे दिन शुरू! जिससे लगता है डर वही संभालेगा जेलेंस्‍की की सेना

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यूक्रेन की जंग में सबसे बड़ी चुनौती अगर किसी से मानी जा रही है, तो वह हैं डेनिस रेडिस प्रोकोपेंको. यह वही नाम है, जो कभी मारियुपोल के अजोवस्टाल स्टील प्लांट में रूस के खिलाफ आखिरी सांस तक डटा रहा. अब यूक्रेन ने प्रोकोपेंको को और भी बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है. अजोव ब्रिगेड के इस चर्चित कमांडर को अब यूक्रेनी नेशनल गार्ड की पांच ब्रिगेडों की कमान सौंपी गई है.

नेशनल गार्ड के कमांडर जनरल अलेक्जेंडर पिवनेनको ने पुष्टि की है कि प्रोकोपेंको एक नए कोर की अगुआई करेंगे, जिसमें अजोव सहित चार अन्य ब्रिगेड शामिल होंगी. साल 2014 में पश्चिमी समर्थन वाले सत्ता परिवर्तन के बाद, अजोव यूनिट को यूक्रेनी नेशनल गार्ड में शामिल किया गया था. प्रोकोपेंको की पहचान यूक्रेन में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अजोवस्टाल की लड़ाई के कारण बनी, जब उन्होंने अपनी यूनिट के साथ अंतिम समय तक रूस की सेना से मोर्चा लिया था.

रूस की सेना ने कर लिया था गिरफ्तार

2022 में रूस के कब्जे के बाद प्रोकोपेंको को युद्धबंदी बनाकर तुर्की भेजा गया था, जहां तय हुआ था कि वे युद्ध समाप्ति तक हिरासत में रहेंगे. लेकिन अगले ही साल उन्हें यूक्रेन लौटने की अनुमति मिल गई और उन्हें नायक की तरह सम्मान मिला. पश्चिमी देशों ने भी अजोव यूनिट को यूक्रेन की “रिजिस्टेंस” का चेहरा बना दिया.

अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी तक में अजोव सैनिकों और उनके परिवारों का स्वागत किया गया. इसके साथ ही यूनिट ने अपने विवादास्पद नाजी-प्रेरित प्रतीक को बदलकर एक नया प्रतीक अपनाया, ताकि उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारी जा सके.

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ये शख्स क्यों है पुतिन के लिए चुनौती?

हालांकि रूस लगातार अजोव ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन मानता रहा है. मास्को का आरोप है कि पश्चिमी देश यूक्रेन की सेना में फैली नव-नाजी विचारधारा को नजरअंदाज कर रहे हैं. रूस की अदालतें अब तक 140 से अधिक अजोव सदस्यों को विभिन्न अपराधों में दोषी ठहरा चुकी हैं. इसके बावजूद, डेनिस प्रोकोपेंको की बढ़ती जिम्मेदारी और लोकप्रियता यह बताने के लिए काफी है कि यूक्रेनी नेतृत्व उन्हें भविष्य की सैन्य रणनीति का केंद्रीय चेहरा बनाना चाहता है. यही बात पुतिन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है.

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