
जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति पुतिन.
रूस में तबाही मचाने के लिए अमेरिका हथियारों की खेप यूक्रेन भेज रहा है. साथ ही रूस के हमलों से बचाव के लिए पैट्रियट सिस्टम भेजने पर भी अमेरिका तैयार हो गया है. ट्रंप के इन फैसलों से पुतिन का पारा बढ़ गया है. यूक्रेन पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. आज रात भी यूक्रेन में बारूदी जलजला आ सकता है. रूस अमेरिकी हथियार यूक्रेन पहुंचने से पहले ही बड़ी तबाही मचा सकता है. अगर यूक्रेन बैकफुट पर नहीं आया तो यूक्रेन में तबाही का नया दौर शुरू हो सकता है. अगर जेलेंस्की ने सरेंडर नहीं किया तो पुतिन टैक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
एक तरफ ट्रंप के टैरिफ बम से दुनिया भर में कोहराम मचा है, दूसरी तरफ यूक्रेन को बारूद रिचार्ज करने से परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है. पुतिन बहुत गुस्से में हैं क्योंकि ट्रंप के यू टर्न से ना सिर्फ युद्धविराम की कोशिश को झटका लगा है. बल्कि पुतिन के उस मंसूबे पर पानी फिर गया, जिसमें पुतिन यूक्रेन के बड़े हिस्से को जल्द से जल्द रूस में मिलाना चाहते थे.
यूक्रेन के खिलाफ पुतिन का नया ब्लूप्रिंट
अब पुतिन ने पिछल 120 घंटे से यूक्रेन को तबाही के दरवाजे तक पहुंचा दिया है. नया ब्लूप्रिंट है कि अगस्त तक यूक्रेन का संपूर्ण खात्मा करना है, अब सिर्फ जेलेंस्की के पास एक ही विकल्प है…आत्मसमर्पण. दक्षिणी यूक्रेन और पूर्वी यूक्रेन में हमले चल ही रहे हैं लेकिन इस साल पहली बार रूस ने पश्चिमी यूक्रेन पर हमले किए हैं. यानी एक नए पैटर्न के तहत हमले किए जा रहे हैं.
इसमें लवीव, तेर्नोपिल कीव, चेरकासी, नेप्रोपेत्रोवस्क, सूमी, खारकीव, लुहांस्क, डोनेस्क, जेपोरिजिया, खेरसोन, मिकोलेव और ओडेसा शामिल हैं. यानी 14 से ज्यादा इलाकों पर बमबारी की गई. पुतिन का आक्रोश साफतौर पर दिख रहा है. इस बार हमले बेहद भीषण हैं. यूक्रेन के सैन्य ठिकानों को टारगेट किया जा रहा है. इसके अलावा रिहायशी इलाकों पर भी मिसाइलें गिराई जा रही हैं.
पहली बार रूस के बम उन बंकरों पर भी गिर रहे हैं, जहां लोग छिप रहे हैं. यानी पुतिन इरादा कर चुके हैं कि यूक्रेन को पूरी तरह वीरान कर देंगे. सीरिया की तरह यूक्रेन बन जाएगा. यानी हर तरफ सिर्फ तबाही नजर आएगी. पुतिन को इतना गुस्सा क्यों आ रहा है? इसे भी समझना होगा. इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है. तभी रूस ने बिना ब्रेक के यूक्रेन की तबाही का टेंडर निकाल दिया है.
पुतिन अब यूरोप में तबाही मचाने को तैयार
आखिर वो कौन सी वजहें हैं, जिससे पुतिन अब यूरोप में तबाही मचाने को तैयार हैं. अगर अमेरिका बीच में आया तो सबसे बड़ा विध्वंस तय है. सबसे पहले ट्रंप के यू टर्न पर पुतिन आक्रोशित हैं. दूसरी वजह है यूक्रेन को बारूद की सप्लाई. तीसरी वजह है पैट्रियट सिस्टम भेजने को तैयार हुआ अमेरिका. चौथी वजह है नाटो को भी हथियार भेजने के लिए अमेरिका ने कहा. इसके अलावा पांचवीं सबसे बड़ी वजह है बाइडेन सरकार के वक्त जारी की गई सैन्य मदद ट्रंप भी भेंजेंगे, जिसे बढ़ाकर 3.8 बिलियन डॉलर से पांच बिलियन डॉलर कर दिया.
यानी अमेरिका के रिचार्च से यूक्रेन लंबे युद्ध के लिए तैयार है, जिससे रूस को नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका खुद भी हथियार भेजेगा और नाटो को भी एग्रेसिवली हथियार भेजने को कह रहा है. अमेरिका की युद्धनीति से रूस को मौका मिल गया है कि वो टैक्टिकल हथियारों से यूक्रेन पर हमला करें क्योंकि नाटो को रोकने के लिए यही आखिरी उपाय बचता है और कंट्रोल्ड परमाणु विस्फोट को परमाणु युद्ध में बदलने का अलार्म बज सकता है.
यूक्रेन को अमेरिका के हथियार भेजने पर रूस आगबबूला है. अब बाकी NATO देश भी यूक्रेन को बारूद सप्लाई करेंगे. अमेरिका-ब्रिटेन-जर्मनी से सबसे ज्यादा हथियार पहुंच रहे हैं. फ्रांस-जर्मनी से भी हथियार पहले पोलैंड पहुंचाए जा रहे हैं. साउथ-ईस्ट पोलैंड के रेज्जोव एयरपोर्ट पर उतारे जाएंगे. यूक्रेन बॉर्डर से रेज्जोव एयरपोर्ट की दूरी 90किमी है. फिर E-40 हाईवे के जरिए पश्चिमी यूक्रेन पहुंचाए जाएंगे.
सबसे पहले तबाह होगाहथियार डिपो
पश्चिमी यूक्रेन के हथियार गोदाम से दक्षिणी और पूर्वी यूक्रेन तक सप्लाई किए जाते हैं. इसी रूट से फ्रंटलाइन पर विध्वंसक हथियार पहुंचाए जा रहे हैं. हथियार गोदाम की सुरक्षा के लिए यूक्रेन ने डिफेंस सिस्टम लगाए हैं. क्रेमलिन ने जो नया ब्लूप्रिंट बनाया है, उसके मुताबिक सबसे पहले यूक्रेन के हथियार डिपो को तबाह किया जाएगा. साथ ही यूक्रेन की कमांड पोस्ट तक पहुंचने वाले रूट को भी ब्लॉक कर दिया जाएगा.
यही वजह है रूस ने हमले बढ़ा दिए हैं. इसीलिए यूक्रेन को ज्यादा पैट्रियट सिस्टम और दूसरे हथियारों की जरूरत है. रूस का प्लान है कि पैट्रियट सिस्टम आने से पहले ज्यादा से ज्यादा जमीन पर कब्जा कर लिया जाए लेकिन पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2024 तक रूस ने यूक्रेन के करीब 5 हजार वर्ग किलोमीटर पर ही कब्जा किया है, जो कुल यूक्रेनी क्षेत्र का 1 फीसदी भी नहीं है.
अगर यूक्रेन ने सरेंडर नहीं किया तो…
खारकीव तक रूसी सेना रोजाना 50 मीटर ही आगे बढ़ पाई हैं, जो प्रथम विश्वयुद्ध में फ्रांसीसी और ब्रिटिश सेनाओं के मुकाबले काफी धीमी है. प्रथम विश्वयुद्ध में फ्रांसीसी और ब्रिटिश सैनिक 80 मीटर रोजाना आगे बढ़ रहे थे. इस हिसाब से पुतिन को संपूर्ण यूक्रेन पर कब्जे में काफी वक्त लग जाएगा. इस दौरान नाटो का साथ लगातार यूक्रेन को मिलता रहा तो रूस का नुकसान बढ़ता जाएगा.
रूस के पास अभी मौका है कि वो यूक्रेन को घुटनों पर ला दे. इसलिए पूरी ताकत से हमले किए जा रहे हैं. रूस रोजाना 350 गेरान ड्रोन बना रहा है. ये क्षमता रोजाना 500 ड्रोन बनाने की हो सकती है. इसके अलावा मिसाइलों का भी प्रोडक्शन बढ़ाया जा रहा है और ईरान-नॉर्थ कोरिया और चीन से हथियारों की खेप मंगाई जा रही है. यानी रूस-यूक्रेन में विध्वंसक का नया चैप्टर आरंभ होने वाला है, जिसमें पूरा यूरोप घिर सकता है. अगर यूक्रेन ने सरेंडर नहीं किया तो पुतिन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करके यूक्रेन के शहरों को नागासाकी-हिरोशिमा बना सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट टीवी9 भारतवर्ष.
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