• Tue. Mar 11th, 2025

ब्रिटेन चुनाव में ऋषि सुनक क्यों पिछड़े? रेस में कीर स्टार्मर कैसे निकल गए इतना आगे? | UK Election 2024 House of Commons Rishi sunak vs Keir Starmer Labour Party vs Conservative Party

ByCreator

Jul 4, 2024    1508208 views     Online Now 290
ब्रिटेन चुनाव में ऋषि सुनक क्यों पिछड़े? रेस में कीर स्टार्मर कैसे निकल गए इतना आगे?

कीर स्टार्मर Vs ऋषि सुनक

करीब 2 साल पीछे चलते हैं. तारीख थी- 23 अक्तूबर 2022. कैलेंडर पलटें तो इस दिन पूरा हिंदुस्तान दिवाली मना रहा था. घर-घर रोशनी जगमग हो रही थी. पटाखे फूट रहे थे. लेकिन ये खुशियां केवल दिवाली की नहीं थीं. इस साल दिवाली डबल धमाके वाली थी. सात समंदर पार उस मुल्क की गद्दी पर एक भारतीय मूल का शख्स आसीन होने के लिए चुना गया था, जिसने भारत पर करीब 200 साल तक शासन किया था. जी हां, वह शख्स थे- ऋषि सुनक. कंजर्वेटिव पार्टी में ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया तो पूरे हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया में जहां जहां भारतीय रहते हैं, उनके लिए ये जीत ऐतिहासिक पैगाम लेकर आई थी. लेकिन आज की तारीख में ऋषि सुनक चुनावी रेस में पिछड़ते दिख रहे हैं. ब्रिटेन के अखबारों के पन्ने पलटें तो पता चलता है ऋषि सुनक को ब्रिटेन में बसे भारतीयों की ही सबसे ज्यादा नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि यहां करीब 25 लाख भारतीय वोटर हैं.

वैसे ऋषि सुनक ने शुरुआत से ही साफ किया था कि वह जन्म से हिंदू हैं, हिंदू पूजा पद्धति को अपनाते हैं लेकिन उन्होंने एक कट्टर राष्ट्रवादी की तरह ये भी स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार के वही फैसले होंगे जो ब्रिटेन के हित में होंगे. ब्रिटेन की राष्ट्रनीति अपने परंपरागत ढांचे के साथ ही चलेगी. इसके बावजूद ऋषि सुनक से भारतीयों और खास तौर पर ब्रिटेन में रह रहे भारतीयों ने विशेष उम्मीद लगा रखी थी, जिस मोर्चे पर सब को निराशा हाथ लगी. पिछले दिनों हुए एक सर्वे में ऋषि सुनक की लोकप्रियता को लेकर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया था. आंकड़ा बताता है वहां बसे करीब 64 फीसदी भारतीयों ने ऋषि सुनक को नापसंद किया. और इसकी वजह केवल वीजा नियमों में अपनाई सख्ती ही नहीं बल्कि महंगाई और आर्थिक मोर्चे पर विफलता ने भी ऋषि सुनक को बैकफुट पर ला खड़ा किया.

See also  मोदी का गुणगान और तीन पड़ोसियों को सीधा मैसेज...दुनिया ने देखा ट्रंप का 'भारत प्रेम'

ऋषि सुनक की लोकप्रियता का ग्राफ क्यों गिरा?

ऋषि सुनक की लोकप्रियता के ग्राफ में गिरावट की कई और वजहें भी हैं. ना तो वो गैरकानूनी घुसपैठ को रोक सके, ना ही कोरोना महामारी के दौरान कमजोर हुई अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सके, ना ही इमिग्रेशन के मुद्दे पर लेबर पार्टी की बहुप्रचारित नीतियों की काट को लागू कर सके और ना ही ब्रेक्जिट समझौते का घरेलू व्यापार पर कोई असर पड़ा. ब्रिटेन में बढ़ी महंगाई ने आम तो आम लग्जरी लाइफ जीने वालों के सामने भी नई समस्या खड़ी कर दी. लग्जरी कारों में चलने वाले बहुत से लोग पब्लिक बसों में सफर करने लगे तो रेस्टोरेंटों में महंगा खाने वालों ने अपने खर्चे में कटौती कर दी. जाहिर है इन हालात ने ऋषि सुनक की शासन पद्धति पर सवाल खड़े कर दिये और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता गया, वैसे-वैसे विरोधी दल उनके खिलाफ मुखर होता गया. नतीजा दो उपचुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और साल 2025 में निर्धारित समय से पहले ही आम चुनाव कराना पड़ा.

ये भी पढ़ें

कीर स्टार्मर ने कैसे दे दी सुनक को चुनौती?

अब बात उस शख्स की करते हैं जो आज की तारीख में ब्रिटेन की राजनीति में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है. और वो शख्स है- लेबर पार्टी उम्मीदवार कीर स्टार्मर. करीब 60 वर्षीय कीर स्टार्मर ने कई मोर्चे पर ऋषि सुनक को कड़ी चुनौती दी. उन्होंने साल 2020 में सबसे बुरे दौर से गुजर रही अपनी पार्टी की बागडोर संभाली थी. जिसके बाद उन्हो्ंने व्यावहारिक पक्ष को अपनी राजनीति का आधार बनाया. कीर स्टार्मर की ख्याति बतौर वकील की रही है. उन्होंने साल 2015 में संसद में प्रवेश किया था. उन्होंने दावा किया है कि ब्रिटेन की जनता एक बार फिर से लेबर पार्टी की सत्ता चाहती है.

See also  पं.धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट का मामला: फेसबुक, यूट्यूब, X को नोटिस, हाई कोर्ट ने किया तलब 

कीर स्टार्मर लगातार चार साल तक विपक्ष के नेता रहे. उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी की विफलताओं और उसके खिलाफ उठते आक्रोश को करीब से देखा और उसे अपनी पार्टी की नीति की खुराक बनाया. उनकी पार्टी ने नारा दिया कि सत्ता और अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए जनता लेबर पार्टी को वोट करें. सर्वे में ये तथ्य निकलकर सामने आया कि लेबर पार्टी को कंजर्वेटिव पार्टी से कहीं दो गुना ज्यादा सीटें मिल सकती हैं. और कीर स्टार्मर साल 2010 के बाद लेबर पार्टी को फिर से सत्ता में लाने में कामयाब हो सकते हैं.

कीर स्टार्मर के वादे से बदलेगा ब्रिटेन?

आज ब्रिटेन जीवन यापन के संकट, पब्लिक सेक्टर में हड़ताल और राजनीतिक नेतृत्व में बारंबार परिवर्तन से नाराज हैं. और कीर स्टार्मर ने इस मोर्चे पर अपना अभियान चला कर जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पाई है. साल 2022 में कुछ ही हफ्तों में ब्रिटेन में दो प्रधानमंत्री बने- बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस. और इसके बाद ऋषि सुनक. ऐसे में स्टार्मर ने अपनी स्ट्रेटजी और मजबूत बनाई और लेबर पार्टी से स्थायी परिवर्तन नारा दिया और जनता से वादा किया- पार्टी से पहले देश.

इस चुनाव में स्टार्मर ने जनता से ये भी वादा किया है कि उनकी पार्टी की सरकार ब्रिटेन के पुराने आवास संकट को कम कर सकती है और खस्ताहाल सार्वजनिक सेवाओं में खासतौर पर चरमराती स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करेगी. उन्होंने ये भी वादा किया है कि इस सुधार के लिए उनकी पार्टी की सरकार कर में वृद्धि नहीं करेगी. यानी महंगाई पर काबू और जेब खर्च पर लगाम उनकी रणनीति है. देखना है उनके नारे का जादू क्या गुल खिलाता है.

See also  हैवानियत की हद! महाराष्ट्र में युवक को गर्म रॉड से दागा

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL