देहरादून। उत्तराखंड वासियों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक होने वाला है। ढाई साल की तैयारियों के बाद आज देवभूमि में यूसीसी यानि समान नागरिक संहिता लागू होने जा रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी मुख्य सेवक सदन में आज UCC की नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण करेंगे। जिसके लिए शासन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है। गृह सचिव ने इस संबंध में शनिवार को एक पत्र भी जारी किया था। आज यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।
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समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 के तहत विवाह समारोह उसी परंपरागत तरीके से संपन्न किए जा सकेंगे। जैसे अब तक होते आए है। चाहे वह “सप्तपदी”, “निकाह”, “आशीर्वाद”, “होली यूनियन” या आनंद विवाह अधिनियम, 1909 के तहत “आनंद कारज” हो या फिर विशेष विवाह अधिनियम, 1954 अथवा आर्य विवाह मान्यकरण अधिनियम, 1937 के अनुसार विवाह किया जा रहा हो-अधिनियम सभी धार्मिक व प्रथागत रीति-रिवाज़ों का सम्मान करता है। अधिनियम अनुसार यह ज़रूरी है कि विवाह के लिए अधिनियम में उल्लिखित बुनियादी शर्तें (उम्र, मानसिक क्षमता और जीवित जीवनसाथी का न होना आदि) पूरी की जाएं। इससे राज्य के लोगों की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आज़ादी सुरक्षित रहती है, जबकि विवाह के मूलभूत कानूनी मानकों का भी पालन सुनिश्चित होता है।
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इस संहिता की एक महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक विशेषता यह है कि यदि कोई विवाह अमान्य या रद्द करने योग्य घोषित भी कर दिया जाए, तब भी उससे जन्म लेने वाले बच्चे को वैध (Legitimate) माना जाता है। यह प्रावधान बच्चों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करता है और परिवार कल्याण के प्रति अधिनियम की संवेदनशीलता को दर्शाता है। विविध विवाह समारोहों को सम्मान देते हुए, अमान्य व रद्द करने योग्य विवाह के स्पष्ट प्रावधानों के माध्यम से, तथा बच्चों को वैधता प्रदान करके, उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 राज्य के सभी नागरिकों के लिए सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा और कानूनी स्पष्टता, दोनों सुनिश्चित करने का काम करता है।