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एक ही मंच पर दो प्रसिद्ध कथावाचक दिखे एक साथ: अनिरुद्धाचार्य महाराज से बोले बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, ‘आपने वृद्ध माताओं की सेवा करके पूरे भारत को दिखाई राह’

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Jan 25, 2024    150834 views     Online Now 121

रायपुर। इन दिनों पूरा देश भगवान राम की भक्ति और जयकारों से सराबोर है. अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद देशभर में रामभक्ति देखने को मिल रही है. राजधानी रायपुर में भी दो प्रसिद्ध कथावाचक बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज की हनुमान कथा और अनिरुद्धाचार्य महाराज की श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हो रहा है. इन कथावाचकों को प्रदेश के ज्यादातर लोगों ने अब तक टेलीविजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर देखा था. लेकिन इन्हें अपने बीच पाकर हर व्यक्ति भावुक और उत्साहित नजर आ रहा है. इसी बीच आज लोगों का उत्साह उस समय दोगुना हो गया जब अनिरुद्धाचार्य महाराज खुद धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज की हनुमान कथा में पहुंचे. इस दौरान दोनों कथा वाचकों ने एक दूसरे को माला और शाल पहना कर स्वागत सम्मान किया.

बता दें कि, आज राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी के दही हांडी मैदान में प्रसिद्ध कथावाचाक अनिरुद्धाचार्य महाराज की श्रीमद्भागवत कथा का आखरी दिन था. अनिरुद्धाचार्य महाराज रायपुर से जाने से पहले बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से अंतिम दिन विदाई लेने पहुंचे थे. अनिरुद्धाचार्य महाराज को देख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बहुत ही खुश हुए और कहा की, आपने वृद्ध माताओं की सेवा करके पूरे भारत को राह दिखाई है. आप की कथा गुढ़ियारी में आयोजित है जहां पिछले साल हमारी कथा थी और इस साल हमारे बड़े भैया की है. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हम दोनों भाई बुंदेलखंड के हैं. अब यह वृंदावन वाले हो गए और हम बागेश्वर वाले हो गए, राशि भी दोनों की सेम है.

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गौरतलब है कि, बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री दूसरी बार कथा कहने राजधानी रायपुर आए है, बीते साल की तरह इस साल भी इस कथा ने पूरे जिले के लोगों का अपनी ओर ध्यान खींचा. सोशल मीडिया पर भी इन दिनों आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ही छाए हुए है. कार्यक्रम में इतनी संख्या में जनता बागेश्वर धाम सरकार को देखने आई तो आयोजकों के भी होश उड़ गए. आज कथा के तीसरे दिन सुबह दिव्य दरबार लगाया गया. इस दिव्य दरबार में छत्तीसगढ़ के साथ अन्य राज्यों से भी लोग अपनी अर्जी लेकर पहुँचे हुए थे. किसी ने घुमे हुए पिता को ढूँढ लाने को कहा, तो कोई हिंदू राष्ट्र की अर्ज़ी लेकर पहुँचा था. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने अपनी दिव्य शक्ति से सबका मन मोह लिया.

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