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एक मुस्लिम महिला नेता से घबरा गया ये देश! चुनाव से ठीक पहले भेज दिया गया जेल | tunisia opposition moussi jail sentence before presidential election

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Aug 7, 2024    150842 views     Online Now 432
एक मुस्लिम महिला नेता से घबरा गया ये देश! चुनाव से ठीक पहले भेज दिया गया जेल

अबीर मौसी

2010 में अरब स्प्रिंग की शुरुआत उत्तरी अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया से हुई है. जिसमें जनता ने दमनकारी तानाशाह राष्ट्रपति ज़ीन एल अबिदीन बेन अली को उखाड़ फेका था. आज 14 साल बाद फिर वहां की सरकार का तानाशाह रुख सामने आया है. पिछले साल अक्टूबर से जेल में बंद ट्यूनीशिया के विपक्षी नेता और आगामी राष्ट्रपति चुनाव की संभावित उम्मीदवार अबीर मौसी को सोमवार देर रात दो साल की जेल की सजा सुनाई गई है.

सजा से दो दिन पहले ही फ्री डेस्टोरियन पार्टी की चीफ और पूर्व सांसद 49 साल की अबीर मौसी ने अपने वकीलों के जरिए चुनाव के लिए नामांकन दर्ज किया था. सजा के बाद उनका चुनाव लड़ना मुश्किल लग रहा है. मौसी ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सैयद की कट्टर आलोचक हैं, उन्हें ट्यूनीशिया के कानून डिक्री 54 के तहत सजा सुनाई गई है. ये कानून कैस की ओर से 2022 में फेक न्यूज से निपटने के लिए बनाया गया था.

क्या हैं मौसी पर आरोप?

अबीर मौसी पर आरोप है कि उन्होंने देश के चुनाव आयोग के बारे में गलत जानकारी फैलाई है. ट्यूनीशिया की हाई इंडिपेंडेंट बॉडी ऑफ इलेक्शन (ISII) ने फरवरी में मौसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. मौसी ने चुनावी तैयारियों को लेकर सार्वजनिक तौर चुनाव आयोग की आलोचना की थी. उनकी इस सजा को राष्ट्रपति कैस सैयद के साथ उनकी अदावत से जोड़ कर देखा जा रहा है. सरकार के आलोचक कोर्ट के इस फैसले को सरकार से प्रभावित मान रहे हैं.

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मौसी की वकील नफा लारिबी ने मंगलवार को एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि वह अभी भी 6 अक्टूबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि सोमवार के फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें चुनाव लड़ने से रोके. लारिबी ने कहा कि मौसी का हौसला ऊंचा है और वे इसके खिलाफ अपील करेंगी.

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कौन हैं अबीर मौसी?

अबीर मौसी एक वकील हैं, जो ट्यूनीशिया में बहुत मशहूर हैं. वे ट्यूनीशिया में राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ अभियान चलाने के लिए सुर्खियों में रही हैं. जिसका प्रतिनिधित्व सबसे बड़े संसदीय गुट एन्नाहदा और अन्य इस्लामवादी समूह करते हैं. एक वक्त में वे तानाशाह ज़ीन अल-अबिदीन बेन अली की समर्थक थीं, अब वो खुद को और अपनी पार्टी को आधुनिक ट्यूनीशिया के संस्थापक हबीब बोरगिबा की लाई गई धर्मनिरपेक्ष परंपरा का संरक्षक मानती हैं.

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