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Trilochan Mahadev Temple: जहां स्वयं प्रकट हुए थे शिव शंभू, जानें त्रेतायुग के त्रिलोचन महादेव मंदिर का रहस्य

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Jul 21, 2025    15086 views     Online Now 377
Trilochan Mahadev Temple: जहां स्वयं प्रकट हुए थे शिव शंभू, जानें त्रेतायुग के त्रिलोचन महादेव मंदिर का रहस्य

Trilochan Mahadev Temple, Jaunpur

Trilochan Mahadev Temple: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है, और इस दौरान शिवालयों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. उत्तर प्रदेश के जौनपुर-वाराणसी सीमा पर स्थित त्रिलोचन महादेव मंदिर एक ऐसा ही पवित्र स्थल है, जो अपनी आध्यात्मिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है. ‘त्रिलोचन’ का अर्थ है ‘तीन नेत्रों वाला’, जो भगवान शिव के त्रिनेत्रधारी स्वरूप का प्रतीक है, और ज्ञान, शक्ति व विनाश का प्रतिनिधित्व करता है.

त्रेतायुग से कलयुग

मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान शिव स्वयं पाताल भेदकर इस स्थान पर प्रकट हुए थे. द्वापर और कलयुग में भी यह मंदिर अपरिवर्तित बना रहा, अपनी प्राचीनता और दिव्यता को बनाए हुए. यह मंदिर जौनपुर जिले के रेहटी गांव में स्थित है, जो लखनऊ-वाराणसी नेशनल हाइवे से सटा हुआ है, और ‘त्रिलोचन महादेव’ के नाम से प्रसिद्ध है.

गाय के दूध से हुआ शिवलिंग का प्राकट्य

इस मंदिर से जुड़ा एक रोचक रहस्य है, जो इसके प्राकट्य की कहानी बताता है. कहा जाता है कि एक चरवाहा प्रतिदिन अपनी गायों को जंगल में चराने ले जाता था. शाम को जब वह घर लौटता, तो उसकी गाय दूध नहीं देती थी. कई दिनों तक यह सिलसिला चलने से चरवाहा परेशान हो गया कि आखिर उसकी गाय का दूध कहां जाता है.

एक दिन उसने अपनी गाय का पीछा किया. जंगल में चरते-चरते गाय एक विशेष स्थान पर रुकी और अपना सारा दूध जमीन पर बहा दिया. यह देखकर चरवाहा हैरान रह गया. अगले दिन भी गाय ने ठीक उसी स्थान पर जाकर दूध बहाया. यह चमत्कार देखकर चरवाहे ने गांव वालों को बताया. ग्रामीणों में उत्सुकता जगी और उन्होंने उस स्थान पर खुदाई शुरू की.

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खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के नीचे एक शिवलिंग दिखाई दिया. ग्रामीणों ने शिवलिंग को खोदकर बाहर निकालने और गांव में स्थापित करने का विचार किया. उन्होंने कई दिनों तक खुदाई की, लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला. अंततः थक-हारकर ग्रामीणों ने उस स्वयंभू शिवलिंग की वहीं पूजा-अर्चना शुरू कर दी. इस अद्भुत शिवलिंग में आँख, नाक, मुंह और कान स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं. ग्रामीणों के सहयोग से वहां एक मंदिर बनाया गया.

महादेव ने सुलझाया दो गांवों का विवाद

शिवलिंग के प्राकट्य के बाद जौनपुर जिले के जलालपुर क्षेत्र के दो गांव रेहटी और लहंगपुर के बीच विवाद उत्पन्न हो गया. दरअसल, यह शिवलिंग ठीक उस स्थान पर प्रकट हुआ था जहां दोनों गांवों की सीमाएं मिलती थीं. इस कारण दोनों गांव के ग्रामीण शिवलिंग को अपने-अपने गांव का होने का दावा करते हुए मंदिर के स्वामित्व को लेकर लड़ने लगे.

बढ़ते विवाद को देखते हुए आसपास के ग्रामीणों की मौजूदगी में एक पंचायत बुलाई गई. पंचायत में यह तय किया गया कि इस विवाद को स्वयं महादेव पर ही छोड़ दिया जाए, यदि वे सच में स्वयंभू हैं, तो वे निश्चित रूप से इस विवाद को सुलझा देंगे. सबकी सहमति से पूजा-पाठ के बाद रात्रि में मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए. मंदिर के मुख्य द्वार पर दोनों गांव के लोगों ने अपने-अपने ताले जड़ दिए.

चमत्कारिक रूप से झुके महादेव

अगले दिन सुबह जब मंदिर के कपाट खुले, तो सभी अचंभित रह गए. मंदिर के प्रबंधक मुरलीधर गिरी जी बताते हैं कि जिस शिवलिंग को लेकर रेहटी और लहंगपुर गांव के लोग आपस में लड़ रहे थे, वह शिवलिंग उत्तर दिशा, यानी रेहटी गांव की तरफ झुका हुआ मिला. इस चमत्कार को देखकर दोनों गांवों के लोग क्षमा याचना करते हुए भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित करने लगे. सभी ने यह स्वीकार किया कि यह शिवलिंग रेहटी गांव में है, और इस प्रकार त्रिलोचन महादेव मंदिर का विवाद समाप्त हो गया.

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स्कंद पुराण में वर्णित प्राचीनता

जौनपुर का त्रिलोचन महादेव मंदिर अत्यंत ही प्राचीन और पौराणिक है. इसके बारे में स्कंद पुराण के पृष्ठ संख्या 674 पर वर्णन मिलता है, जो इसकी ऐतिहासिकता और महत्व को प्रमाणित करता है. यह मंदिर काशी के प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. मंदिर के प्रधान पुजारी सोनू गिरी जी बताते हैं कि भगवान शिव यहां साक्षात् पाताल भेदकर स्वयं प्रकट हुए हैं, और यह एक जागृत मंदिर है. श्रद्धाभाव से यहां आकर दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं महादेव पूरी करते हैं. मान्यता है कि यहां के कुंड में स्नान करने मात्र से चर्म रोग संबंधी बीमारियों से भी भक्तों को छुटकारा मिल जाता है.

देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

भगवान शिव के इस पौराणिक धाम में देश-विदेश से श्रद्धालु आकर महादेव के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं. सावन में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा, कई लोग यहां महादेव को साक्षी मानकर वैवाहिक बंधन में भी बंधते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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