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शहीदों को श्रद्धांजलि देने की इजाजत नहीं, श्रीनगर प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी

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Jul 12, 2025    150811 views     Online Now 152
शहीदों को श्रद्धांजलि देने की इजाजत नहीं, श्रीनगर प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी

सांकेतिक तस्वीर.

उमर अब्दुल्ला सरकार को उपराज्यपाल प्रशासन के साथ पहली बार टकराव झेलना पड़ रहा है. प्रशासन ने सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) समेंत कई राजनीतिक दलों को 13 जुलाई यानी आज शहीद दिवस की वर्षगांठ पर ख्वाजा बाजार कब्रिस्तान में सामूहिक प्रार्थना करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर श्रीनगर पुलिस ने जिला प्रशासन के फैसले की जानकारी साझा की, जिला प्रशासन श्रीनगर ने रविवार को ख्वाजा बाजार, नौहट्टा की ओर जाने वाले सभी आवेदकों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है. पुलिस ने जनता से इन निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि किसी भी उल्लंघन पर लागू कानूनों के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

पहली बार मनाया जा रहा शहीद दिवस

दरअसल इस साल नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के तहत पहली बार शहीद दिवस मनाया जा रहा है, जिसने औपचारिक रूप से नक्शबंद साहब श्रीनगर स्थित कब्रिस्तान जाने की अनुमति और 13 जुलाई यानी आज सार्वजनिक अवकाश के रूप में फिर से लागू करने का अनुरोध किया था. यह दिन कश्मीर में गहरा ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यह 1931 में डोगरा शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में मारे गए 22 नागरिकों के बलिदान की याद में मनाया जाता है.

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कब्रिस्तान में प्रवेश प्रतिबंधित

2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले, शहीद दिवस को आधिकारिक तौर पर राजकीय समारोहों और सार्वजनिक अवकाश के साथ मान्यता प्राप्त थी. हालांकि, तब से, उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इस छुट्टी को रद्द कर दिया है और राजनीतिक नेताओं के लिए कब्रिस्तान में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है.

डोगरा सेना की गोलियों से शहीद

जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) ने शनिवार को दावा किया कि श्रीनगर के जिलाधिकारी ने 13 जुलाई 1931 को तत्कालीन डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की सेना द्वारा शहीद किये गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इस बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने डोगरा सेना की गोलियों से शहीद हुए लोगों को शनिवार को श्रद्धांजलि दी.

एनसी ने बताया कि उसने जिलाधिकारी को आवेदन देकर पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों को रविवार को नौहट्टा के निकट नक्शबंद साहिब में शहीदों की कब्रों तक जाने की अनुमति मांगी थी.

आवेदकों को अनुमति देने से इनकार

श्रीनगर पुलिस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट सार्वजनिक परामर्श जारी कर कहा कि श्रीनगर जिला प्रशासन ने रविवार को ख्वाजा बाजार, नौहट्टा की ओर जाने के इच्छुक सभी आवेदकों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है. पुलिस ने कहा कि आम जनता को सलाह दी जाती है कि वे इन निर्देशों का सख्ती से पालन करें और जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेशों का उल्लंघन करने से बचें. पुलिस ने आगाह किया कि इन आदेशों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करने पर कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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इल्तिजा मुफ्ती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह जानते हुए कि हमें बाहर जाने से रोका जाएगा, हम अपने शहीदों को श्रद्धांजलि देने में कामयाब रहे, जिन्होंने 13 जुलाई 1931 को लोकतंत्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. मुफ्ती ने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें वे 13 जुलाई, 1931 के कुछ शहीदों की कब्रों पर फूल चढ़ाती नजर आ रही हैं.

यादों को जानबूझकर मिटा रहे

मुफ्ती ने कहा कि उनकी यादों को जानबूझकर मिटाया जा रहा है, फिर भी उनकी आवाज हर उस कश्मीरी के दिल में गूंजती है जो झुकने से इनकार करता है और उम्मीद कायम रखता है. पिछले साल महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को कब्रोंपर जाने से रोकने के लिए नजरबंद कर दिया गया था.

कश्मीर में सार्वजनिक अवकाश

अगस्त 2019 में तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने से पहले 13 जुलाई को जम्मू और कश्मीर में सार्वजनिक अवकाश होता था. महाराजा की सेना की गोलियों से शहीद हुए लोगों के सम्मान में हर साल एक राजकीय समारोह आयोजित किया जाता था. हालांकि, प्रशासन ने 2020 में इस दिन को छुट्टियों की सूची से हटा दिया. इस दिन, मुख्यधारा के राजनीतिक नेता भी शहीदों की कब्र पर जाकर उन कश्मीरियों को श्रद्धांजलि देते थे, जो महाराजा के शासन का विरोध करते हुए डोगरा सेना की गोलियों का शिकार हुए थे.

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