आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में 4000 से ज्यादा लोगों के बीच भगदड़ मचने से छह लोगों की जान चली गई.Image Credit source: PTI
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में टोकन लेने के लिए खड़े 4000 से ज्यादा लोगों के बीच भगदड़ मचने से छह लोगों की जान चली गई. कई अन्य घायल हो गए. आइए जान लेते हैं कि आखिर तिरुपति मंदिर में कैसे होते हैं बालाजी के दर्शन? क्या है टोकन, वीआईपी और सामान्य दर्शन की व्यवस्था? क्या है पूरी प्रक्रिया, कहां से और कैसे जाएं?
तिरुपति बालाजी मंदिर को श्री वेंकटेश्वर मंदिर भी कहा जाता है. यह भारत के सबसे प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक है. आंध्र प्रदेश में तिरुपति शहर के पास यह मंदरि तिरुमला की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है. भगवान विष्णु के एक अवतार श्री वेंकटेश्वर को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि कलियुग के कष्टों से मनुष्य जाति को बचाने के लिए श्री वेंकटेश्वर पृथ्वी पर प्रकट हुए थे.
इस मंदिर का इतिहास काफी वैभवशाली है. मान्यता है कि इसका निर्माण खुद भगवान ब्रह्मा ने कराया था. बाद में समय-समय पर कई राजाओं, भक्तों और संतों ने इसका जीर्णोद्धार कराया. यह मंदिर दान और चढ़ावे के लिए भी जाना जाता है. यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं.
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10 से 19 जनवरी तक वैकुंठ द्वार दर्शनम
तिरुमाला मंदिर का प्रबंधन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के हाथों में है. यह एक स्वायत्त संस्था है. मंदिर ही नहीं, इसके आसपास के क्षेत्र के प्रशासन और रखरखाव का जिम्मा भी टीटीडी के पास है. टीटीडी की ओर से यहां वैकुंठ एकादशी पर वैकुंठ द्वार दर्शनम का आयोजन 10 जनवरी से किया जा रहा है. यह दर्शन 19 जनवरी तक चलेगा. इसके लिए खास टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गई है, क्योंकि इस दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं.
भीड़ को देखते हुए एडवांस में मंदिर में आठ स्थानों पर 94 काउंटर बनाकर टोकन बांटे जा रहे हैं. इनके जरिए ही वैकुंठ द्वार के दर्शन किए जा सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि केवल 10, 11 और 12 जनवरी को इस दर्शन के लिए एक लाख से ज्यादा टोकन जारी किए जाने हैं. इसी के लिए उमड़ी भीड़ के बीच भगदड़ मची.
आम दिनों में भी दर्शन के लिए उमड़ती है भारी भीड़
वैसे आम दिनों में तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन के सुबह तीन बजे ही द्वार खुल जाते हैं. दोपहर डेढ़ बजे तक यहां दर्शन होते हैं. इसके बाद एक घंटे के लिए मंदिर के द्वार बंद होते हैं. दोपहर ढाई बजे फिर द्वार खुल जाते हैं और रात साढ़े नौ बजे तक भक्तों के लिए खुले रहते हैं. तिरुपति बालाजी मंदिर केवल कुछ ही मौकों पर भक्तों के लिए बंद होता है. आमतौर पर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है.
टीटीडी की वेबसाइट पर बताया गया है कि आम दिनों में भी यहां 60 से 80 हजार भक्त दर्शन के लिए रोज आते हैं. सामान्य श्रद्धालुओं के सर्व दर्शन की व्यवस्था है, जो पूरी तरह से निशुल्क है. ऐसे श्रद्धालु वैकुंठम क्यू कॉम्प्लेक्स II में अपनी बारी का इंतजार करते हैं. वैसे तो सर्व दर्शन के लिए रोज 18 घंटे तय हैं पर पीक डेज में यह 20 घंटे तक हो सकते हैं. सप्ताह के अलग-अलग दिनों में सर्वदर्शन का समय अलग-अलग हो सकता है.
इसके अलावा यहां शीघ्र दर्शन (स्पेशल इंट्री दर्शन) की व्यवस्था भी है. इसके तहत श्रद्धालु दर्शन से तीन घंटे पहले 300 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क देकर टिकट ले सकते हैं. यह टिकट टीटीडी की वेबसाइट, ई-दर्शन काउंटर और भारतीय डाकघरों में उपलब्ध होते हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के श्रद्धालु एपी ऑनलाइन और टीएसऑनलाइन केंद्रों से भी ये टिकट हासिल कर सकते हैं.
कब कर सकते हैं VVIP दर्शन?
मंदिर में वीवीआईपी दर्शन की व्यवस्था भी है. इसके लिए नियमित दर्शन के समय के बीच व्यवस्था की जाती है जो सुबह 6 से 7 बजे के बीच, सुबह 9 से 10 बजे के बीच और शाम को 5:30 से 6:30 बजे के बीच हो सकता है. इसके लिए श्रद्धालु को तिरुमला तिरुपति देवस्थानम को विशेष दान राशि चुकानी होती है. यह रकम मीडिया रिपोर्ट्स में 500 से 10000 रुपए प्रति व्यक्ति तक बताई गई है. बताया गया है कि इतना दान देने वालों को बिना दिक्कत के दर्शन के लिए टिकट मिल जाता है. इसके लिए पहले टीटीडी की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होता है. फिर तिरुमाला के गोकुलम में स्थित जेईओ कैंप ऑफिस जाना पड़ता है, जहां एक अलग काउंटर पर दान देकर टिकट लिया जा सकता है.
मंदिर में कितने द्वार, कब खुलता है वैकुंठ द्वार
तिरुमाला श्री वेंकटश्वर मंदिर में कई प्रवेश द्वार हैं. इनके अनोखे नाम और मान्यताएं हैं. महाद्वारम या मुख्य द्वार मंदिर कॉम्प्लेक्स के पूर्व में स्थित है. इसे अन्नमाचार्य प्रवेश के नाम से भी जाना जाता है. बंगारू वाकिलि या गोल्डन इंट्रेंस मंदिर के दक्षिण में स्थित है. इसे स्वामी पुष्करिणी द्वार के नाम से भी जाना जाता है जो पवित्र जलाशय स्वामी पुष्करिणी की ओर जाता है. वैकुंठ द्वारम मंदिर के उत्तर में स्थित है और इसे वैकुंठ यानी स्वर्ग का द्वार माना जाता है. इस द्वार को केवल खास अवसरों पर खोला जाता है.
नदीमीपधामु मंदिर के उत्तर पश्चिम में स्थित है और मान्यता है कि इसका नामकरण भगवान वेंकटेश्वर के छोड़े पदचिह्नों पर किया गया है. सर्व दर्शन द्वार मंदिर के पश्चिम में स्थित है, जिसका इस्तेमाल श्रद्धालु सामान्य दर्शनों के लिए करते हैं. सुपदम या वीआई इंट्रेंस मंदिर के उत्तर पश्चिम में स्थित है, जिसका इस्तेमाल वीआईपी, दानदाता और विशेष अतिथि करते हैं. अनि मुतंगी सेवा प्रवेश द्वार मंदिर के उत्तर पूर्व में स्थित है, जिसका इस्तेमाल ऐसे श्रद्धालु करते हैं, जो खास पूजा के लिए अनि मुतंगी सेवा टिकट खरीदते हैं.
ऐसे जा सकते हैं तिरुपति बालाजी
तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए देश भर के अलग-अलग हिस्से से रेल, सड़क और हवाई मार्ग से जाया जा सकता है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां से तिरुपति के लिए सीधी ट्रेनें हैं. ये ट्रेनें करीब 2120 किलोमीटर दूरी तय करती हैं. तिरुमला स्थित मंदिर से तिरुपति सबसे नजदीकी स्टेशन है. इसके अलावा चेन्नई तक ट्रेन से जाकर आगे सड़क मार्ग से जाया जा सकता है. चेन्नई से तिरुपति की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 140 किमी बताई जाती है.
तिरुपति तक हवाई यात्रा की भी अच्छी सुविधा है. दिल्ली से तिरुपति और आस-पास के एयरपोर्ट के लिए आसानी से फ्लाइट मिलती है. तिरुपति एयरपोर्ट तिरुपति बालाजी मंदिर के सबसे नजदीक है. इसकी दूरी मंदिर से 13 किलोमीटर है. इसके अलावा चेन्नई एयरपोर्ट, बेंगलुरु एयरपोर्ट, तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट और कोयंबटूर एयरपोर्ट होकर भी बालाजी के दर्शन के लिए जाया जा सकता है.
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