2025 की पहली छमाही में बाजार में स्पष्ट अस्थिरता के बावजूद कई भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें विदेशी और खुदरा निवेशक बड़े पैमाने पर किनारे पर रहे. वहीं दूसरी ओर म्यूचुअल फंड ने जियो पॉलिटिकल टेंशन और हाई वैल्यू इक्विटी मार्केट्स के बीच हाई कैश लेवल को बरकरार रखा. वैसे इनमें से एक अरबपति ऐसा भी जिसने इस दौरान मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को भी पीछे छोड़ दिया.
खास बात तो ये है नेटवर्थ में इजाफे के मामले में ये अरबपति भारत के दिग्गज अरबपतियों से भी आगे निकल गया है. मौजूदा साल के पहले हाफ में इस अरबपति की नेटवर्थ में 78 फीसदी का इजाफा हुआ है. जबकि इस मामले में मुकेश अंबानी और गौतम अडानी काफी पीछे हैं. वास्तव में ये अरबपति एम्यूनिशन, डेटोनेटर, एक्स्प्लोसिव बनाता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ये अरबपति कौन है और इसकी कंपनी का नाम क्या है?
ये अरबपति रहा नंबर वन
सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया के को-फाउंडर और प्रेसीडेंट सत्यनारायण नुवाल की दौलत में मौजूदा साल के पहले हाफ में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के आंकड़ों के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 78 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 7.90 बिलियन डॉलर हो गई. नागपुर में मुख्यालय वाली सोलर इंडस्ट्रीज एक्सप्लोसिव, डेटोनेटर, ड्रोन और गोला-बारूद बनाती है. 2024 में 45 फीसदी और 2023 में 54 फीसदी की वृद्धि के बाद, 2025 में कंपनी के शेयर में 81 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.
सोलर इंडस्ट्रीज की लगभग 17,000 करोड़ रुपए की मजबूत ऑर्डर बुक – जिसमें डिफेंस ऑर्डर में 15,000 करोड़ रुपए शामिल हैं – ने निवेशकों का विश्वास काफी बढ़ा दिया है. सोलर इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2026 में 100 बिलियन रुपए का रेवेन्यू होने का अनुमान है, जो जो वित्त वर्ष 2025 की तुलना में 33 फीसदी ज्यादा है, जिसमें डिफेंस सेक्टर से 30 बिलियन रुपए की वृद्धि की उम्मीद है. कंपनी के अनुसार, एक्सप्लोसिव सेगमेंट में 15 से 20 फीसदी की ग्रोथ होने का अनुमान है.
सुनील मित्तल और लक्ष्मी मित्तल की दौलत में इजाफा
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल और दुनिया की सबसे बड़ी स्टील मेकर कंपनी आर्सेलर मित्तल के चेयरमैन लक्ष्मी मित्तल दूसरे और तीसरे सबसे बड़े गेनर रहे. सुनील मित्तल की संपत्ति 27 प्रतिशत बढ़कर 30.40 बिलियन डॉलर हो गई, जिसे 2024 में 54 प्रतिशत और 2023 में 28 प्रतिशत की बढ़त के बाद 2025 में भारती एयरटेल के शेयर में 27 प्रतिशत की तेजी का समर्थन मिला.
विश्लेषकों का मानना है कि हाल ही में टैरिफ बढ़ोतरी के बाद मजबूत ग्राहक जुड़ाव से भविष्य में राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है. लक्ष्मी मित्तल की कुल संपत्ति 26 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई, लक्जमबर्ग में लिस्टेड आर्सेलर मित्तल के शेयर में 20 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई, यूरोप में बढ़ते टैरिफ को लेकर चिंताओं के बावजूद, जिससे मार्जिन प्रभावित होने की उम्मीद है.
इन अरबपतियों की दौलत में आई तेजी
अन्य उल्लेखनीय गेनर में इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो – भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन) के को-फाउंडर राहुल भाटिया शामिल हैं, जिनकी संपत्ति लगभग 25 प्रतिशत बढ़कर 10.8 बिलियन डॉलर हो गई. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की संपत्ति में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई. एवेन्यू सुपरमार्ट्स को कंट्रोल करने वाले राधाकिशन दमानी ने 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. श्री सीमेंट के मानद चेयरमैन बेनू बांगुर और कोटक महिंद्रा बैंक के पूर्व एमडी निदेशक उदय कोटक ने 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की.
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, अन्य अरबपतियों में आयशर मोटर्स के संस्थापक विक्रम लाल (संपत्ति में 16 प्रतिशत की वृद्धि), ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष नुस्ली वाडिया (संपत्ति में 16 प्रतिशत की वृद्धि), इंटरग्लोब एविएशन के को-फाउंडर राकेश गंगवाल (14.5 प्रतिशत), आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला (11.4 प्रतिशत), डिवीज़ लैबोरेटरीज के फाउंडर मुरली डिवी (10 प्रतिशत) और अडानी ग्रुप के फाउंडर गौतम अडानी (9 प्रतिशत) शामिल हैं.
दूसरी ओर, आरजे कॉर्प के अध्यक्ष रवि जयपुरिया की संपत्ति में सबसे अधिक गिरावट देखी गई – 24.6 प्रतिशत की गिरावट – इसके बाद इसकी प्रमुख सहायक कंपनी वरुण बेवरेजेज, जो कि पेप्सिको की फ्रेंचाइजी है, के शेयर में 28.5 प्रतिशत की गिरावट आई. अजीम प्रेमजी (विप्रो) और शापूर मिस्त्री (टाटा संस) की संपत्ति में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई, जबकि शिव नादर की संपत्ति में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई.
7 फीसदी उठा शेयर बाजार
इस दौरान बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 7.2 फीसदी और 8.1 फीसदी की तेजी आई. हालांकि, बीएसई मिडकैप इंडेक्स में सिर्फ 0.5 फीसदी की तेजी आई और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 1.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 8.92 अरब डॉलर से ज्यादा की भारतीय इक्विटी बेची, जबकि खुदरा निवेशकों ने सिर्फ 5,000 करोड़ रुपये जोड़े. म्यूचुअल फंड शुद्ध खरीदार बने रहे, जिन्होंने इक्विटी में 2.38 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया, मई में नकद होल्डिंग 1.65 लाख करोड़ रुपये रही, जो अप्रैल में 1.73 लाख करोड़ रुपये थी.
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