
राज, उद्धव और एकनाथ शिंदे.
महाराष्ट्र की राजनीति में 20 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की एक मंच पर वापसी को लेकर सियासत गरमा गई है. सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य करने का फैसला वापस लेने के बाद हुई इस विजय रैली को विपक्ष ने मराठी अस्मिता की जीत बताया, लेकिन सत्तापक्ष ने इसे एक नाटक करार दिया. अब राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस रैली और ठाकरे बंधुओं के भाषणों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने दावा किया कि इस रैली से मराठी लोगों की उम्मीदें टूट गई हैं.
मीडिया से बातचीत में शिंदे ने रैली की मंशा पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, आज की सभा मराठी भाषा और मराठी लोगों के लिए कही जा रही थी, लेकिन भाषणों में सिर्फ गुस्सा, नफरत और सत्ता की भूख दिखी. अगर वास्तव में मराठी हितों की बात करनी है, तो यह भी बताएं कि मराठी लोगों को मुंबई से बाहर क्यों जाना पड़ा?
शिंदे ने कहा कि मराठी समाज को जबरन वसई-विरार, नालासोपारा, अंबरनाथ, बदलापुर और वांगनी जैसे क्षेत्रों में विस्थापित होना पड़ा. उन्होंने कहा, इस विस्थापन के लिए कौन ज़िम्मेदार है, इस पर कोई जवाब नहीं देता.”
शिंदे का उद्धव ठाकरे पर हमला
एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के भाषणों की तुलना करते हुए कहा, राज ठाकरे के भाषण में मराठी भाषा और अस्मिता के प्रति भावनाएं दिखीं, लेकिन उद्धव ठाकरे के भाषण में सत्ता और कुर्सी की भूख थी. सत्ता पाने के लिए वे किसी का भी सहारा ले सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा, उद्धव ठाकरे मेरी लगातार आलोचना करते हैं, लेकिन मैं कभी निजी हमले नहीं करता. मैंने सिर्फ काम से जवाब दिया है और यही वजह है कि आज मैं उपमुख्यमंत्री बना हूं. जनता ने हमें बार-बार समर्थन देकर यह साबित किया है.
उद्धव ठाकरे द्वारा रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना पर भी शिंदे ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस नेता ने मराठी भाषा को राष्ट्रीय पहचान दी, उसकी भी आलोचना की जा रही है. पीएम मोदी ने हमारी मांग पर तुरंत प्रतिक्रिया दी, लेकिन उद्धव ठाकरे अब भी उनकी आलोचना कर रहे हैं. इससे उनकी हताशा और सत्ता की बेचैनी झलकती है.
अब दूसरों का हाथ पकड़कर उठने की कोशिश
शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर यह आरोप भी लगाया कि वे बार-बार राजनीतिक तौर पर असफल हो रहे हैं और अब अपनी स्थिति सुधारने के लिए राज ठाकरे जैसे नेताओं का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने कहा, 2022 में हमने अन्याय के खिलाफ विद्रोह किया था और तभी से वे गिरते जा रहे हैं. अब वे किसी का भी हाथ पकड़कर खुद को फिर से उठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता सब देख रही है.
शिंदे ने रैली में उद्धव और आदित्य ठाकरे के भाषणों को लेकर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि जहां एक ओर राज ठाकरे ने मराठी अस्मिता की बात की, वहीं आदित्य ठाकरे ने सत्ता और स्वार्थ का झंडा उठाया. जो मन में था, वह उनके शब्दों में छलक गया. इससे मराठी समाज की उम्मीदें और भी टूट गई हैं.
मुंबई महानगरपालिका चुनावों को लेकर ठाकरे बंधुओं के संभावित गठबंधन पर शिंदे ने कहा कि लोकतंत्र में किसी को भी गठबंधन करने का अधिकार है. उन्होंने कहा, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, और भी समीकरण बनेंगे-बिगड़ेंगे. मैंने सबको शुभकामनाएं दी हैं, लेकिन इस रैली से कोई बड़ी राजनीतिक उम्मीदें नहीं जगी हैं.
इनपुट- टीवी9 मराठी
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