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Global Fatty Liver day : फैटी लिवर का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट कराने चाहिए? एक्सपर्ट ने बताया

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Jun 12, 2025    15086 views     Online Now 372

आज के भाग-दौड़ भरे जीवन में खराब खानपान, कम शारीरिक गतिविधि और बढ़ता वजन कई तरह की बीमारियों को दावत दे रहा है. इन्हीं में से एक है फैटी लिवर. पहले यह बीमारी बुजुर्ग लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह युवाओं और यहां तक कि बच्चों तक में भी देखने को मिल रही है. फैटी लिवर की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इसके शुरुआती लक्षण बहुत हल्के या न के बराबर होते हैं, जिससे लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन अगर समय रहते इसका पता लग जाए तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है. तो आइए डॉक्टर से जानते हैं कि फैटी लिवर की सही पहचान के लिए कौन-कौन से टेस्ट कराए जाने चाहिए.

सबसे पहले थोड़ा फैटी लिवर को समझ लें. हमारे लिवर में एक तय मात्रा में वसा (फैट) होना सामान्य बात है, लेकिन जब लिवर में वसा की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो इसे फैटी लिवर कहा जाता है. इसे मेडिकल भाषा में NAFLD (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease) भी कहते हैं. अगर लिवर में सूजन भी आ जाती है तो इसे NASH (Non-Alcoholic Steatohepatitis) कहा जाता है.

फैटी लिवर के शुरुआती संकेत क्या हैं

दिल्ली में आरएमएल अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ. पुलीन कुमार बताते हैं किथकान रहना, पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द या भारीपन, वजन बढ़ना, भूख में कमी, त्वचा या आंखों में पीलापन (कभी-कभी), कई बार ये लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग इन्हें सामान्य समझकर अनदेखा कर देते हैं. ऐसे में टेस्ट करवाना जरूरी हो जाता है.

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वो जरूरी टेस्ट जो फैटी लिवर का सही-सही पता लगाने में मदद करते हैं

लिवर फंक्शन टेस्ट

यह खून की एक जांच होती है जिसमें लिवर से जुड़े एंजाइम्स जैसे ALT, AST, ALP आदि की मात्रा देखी जाती है. अगर इनकी मात्रा सामान्य से ज्यादा हो तो यह संकेत हो सकता है कि लिवर में सूजन है या लिवर की कार्यक्षमता गड़बड़ा रही है.

अल्ट्रासाउंड

फैटी लिवर की जांच के लिए सबसे आम और शुरुआती टेस्ट यही है. अल्ट्रासाउंड से लिवर के आकार और उस पर जमा वसा की स्थिति का पता चलता है. यह दर्द रहित, सस्ता और आसानी से उपलब्ध टेस्ट है.

फाइब्रोस्कैन

यह एक एडवांस जांच है जो लिवर में जमे फैट और लिवर की कठोरता (फाइब्रोसिस) की जांच करता है. इस टेस्ट से पता चलता है कि फैटी लिवर के साथ लिवर को कितना नुकसान हो चुका है. यह बिलकुल नॉन-इनवेसिव जांच होती है.

सीटी स्कैन या एमआरआई

अगर डॉक्टर को जरूरत लगे तो वो सीटी स्कैन या एमआरआई कराने की सलाह दे सकते हैं. इनसे लिवर की पूरी बनावट और फैट की मात्रा का सटीक अंदाजा मिलता है.

फैटी लिवर में समय रहते जांच क्यों जरूरी है?

डॉ पुलीन बताते हैं किफैटी लिवर को अगर शुरुआत में पकड़ लिया जाए तो इसे पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह धीरे-धीरे लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लिवर फेलियर तक बढ़ सकता है. कुछ मामलों में यह लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है.

कैसे बचाव करें?

वजन को नियंत्रित रखें. संतुलित और हेल्दी डाइट लें जिसमें ताजे फल, हरी सब्जियां, फाइबर और प्रोटीन भरपूर हो. जंक फूड, तली-भुनी और मीठी चीजों से दूरी बनाएं. नियमित व्यायाम करें. शराब का सेवन न करें. समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराते रहें.

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