• Tue. Mar 18th, 2025

तेलंगाना ने ओबीसी का बढ़ाया आरक्षण, देना कितना मुश्किल, बिहार जैसा न हो जाए हश्र

ByCreator

Mar 18, 2025    150813 views     Online Now 231
तेलंगाना ने ओबीसी का बढ़ाया आरक्षण, देना कितना मुश्किल, बिहार जैसा न हो जाए हश्र

सीएम रेवंत रेड्डी

तेलंगाना की कांग्रेस सरकार अपने वादे को अमलीजामा पहनाने जा रही है. सीएम रेवंत रेड्डी ने सोमवार को विधानसभा में ऐलान किया है कि उनकी सरकार ने ओबीसी के आरक्षण सीमा को बढ़ाने का फैसला किया है. राज्य में ओबीसी को मिलने वाले 23 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 42 फीसदी करने का कदम उठाएगी. इस तरह तेलंगाना की शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ओबीसी आबादी के लिए 42 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने का ऐलान किया है.

ओबीसी समाज का 42 फीसदी आरक्षण लागू हो जाता है, तो फिर तेलंगाना में आरक्षण की सीमा 62 फीसदी हो जाएगी. सीएम रेवंत ने जरूर ओबीसी का आरक्षण को 23 से बढ़ाकर 42 करने की बात कही हो, लेकिन उसे अमलीजामा पहनाना आसान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के दायरे को 50 फीसदी तक सीमित कर रखा है. ऐसे में कहीं बिहार जैसा हश्र न हो जाए क्योंकि नीतीश कुमार सरकार ने दलित और ओबीसी के आरक्षण को बढ़ाने का फैसला लिया था, लेकिन अदालत के फेर में फंस गया है.

तेलंगाना में ओबीसी का आरक्षण बढ़ा

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने जाति जनगणना के नतीजे जारी करते हुए बताया कि तेलंगाना में पिछड़े वर्गों की आबादी 56.36 फीसदी है. उन्होंने कहा कि यह फैसला वैज्ञानिक और कानूनी प्रक्रिया के आधार पर लिया गया है. इसके लिए रेवंत सरकार ने ओबीसी समाज को 42 फीसदी आरक्षण देने की मंशा से दो विधेयक पेश किए हैं. इसके एक आरक्षण शिक्षा, सरकारी नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में दिया जाएगा. दूसरा ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में भी ओबीसी कोटा 23 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा है.

तेलंगाना विधानसभा में कुल 117 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस के पास 64 विधायक हैं. रेवंत रेड्डी सरकार विधानसभा में ओबीसी के आरक्षण लिमिट बढ़ाने वाले बिल को पास करा लेगी, लेकिन इसके लागू होने के बाद तेलंगाना में आरक्षण की सीमा 62 फीसदी पहुंच जाएगी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित किए गए 50 फीसदी आरक्षण की सीमा से ज्यादा हो जाएगा. इसके लिए कहीं ग्रहण न लग जाए. हालांकि, सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा है कि हम ओबीसी आरक्षण को 42 फीसदी बढ़ाने के लिए कानूनी सहायता भी लेंगे, हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे, जब तक ओबीसी को 42 फीसदी आरक्षण नहीं देते.

See also  अमेरिका के बाद अब कनाडा ने उठाया कदम, इन 7 ग्रुप को घोषित किया आतंकी संगठन

क्या-क्या अड़चनेंआसकती है?

रेवंत रेड्डी के अगुवाई वाली तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर जरूर 42 फीसदी कर दिया है, जबकि अभी तक कुल आरक्षण 50 फीसदी है. अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के लिए 6 फीसदी और ओबीसी को चार कैटेगरी में कुल 29 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है, जिनमें 4 फीसदी मुस्लिम ओबीसी जातियों का आरक्षण भी शामिल है. हालांकि, स्थानीय निकाय में ओबीसी को 23 फीसदी आरक्षण मिल रहा था, जिसे बढ़ाकर 42 किया है. इस लिहाज से आरक्षण की लिमिट 62 फीसदी हो रही है और आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण जातियों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को जोड़ देते हैं, तो फिर बढ़कर 72 फीसदी हो जाएगा.

आरक्षण को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन और केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होती. ऐसे में यह विधेयक लागू हो पाएगा या नहीं इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. केंद्र से मंजूरी नहीं मिलती है तो तेलंगाना सरकार के लिए उसे अमलीजामा पहनाना आसान नहीं है. इसकी वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने पर रोक लगा रखी है, जिसके चलते कई राज्य सरकार के आरक्षण लिमिट बढ़ाने की अरमानों पर पानी फिर चुका है.

बिहार जैसे न हो तेलंगाना का हश्र

तेलंगाना से पहले बिहार की नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने राज्य में जातिगत सर्वे को कराकर आरक्षण की लिमिट को बढ़ाया था. बिहार की विधानसभा में 9 नवंबर 2023 को आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पास हो गया था. इसमें जातिगत आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया था. इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS के 10 फीसदी कोटे को मिलाकर बिहार में कुल आरक्षण 75 फीसदी पहुंच गया था. इस तरह आरक्षण के लिए तय अधिकतम सीमा 50 फीसदी से ज्यादा हो गई थी.

See also  छिंदवाड़ा में अमित शाह का रोड शो: नाइट लैंडिंग सुविधा नहीं होने पर बाय रोड पहुंचे, कमलनाथ के गढ़ में करेंगे रात्रि विश्राम

सीएम नीतीश ने ओबीसी आरक्षण को 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को 18 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी, अनुसूचित जाति के आरक्षण को 16 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण की सीमा को एक फीसदी से बढ़ाकर दो फीसदी किया था. इस तरह आरक्षण कुल 75 फीसदी पहुंच गया.

बिहार सरकार के द्वारा आरक्षण को बढ़ाए जाने को लेकर अदालत में चुनौती दी गई. पटना हाईकोर्ट ने जुलाई 2024 में आरक्षण को बढ़ाने वाले कदम को खारिज कर दिया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में आया. हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार का यह कदम संविधान के द्वारा दिए गए समानता के अधिकार में दखल देगा, लेकिन अभी मामला कानूनी पेंच में फंसा हुआ है. इस वजह से बढ़ा हुआ आरक्षण अभी तक लागू नहीं हो सका. ऐसे में माना जा रहा है कि कहीं तेलंगाना सरकार के आरक्षण का मामला भी कहीं कानूनी अड़चनों में न फंस जाए.

मराठा-जाट आरक्षण पर लगा ग्रहण

महाराष्ट्र की सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का फैसला किया था, जिसे लेकर कोर्ट में चुनौती दी गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट में आया तो पांच मई 2021 को मराठा आरक्षण खत्म कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था क्योंकि आरक्षण सीमा 50 फीसदी से ऊपर हो गई थी. अदालत ने कहा था कि आरक्षण को लागू करने से 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन होगा.

See also  सेवानिवृत्ति के बाद गारंटीड आय और 15% लाभ

हरियाणा में जाट समाज को ओबीसी के तहत आरक्षण देने का फैसला किया था, लेकिन मामला अदालत पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च 2015 को जाट आरक्षण खत्म कर दिया था. अदालत ने कहा था कि जाति आरक्षण का आधार नहीं हो सकता है क्योंकि जाट सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग नहीं हैं. आरक्षण का आधार सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक होना चाहिए इसलिए केन्द्रीय नौकरियों और शिक्षक संस्थानों में भी जाटों को आरक्षण नहीं मिलेगा.

आंध्र प्रदेश में मुस्लिम आरक्षण खत्म

आंध्र प्रदेश की सरकार ने मुस्लिमों को पांच फीसदी आरक्षण दिया था. मामला अदालत में आया और 15 फरवरी 2013 को मुस्लिम आरक्षण रद्द कर दिया था. साल 2013 में दूसरी बार आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने रोजगार और शैक्षिक संस्थानों में 5 फीसदी मुस्लिम आरक्षण का कोटा रद्द कर दिया था. फिलहाल आंध्र प्रदेश में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम रिजर्वेशन का कोटा 7 फीसदी से 10 फीसदी तक है. इसके बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने साढ़े चार फीसदी आरक्षण कोटा के भीतर कोटा के तहत दिया था. हाई कोर्ट ने अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी कोटा के भीतर कोटा यानी उप कोटा रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण पूरी तरह से धार्मिक आधार पर नहीं हो सकता है.

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL