जोरावर टैंक
रक्षा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण (डीआरडीओ) का हल्के युद्धक टैक जोरावर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है. गुजरात के हजीरा में हल्के युद्धक टैंक जोरावर का शनिवार को परीक्षण शुरू किया गया. लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) लिमिटेड और डीआरडीओ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित जोरावर को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) चीन से मुकाबला को तैयार है. इसे लद्दाख में तैनात करने की योजना बनाई जा रही है.
डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने शुक्रवार को गुजरात के हजीरा में लार्सन एंड टूब्रो संयंत्र में परियोजना में हुई प्रगति की समीक्षा की. लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए दो साल के रिकॉर्ड समय में विकसित यह टैंक स्वदेशी निर्माण में भारतीय प्रगति का प्रमाण है.
25 टन है जोरावर का वजन
रूस और यूक्रेन संघर्ष से सबक लेते हुए डीआरडीओ और एलएंडटी ने टैंक में लोइटरिंग म्यूनिशन में यूएसवी को एकीकृत किया है. लाइट टैंक जोरावर का वजन 25 टन है. यह पहली बार है, जब इतने कम समय में एक नया टैंक डिजाइन किया गया है और परीक्षण के लिए तैयार किया गया है.
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25 टन का जोरावर पहला टैंक है, जिसे दो साल के रिकॉर्ड समय में डिजाइन और परीक्षण के लिए तैयार किया गया है. यह टैंक पहाड़ों में खड़ी चढ़ाई करने में सक्षम है. भारी वजन वाले टी-90 एवं टी-72 टैंकों की तुलना में यह नदियों और अन्य जल निकायों को सरलता से पार कर सकता है.
भारतीय सेना में किया जाएगा शामिल
इस टैंक का नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में सशस्त्र अभियानों का नेतृत्व किया था. भारतीय सेना ने 59 टैंकों के लिए शुरुआती ऑर्डर दिया है.
2027 तक जोरावर हल्के टैंक भारतीय सेना में शामिल किये जा सकते हैं. सेना ने इस स्वदेशी हल्के टैंक खरीदने का प्रस्ताव दिया है. इन टैंकों का इस्तेमाल वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में इसी तरह के बख्तरबंद स्तंभों की चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए किया जाएगा.
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