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हिंदी के कारण बिहार और यूपी की मातृभाषाएं हो गईं नष्ट… केंद्र पर जमकर बरसे डिप्टी CM उदयनिधि

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Mar 2, 2025    150829 views     Online Now 354
हिंदी के कारण बिहार और यूपी की मातृभाषाएं हो गईं नष्ट... केंद्र पर जमकर बरसे डिप्टी CM उदयनिधि

उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन

तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच नई शिक्षा नीति को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम एम.के स्टालिन केंद्र सरकार और खास तौर पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. उन्होंने पिछले दिनों ही कहा था कि हम एक और भाषा का युद्ध लड़ने के लिए तैयार हैं. इस विवाद में उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन भी सीएम के समर्थन और केंद्र के विरोध में उतर आए हैं.

उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि केंद्र तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की योजना बना रहा है. हरियाणा, बिहार और यूपी राज्यों में हिंदी थोपने के कारण उनकी मातृभाषाएं नष्ट हो चुकी हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि अगर हम केवल एनईपी स्वीकार करते हैं, तो वे धन मुहैया कराएंगे, लेकिन अब वे एनईपी को स्वीकार करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये से 6,000 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हम पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है. यदि आप (केंद्र) तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रहे हैं, तो मैं अब स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि तमिलनाडु को एक और भाषा युद्ध का सामना करना पड़ेगा.

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नई शिक्षा नीति लागू नहीं करेंगे- सीएम स्टालिन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के माध्यम से कथित हिंदी थोपने को लेकर केंद्र के साथ तनाव बढ़ रहा है.हिंदी को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही है. सीएम स्टालिन ने कहा कि वे किसी भी कीमत पर राज्य में नई शिक्षा नीति लागू नहीं करेंगे, भले ही कुछ हो जाए.

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क्या है पूरा विवाद

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बीच बीते कई दिनों से जुबानी जंग चल रही है. बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तमिलनाडु में लागू करने से स्टालिन के इनकार पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी. वहीं स्टालिन, केंद्र सरकार पर जबरन राज्य में इसे लागू करने का आरोप लगा रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा था कि जब तक तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक केंद्र सरकार की तरफ से उसे फंड नहीं दिया जाएगा.

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