शाहरुख खान, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ और दिलीप कुमार
सौदागर, खलनायक, परदेस और ताल जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाने वाले निर्देशक सुभाष घई ने बताया है कि पांच तरह के एक्टर होते हैं. इनमें कुछ नॉन एक्टर, कुछ बैड एक्टर, कुठ एक्टर, कुछ गुड एक्टर और कुछ ग्रेट एक्टर होते हैं. उन्होंने अपनी जो ये पांच कैटगरीज़ बताई, सुभाष घई ने अरबाज़ खान को दिए एक इंटरव्यू में कौन किस कैटगरी में फिट बैठता है, उसके बारे में भी बताया है.
अरबाज़ खान के द इन्विसिंबल सीरीज़ में सुभाष घई ने फिल्म और फिल्मी कलाकारों के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने इस दौरान पांच तरह के एक्टर का नाम भी लिया. सुभाष घई ने कहा, “मेरे हिसाब से एक्टर्स बच्चे होते हैं. एक डायरेक्टर को मां की तरह उन्हें उनके साथ सलूक करना होता है. उनसे कहना होता है कि तू भू अच्छा है, तू भी अच्छा है और तू भी अच्छा है. भले ही वो पसंद करे या नहीं. पर हर एक्टर को संभालना डायरेक्टर का काम होता है.”
नॉन एक्टर कौन?
सुभाष घई कहते हैं, “एक्टर पांच किस्म के होते हैं. एक होता है नॉन एक्टर, एक होता है बैड एक्टर, एक होता है एक्टर, एक होता है गुड एक्टर और एक होता है ग्रेट एक्टर. एक फिल्म देखी होगी, सौदागर, उसमे विवेक मुश्राम था, उस लड़के को मैंने लिया था. वो नॉन एक्टर था, उसने कभी कैमरा, स्टूडियो देखा ही नहीं था. राजकुमार साब को उसके सामने डायलॉग बोलने में बहुत तकलफी होती थी. क्योंकि वो डायलॉग की तरह नहीं बोलता था. वो सीधा सीधा बोल देता था.”
बैड एक्टर कौन?
बैड एक्टर के बारे में सुभाष घई ने कहा, “एक होता है बैड एक्टर. जैकी श्रॉफ बैड एक्टर था. हीरो में. उसको जो भी कहो, वो टेंशन में आ जाता था.” जैकी खराब एक्टर थे तो कास्ट क्यों किया? इस सवाल पर सुभाष घई ने कहा, “वो मेरे कैरेक्टर में फिट हो रहा था. उसने जो जिंदगी में थपेड़े खाए थे. उसकी जो सच्चाई थी, मैंने कहा कि ये सीख लेगा. जब मैंने देखा कि ये बैड है तो क्या हुआ मैं इसे सिखा दूंगा. और उसने सीख लिया. वो अच्छा एक्टर बन गया.”
एक्टर कौन?
सुभाष घई ने कहा कि एक्टर अनिल कपूर थे. उन्होंने कहा, “जो एक्टर होते हैं वो डायरेक्टर की ही सुनते हैं. अनिल कपूर को बोलो तुम्हें लखन का रोल करना है वो कर लेगा. अनिल को बोलो मेरी जंग में तुम्हें काम करना है, वकील का रोल करना है, वो कर लेगा. वो पूरी तरह से डायरेक्टर का एक्टर है. उसने खराब किया समझो डायरेक्टर ने खराब किया. वो खराब भी कर सकता है. बहुत बुरी एक्टिंग भी कर सकता है और बहुत ग्रेट एक्टिंग भी कर सकता है, इसे एक्टर कहते हैं.”
गुड एक्टर कौन?
सुभाष घई ने बताया कि गुड एक्टर कौन होते हैं. उन्होंने कहा, “गुड एक्टर वो होता है जो सीन को समझता है. पूरे सीन को समझकर वो सीन से बेहतर कर के दिखाता है. डायरेक्टर भी हैरान होता है कि यार जो सीन लिखा था उसको तुम 25-30 पर्सेंट ऊपर ले गए. जब वो एक्टर रोता है तो डायरेक्टर के तौर पर मैं भी रो पड़ता हूं.” गुड एक्टर कौन है? ये पूछने पर सुभाष घई बोले, “मैंने जितने एक्टर के साथ काम किया वो उस वक्त स्टार नहीं थे. पर उनके पास अपनी क्वालिटीज़ थी. जैसे मैंने परदेस में शाहरुख (खान) के साथ काम किया. तो मुझे लगा ये सीन शाहरुख ने लिखे हुए सीन से अच्छा किया.” सुभाष घई ने बताया कि उनका और शाहरुख का मनमुटाव चलता रहता था. तू तू मैं मैं भी चलती रहती थी. पर वो जब परफॉर्म करता था तो सीन को ऊपर ले जाता था.
ग्रेट एक्टर कौन?
फिर सुभाष घई ने ग्रेट एक्टर्स के बारे में बताया, उन्होंने कहा कि ग्रेट एक्टर दिलीप कुमार साहब हैं. क्योंकि वो आम से सीन, बकवास से सीन को भी अपने परफॉर्मेंस से शानदार बना देंगे. उन्होंने कहा, “सीन की वो तह को, तासीर को, उसके भाव को, उसकी कहानी को, स्थिती को माहौल को समझकर वो परफॉर्म करते हैं. उनको मालूम है कि सीन बहुत खराब लिखा है, या डायलॉग खराब है, लेकिन वो परफॉर्म करेंगे बच्चन साब (अमिताभ बच्चन) ऐसे ही हैं. कभी कभी ऋषि कपूर भी ऐसा कर लेते थे. इन लोगों की फिल्में बुरी हो सकती हैं, लेकिन इनकी परफॉर्मेंस कभी बुरी नहीं हो सकती हैं.
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