रेलवे ट्रैक पर सिलेंडर रखकर रील बनाता गुलजार शेख.
हाल के दिनों में यह पाया गया कि बहुत सारे रील बनाने वालों ने रेलवे ट्रैक से लेकर स्टेशन और तमाम जगहों पर रील बनाई. इसी क्रम गुरुवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले से गुलजार शेख नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया. गुलजार रेलवे लाइन पर सिलेंडर, साइकिल आदि रखकर ट्रेन आने पर वीडियो बनाता था और इसे अपने इंस्टग्राम पेज पर अपलोड करता था. रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गुलजार शेख की गिरफ्तारी के बाद से अचानक सोशल मीडिया पर रेलवे पर रील बनाकर डालने वालों की संख्या कम हो गई.
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक, इस पूरे मामले में रेलवे काफी सख्त है. ऐसे लोगों पर कड़ी कारवाई करने को कहा गया है, जो रेलवे की संपत्ति का उपयोग कर इस तरह की रील बनाते हैं. रेलवे का मानना है कि रील के चक्कर में रेलवे की संपत्ति का नुकसान भी हो सकता है. RPF चौकी कुंडा ने रेलवे लाइन पर सिलेंडर, साइकिल आदि रखकर ट्रेन आने पर वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर अपलोड करने वाले युवक गुलजार के धारा 147, 145 और 153 रेलवे एक्ट में मुकदमा दर्ज किया है.
अब रील डीलिट कर रहे लोग
रेलवे के सोशल मीडिया टीम के सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, रेलवे ट्रैक, ट्रेन इंजन और रेलवे की अन्य दूसरी जगहों से जिस तरह से रील बनाकर उसे अपलोड किया जा रहा था, अब उन रीलों को डीलीट किया जा रहा है. यह डीलीट करने के काम रेलवे नहीं, बल्कि खुद इन रीलों को अपलोड करने वाले शख्स कर रहे हैं. जिस तरह से RPF ने पूरे मामले को लेकर संज्ञान लिया है, उसके बाद से लोग इस तरह का कदम उठा रहे हैं.
रेलवे को क्यों करनी पड़ी सख्ती?
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, हाल के दिनों में रेलवे में कई सारी दुर्घनाएं हुई हैं. हालांकि इन दुर्घटनाओं के पीछे कई तरह की वजहें देखने को मिली हैं. बावजूद इसके रेलवे का मानना है कि जिस तरह से रील बनाने के चक्कर में रेलवे ट्रैक पर पत्थर, गैस सिलेंडर और दूसरी चीजों को रखा जा रहा है, उससे ट्रेन परिचालन में बाधा आ सकती है और किसी भी तरह की दुर्घटना भी हो सकती है. यही वजह है कि RPF को सोशल मीडिया से मिल रील पर कठोर और सख्त कदम उठाने को कहा गया है.
क्या कहता है कानून?
भारत में रेलवे संपत्ति पर बर्बरता और अतिक्रमण गंभीर अपराध है और ये संपत्तियां कई कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत आती हैं. रेलवे अधिनियम 1989 के धारा 147- यह धारा अतिक्रमण से संबंधित है. रेलवे संपत्ति के किसी भी हिस्से में अवैध रूप से प्रवेश करने या रहने वाला कोई भी व्यक्ति दंड के लिए उत्तरदायी है. धारा 152- यह धारा रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दुर्भावनापूर्ण कृत्य को संबोधित करती है, जिसमें बर्बरता भी शामिल है. अपराधियों को कारावास और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.
सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984- यह अधिनियम रेलवे संपत्ति सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है, जिसके लिए कारावास और जुर्माना हो सकता है. ये अधिनियम एक साथ यह सुनिश्चित करते हैं कि रेलवे संपत्ति पर बर्बरता और अतिक्रमण को महत्वपूर्ण कानूनी परिणामों के साथ गंभीर अपराध माना जाता है.
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