
Skoda Auto को मिली राहत
सेडान सेगमेंट में अलग पहचान रखने वाली कार कंपनी स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया को बड़ी राहत मिली है. कंपनी के खिलाफ जहां एक ओर हजारों करोड़ रुपए के टैक्स बकाया का केस चल रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि टैक्स केस के बावजूद कंपनी का कोई भी इंपोर्ट रोका नहीं गया है. आखिर कितना बड़ा है ये मामला?
कस्टम विभाग ने बॉम्बे हाईकोर्ट को जानकारी दी कि स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया पर 1.4 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपए) के टैक्स बकाया होने का केस चल रहा है. इसके बावजूद कंपनी के किसी भी इंपोर्ट कंसाइनमेंट को ना तो रोका गया है और ना ही आगे रोका जाएगा. स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी फॉक्सवैगन की सब्सिडियरी है. ये जर्मनी की कार कंपनी है.
सीमा शुल्क विभाग (कस्टम डिपार्टमेंट) ने सोमवार को अदालत में कहा कि स्कोडा को सितंबर 2024 में 1.4 अरब डॉलर का टैक्स नोटिस भेजा गया था. फिर भी कंपनी के किसी इंपोर्ट कंसाइनमेंट को रोका नहीं गया है. कंपनी ने इस टैक्स नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और टैक्स नोटिस को मनमाना और अवैध करार दिया था.
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क्यों भेजा गया हजारों करोड़ का टैक्स नोटिस?
टैक्स ऑफिशियल ने कंपनी को इंपोर्ट ड्यूटी में करीब 1.4 अरब डॉलर की कथित धोखाधड़ी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. स्कोडा अपनी कारों को इंडिया में अलग-अलग टुकड़ों (CKD) में लेकर आती है और फिर भारत में उनकी असेंबलिंग करती है. ये टैक्स केस कार के इन्हीं अलग-अलग हिस्सों के इंपोर्ट से जुड़ा है. फॉक्सवैगन समूह भारत में ऑडी, फॉक्सवैगन और स्कोडा जैसे अलग-अलग ब्रांड के तहत कई ऐसे मॉडल की बिक्री करता है, जो सीकेडी यूनिट के तौर पर इंडिया आते हैं और फिर उनकी यहां असेंबलिंग होती है.
अदालत की सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
बॉम्बे हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की और कहा कि वह 20 फरवरी को सुनवाई जारी रखेंगे. पीठ ने सवाल किया कि क्या होगा यदि कंपनी एक कलपुर्जे को छोड़कर कार के सभी कलपुर्जों को इंपोर्ट करती है. इसके बाद कहती है कि वे केवल कलपुर्जे (कंपोनेंट) हैं और सीकेडी यूनिट नहीं हैं.
जस्टिस कोलाबावाला ने कहा कि मान लीजिए आप एक कंपोनेंट (जैसे कि गियर बॉक्स) को छोड़कर सभी पार्ट्स का इंपोर्ट करेंगे, तब भी आप कंपोनेंट के दायरे में आएंगे और सीकेडी की तुलना में कम कर जमा करेंगे. क्या यह सिर्फ चतुराई से किया गया टैक्स कैलकुलेशन है? उन्होंने कहा कि आप (स्कोडा) भले गियर बॉक्स और इंजन को छोड़कर सभी हिस्सों को एक ही साथ इंपोर्ट करें, तब भी आप सीकेडी यूनिट कंपोनेंट्स के अंतर्गत नहीं आएंगे?
कस्टम विभाग की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण ने अदालत को बताया कि वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय एजेंसी ने आज तक जर्मनी की कार विनिर्माता की किसी भी खेप को नहीं रोका है और आगे भी ऐसा नहीं करेगी. पीठ ने बयान को स्वीकार कर लिया.
स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने कारण बताओ नोटिस को अवैध और मनमाना बताते हुए इसे रद्द करने की अपील की थी. उन्होंने दलील दी कि 2011 से 2024 तक कंपनी के बिलों का भुगतान करने के बाद अधिकारी अब 2024 में इतनी अधिक राशि की मांग नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि कंपनी कारों के अलग-अलग हिस्सों का इंपोर्ट कर रही है, न कि ‘पूरी तरह से तैयार’ यूनिट यानी सीकेडी यूनिट का, जैसा सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने दावा है
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