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Shukrwar Puja: शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा में करें इन मंत्रों का जप, पैसों की तंगी हमेशा के लिए होगी दूर | Shukrawar Lakshmi Puja mantra for money problems maa lakshmi mantra

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Jun 14, 2024    150849 views     Online Now 338
Shukrwar Puja: शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा में करें इन मंत्रों का जप, पैसों की तंगी हमेशा के लिए होगी दूर

लक्ष्मी पूजा

Maa Laxmi Mantra: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की के लिए समर्पित होता है. शुक्रवार के दिन उनके निमित्त वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखने का विधान है. इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है. ज्योतिष के अनुसार, किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. धर्म शास्त्रों में निहित है कि मां लक्ष्मी स्वभाव से बेहद ही चंचल और शांत है. मां लक्ष्मी एक स्थान पर ज्यादा समय तक नहीं ठहरती हैं जिसकी वजह से जीवन में सुख-दुख का संयोग लगा रहता है. हर दुख को दूर करने के लिए नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.

अगर आप भी पैसे की तंगी से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, तो कम से कम 16 शुक्रवार लक्ष्मी वैभव व्रत जरूर रखें. साथ ही शुक्रवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. इसके अलावा, पूजा के समय इन मंत्रों का जप जरूर करें. मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं और धन से जुड़ी हर एक समस्या दूर कर देती हैं.

मां लक्ष्मी पूजा मंत्र

1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

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4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।

ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।

6. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

7. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

8. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

9. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।

10. लक्ष्मी ध्यानम

सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,

कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।

हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,

आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥

भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,

रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।

नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,

पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥

वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,

हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।

भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,

पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥

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