
कैप्टन शुभांशु शुक्ला और पीएम नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो)
स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्री कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगभग 17 मिनट कर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से न सिर्फ अपने अनूठे अनुभव के साथ-साथ पहली बार स्पेस स्टेशन में लगाए गए तिरंगे का गौरवपूर्ण अहसास भी साझा किया. इस दौरान शुभांशु शुक्ला ने पीएम मोदी को हैरान करने वाली बातें भी बताईं.
कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पीएम मोदी से कहा कि बहुत नया अनुभव है. उन्होंने कहा कि पृथ्वी की कक्षा से हम हर रोज 16 बार सूर्यास्त और सूर्योदय देखते हैं. ऐसी चीजें हो रही हैं, जो दर्शाता है कि हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कुशल-क्षेम
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनका उत्साहवर्धन करते हुए अंतरिक्ष के जुड़े भारत के भविष्य के संकल्पों का साझीदार बनने का आव्हान किया. शनिवार को स्पेस स्टेशन से सेटेलाइट के माध्यम से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी कुशल-क्षेम पूछी.
प्रधानमंत्री मोदी ने जब अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से कहा कि उनकी अंतरिक्ष यात्रा भारत के गगनयान मिशन की दिशा में पहला कदम है, तब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भारत माता की जय के नारे से गूंज उठा.
पूरे देश की सामूहिक उपलब्धि
पृथ्वी की 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा कर रहे आईएसएस पर मौजूद शुक्ला से बातचीत करते हुए मोदी ने कहा कि आपकी ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह विकसित भारत की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को नयी गति प्रदान करेगी. शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन की उनकी यात्रा न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र की सामूहिक उपलब्धि है.
अंतरिक्ष से कैसा दिखता है भारत?
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन से वीडियो लिंक के माध्यम से प्रधानमंत्री को बताया कि जब मैंने पहली बार अंतरिक्ष से भारत को देखा, तो यह मैप की तुलना कहीं अधिक बड़ा और भव्य दिखाई दिया. शुक्ला ने कहा कि आप वास्तव में एकत्व की भावना महसूस कर सकते हैं, यहां कोई सीमा नहीं है, कोई रेखा नहीं है. ऐसा लगता है, जैसे यह पूरी धरती हमारा घर है और हम सभी इसके नागरिक हैं.
बंधे हुए थे शुभांशु शुक्ला के पैर
अंतरिक्ष और पृथ्वी के बीच किस तरह का अंतर है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शुभांशु शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में सब कुछ जमीन पर मिले ट्रेनिंग से अलग लगता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से बात करते समय उनके पैर बंधे हुए थे, अन्यथा वह तैरने लगते. उन्होंने कहा कि पानी पीने या सोने जैसे सरल कार्य अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण चुनौतियां बन जाती हैं.
शुक्ला ने बताया कि कोई व्यक्ति छत पर, दीवारों पर या कहीं भी सो सकता है, क्योंकि वातावरण ही कुछ ऐसा होता है. उन्होंने कहा कि इस बदले हुए वातावरण में समायोजन करने में एक या दो दिन लगते हैं, लेकिन यह अनुभव विज्ञान और आश्चर्य का एक सुंदर सामंजस्य है.
गाजर-मूंग दाल का हलवा और आम रस
शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि मैं गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस लेकर आया हूं. मैं चाहता था कि दूसरे देशों से मेरे साथ आए सभी लोग स्वादिष्ट भारतीय व्यंजनों का आनंद लें. हम सभी ने इसे एक साथ खाया और सभी को यह पसंद आया. पीएम मोदी ने शुभांशु शुक्ला से पूछा था क्या उन्होंने अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कोई भारतीय व्यंजन साझा किया है.
शुभांशु शुक्ला वाणिज्यिक एक्सिओम-4 मिशन के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे, जहां वे 14 दिन तक रुकेंगे और इस दौरान अंतरिक्ष यात्री कई वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. गुरुवार को ऑर्बिटल लैब पहुंचने के बाद, शुभांशु शुक्ला और तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने पूरा दिन अपने शयन कक्षों को व्यवस्थित करने में बिताया.
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