
चंदन मर्डर केस
विश्वामित्र की नगरी बक्सर का इतिहास काफी समृद्ध है. गंगा किनारे बसा बिहार का यह शहर न केवल भगवान राम और लक्ष्मण की यात्रा का साक्षी रहा है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के कई महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का भी गवाह रहा है. आज़ादी के बाद यह जिला धीरे-धीरे विकास की राह पर आगे बढ़ता गया. लेकिन समय के साथ हालात बदले और चंदन-शेरू नामक दो कुख्यात अपराधियों के उभरने से जिले में भय और आतंक का माहौल फैल गया. अब चंदन मिश्रा इस दुनिया में नहीं रहा. पटना के पारस अस्पताल में उसकी निर्मम हत्या कर दी गई. आशंका है कि इस हत्या के पीछे बंगाल की जेल में बंद शेरू का हाथ है. हैरानी की बात यह है कि शेरू वही व्यक्ति है, जो कभी चंदन का सबसे करीबी दोस्त हुआ करता था. आइए जानते हैं, कैसे एक समय के जिगरी दोस्त एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन गए?
बक्सर शहर से 43 किमी दूर सिमरी गांव है. इसी गांव का शेरू उर्फ ओंकार नाथ सिंह है. सिमरी के पास में ही सोनबरसा गांव है, जहां का चंदन मिश्रा निवासी था. शेरू और चंदन मिश्रा को शौक था तो बस क्रिकेट का. आसपास के गांवों में जहां भी क्रिकेट टूर्नामेंट होता था, दोनों पहुंच जाते. एक क्रिकेट मैच के दौरान ही दोनों मिले. फिर दोनों में दोस्ती हो गई. साल 2009 में क्रिकेट खेलते के दौरान विवाद हो गया और गुस्से में आकर दोनों ने अनिल सिंह नाम के एक शख्स की हत्या कर दी. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और नाबालिग होने के चलते दोनों को बाल सुधार गृह भेज दिया.
बक्सर-आरा में थी दोनों की दहशत
नाबालिग होने की वजह से उठाकर शेरू और चंदन जल्दी जेल से बाहर आ गए. दोनों ने मिलकर अपना गैंग बना लिया और इलाके में रंगदारी वसूलना शुरू कर दिया.बक्सर के साथ-साथ आरा में भी इनकी दहशत फैलने लगी. बाल सुधार गृह से छूटने के बाद दोनों ने एक के बाद एक कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया. 21 अगस्त 2011 को भोजपुर चूना भंडार के मालिक राजेंद्र केसरी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी. सुबह करीब 9:05 बजे तीन बदमाश मोटरसाइकिल पर आए, जिनमें से एक दुकान के बाहर निगरानी करता रहा, दूसरा मोटरसाइकिल पर बैठा रहा और तीसरे ने दुकान में घुसकर ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए राजेंद्र केसरी की हत्या कर दी. हत्या के पीछे रंगदारी न देने का मामला सामने आया. इस मर्डर केस में चंदन और शेरू का नाम सामने आया.
दोनों की राहें अलग-अलग हो गईं
इस मर्डर के बाद किसी बात को लेकर चंदन और शेरू के बीच विवाद हो गया. फिर दोनों की राहें अलग-अलग हो गईं. दोनों अब अलग-अलग गैंग बनाकर वारदातों को अंजाम देने लगे. राजेंद्र मर्डर केस में शेरू और चंदन को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था. चंदन पटना के बेऊर जेल में बंद था और बीमार होने पर इलाज के लिए बाहर आया था.
चंदन मिश्रा और शेरू सिंह पर दर्जनों मामले दर्ज
चंदन मिश्रा और शेरू सिंह पर बक्सर समेत बिहार के अन्य जिलों में दर्जनों संगीन आपराधिक मामले दर्ज थे. ये दोनों भोजपुर के मशहूर व्यवसायी राजेंद्र केसरी की हत्या के बाद बिहार पुलिस की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल हो गए थे. बक्सर के स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि दोनों अपराधियों को बक्सर कोर्ट में लाना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण होता था. उन्हें विशेष सुरक्षा में अलग वाहन से लाया जाता था, जिसमें पायलट जीप भी शामिल होती थी.
2011 से लेकर 2013 तक: एक के बाद एक कत्ल से दहशत
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- मार्च 2011: मोहम्मद नौशाद की हत्या
- अप्रैल 2011: भरत राय की हत्या
- मई 2011: जेल क्लर्क हैदर अली की हत्या
- जुलाई 2011: शिवजी खरवार और मोहम्मद निजामुद्दीन का मर्डर
- अगस्त 2011: चूना व्यापारी राजेंद्र केसरी की हत्या
- 11 अप्रैल 2012- आरा में कोचिंग संचालक की हत्या
- 2013-आरा के जेल गेट के सामने सिपाही की हत्या
राजेंद्र केसरी हत्याकांड के बाद दोनों को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया. बक्सर कोर्ट में पेशी हुई और फिर उन्हें भागलपुर व बेऊर जेल भेजा गया. जेल में रहते हुए भी दोनों अपने-अपने गैंग को संचालित करते रहे. इस केस में शेरू को फांसी और चंदन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने शेरू की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
पारस अस्पताल में हुई चंदन की हत्या
चंदन को पाइल्स (बवासीर) की सर्जरी के लिए पेरोल पर जेल से बाहर लाया गया था. पटना के पारस अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. 18 जुलाई को उसकी पेरोल खत्म होने वाली थी, लेकिन उससे एक दिन पहले ही 17 जुलाई को उसकी अस्पताल में ही हत्या कर दी गई. इस वारदात ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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