Sawan Shivratri 2025: सावन माह की शिवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. वैसे तो मासिक शिवरात्रि हर माह आती है, लेकिन श्रावण माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि श्रावण भोलेनाथ का प्रिय माह होता है. इस माह में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है.
सावन शिवरात्रि के व्रत का भी विशेष महत्व है. इस दिन लोग अपने दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए व्रत करते हैं. साथ ही कुंवरी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं. सावन शिवरात्रि के दिन इस बात का खास ख्याल रखें कि जो लोग सुबह शिव जी पर जल चढ़ाना चाहते हैं वो ब्रह्म मुहूर्त में पूजन करें. हालांकि शिवरात्रि पर निशिता मुहूर्त में जलाभिषेक करना श्रेष्ठ होता है.
सावन शिवरात्रि 2025 पर भद्रा का साया
सावन माह की शिवरात्रि के दिन भद्रा का साया रहेगा. आज सुबह 5.37 मिनट से लेकर दोपहर 3.31 मिनट तक भद्रा काल रहेगा. भद्रा काल को अशुभ काल माना जाता है. लेकिन अगर आप भोलेनाथ की आराधना सच्चे मन से इस काल में करते हैं तो देवों के देव महादेव का आशीर्वाद सैदाव बना रहता है और पूजा का फल प्राप्त होता है.
सावन शिवरात्रि 2025 जलाभिषेक का समय
- ब्रह्म मुहूर्त 23 जुलाई को सुबह 04:15 से 04:56 तक रहेगा.
- निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 12:07 से लेकर 12:48 मिनट तक रहेगा.
सावन शिवरात्रि में चार पहर पूजा का मुहूर्त
- इस दिन रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय शाम 7:17 से 09:53 मिनट तक रहेगा
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय का समय रहेगा रात 9:53 से 12:28
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय रहेगा 12:28 से सुबह 03:03 मिनट तक
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय रहेगा 03:03 से सुबह 05:38 मिनट तक
- निशिता काल पूजा समय रहेगा रात 12:07 से लेकर 12:48 मिनट तक, जिसकी कुल अवधि 41 मिनट रहेगी.
सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
इस दिन मंत्र जाप का विशेष महत्व है.
- ॐ महाकाल नमः’
- ॐ पार्वतीयै नमः’
- ‘ॐ उमापति नमः’
- ॐ जगन्मात्रे नमः’
- ‘ॐ भोलेनाथ नमः’
- ‘ॐ सरस्वत्यै नमः’
- ‘ॐ ज्योतिलिंग नमः
- ‘ॐ चामुण्डायै नमः’
- ‘ॐ चंद्रधारी नमः’
- ‘ॐ शिवदुत्यै नमः’
सावन शिवराात्रि 2025 पूजन विधि (Sawan 2025 Pujan Vidhi)
- सावन शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें.
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर यानी पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें.
- बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, चंदन, फल और धूप-दीप अर्पित करें.
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और फिर रात्रि काल में जलाभिषेक करें.
- ‘रात्रि जागरण करें. रातभर शिव भजन, स्तोत्र या शिव पुराण का पाठ करें.
- अगले दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत का पारण करें.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login