• Wed. Jul 2nd, 2025

सावन माह की पूर्णिमा कब, नोट करें सही डेट और इस दिन का महत्व

ByCreator

Jun 27, 2025    150827 views     Online Now 446

Sawan Purnima 2025 Date: सावन का पवित्र महीना भोलेनाथ शिव शंकर को समर्पित है. इस माह को भोलेनाथ की आराधना के लिए उत्तम माना गया है. इस महीने में सच्चे मन से की गई शिव जी की अराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार का भी विशेष महत्व होता है. वैसे साल में कुल 12 पूर्णिमा पड़ती हैं. हर माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा तिथि होती है इसके अगले दिन से नए माह की शुरूआत होती है. साल 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होगा और 9 जुलाई रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा.

सावन माह के अंतिम दिन सावन की पूर्णिमा तिथि पड़ती है उस दिन रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाता है. मान्यता है इस सावन के महीने की पूर्णिमा भी भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. सावन की पूर्णिमा पर स्नान-दान का भी विशेष महत्व होता है. यहां जानते हैं साल 2025 में किस दिन पड़ेगी श्रावण माह की पूर्णिमा.

सावन पूर्णिमा 2025 तिथि (Sawan Purnima 2025 Tithi)

  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 8 अगस्त 2025, दोपहर 2.12 मिनट
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त 9 अगस्त 2025 1.24 मिनट
  • साल 2025 में सावन माह की पूर्णिमा 9 अगस्त को पड़ेगी.
  • चंद्रोदय का समय शाम 6.45 मिनट रहेगा.

सावन पूर्णिमा का महत्व

हिंदू पंचाग के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा वर्ष की पांचवीं पूर्णिमा है. यह दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन अनेक प्रमुख त्योहार, व्रत रखे जाते हैं.इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है.

See also  IPL 2024 : गुजरात ने राजस्थान को 3 विकेट से हराया, राशिद खान ने आखिरी गेंद पर चौका लगाकर दिलाई जीत

सावन पूर्णिमा के दिन रक्षा बन्धन का पर्व मनाया जाता है.रक्षा बन्धन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं.यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम एवं कर्तव्य को दर्शाता है.

सावन पूर्णिमा के दिन क्या करें?

  • सावन पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान का विशेष महत्व होता है.
  • इस दिन भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करें.
  • पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत करें और उसका पालन करें.
  • पूर्णिमा तिथि पर रात्रि समय चंद्र को अर्घ्य दें, इसका बाद पूर्णिमा का व्रत संपूर्ण माना जाता है.

भगवान कार्तिकेय ने मोर को ही क्यों बनाया अपना वाहन? जानें क्या है कहानी

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL