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कुआं ही नहीं, मस्जिद भी सार्वजनिक जमीन पर बनी है… यूपी सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल

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Feb 24, 2025    150836 views     Online Now 375

संभल मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई करेगा. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के पास स्थित कुआं 19 प्राचीन कुओं में से एक है. प्रशासन ने इनके जीर्णोद्धार की योजना तैयार की है.सोमवार को दाखिल रिपोर्ट में प्रदेश सरकार ने कहा है कि जिस कुआं को शाही मस्जिद परिसर में होने का दावा किया जा रहा है, वो वास्तव में सार्वजनिक भूमि पर है. यही नहीं राज्य सरकार ने रिपोर्ट में मस्जिद के सार्वजनिक भूमि पर स्थित होने की जानकारी अदालत को दी है.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ के सामने यूपी सरकार ने ये भी कहा है कि कुआं ही नहीं, बल्कि मस्जिद भी सार्वजनिक भूमि पर बनी है. याचिकाकर्ता शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने गलत तस्वीर पेश कर इस अदालत को गुमराह करने की कोशिश की है. कु्आं शाही मस्जिद परिसर के पास है, मस्जिद परिसर के भीतर नहीं.

कुएं का मस्जिद से कोई संबंध नहीं

सरकार ने पीठ को ये भी बताया है कि कुएं का मस्जिद से कोई संबंध नहीं, यहां तक की शाही मस्जिद खुद ही सार्वजनिक जमीन पर बनी है. कुएं का इस्तेमाल लंबे समय तक सभी समुदाय के लोग करते रहे हैं लेकिन 1978 में हुए सांप्रदायिक हिंसा के बाद इसके एक हिस्से पर पुलिस चौकी बना दी गई और दूसरे भाग का इस्तेमाल बाद में होता रहा लेकिन 2012 के आसपास इस कुएं को ढंक दिया गया था.

यूपी सरकार ने कहा. ये कुआं उन 19 प्राचीन कुओं में से एक है, जिनका जिला प्रशासन जीर्णोद्धार करने में लगा है. इन ऐतिहासिक कुओं से संभल को सांस्कृतिक पहचान मिलेगी और इससे बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे. जिला प्रशासन की योजना परिक्रमा पथ, साइन बोर्ड जैसी बहुत सी सुविधाओं के विकास भी शामिल है लेकिन मस्जिद समिति इलाके के विकास को रोकने का प्रयास कर रही है.

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सरकार ने कहा है कि मस्जिद के पास बने कुएं में अभी पानी नहीं है लेकिन जिला प्रशासन का मकसद इस कुएं के जरिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर रिचार्ज और दूसरे मकसद को पूरा करना है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी. 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अन्य प्राधिकारियों से कुएं को लेकर कोई कदम नहीं उठाने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने दिया था ये आदेश

कोर्ट ने मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से मस्जिद के प्रवेश द्वारा के पास स्थित कुएं को लेकर यथास्थिति बनाए रखने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया था. साथ ही केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक, संभल के जिलाधिकारी और वाद दाखिल करने वाले हरि शंकर जैन के नेतृत्व में हिंदू पक्ष से जुड़े व्यक्तियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर अपना-अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था.

अदालत ने संभल नगर पालिका परिषद द्वारा मस्जिद के पास स्थित कुएं के संबंध में जारी नोटिस को प्रभावी होने से भी रोक दिया था. मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने पीठ का ध्यान नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस की ओर आकर्षित कराया, जिसमें दावा किया गया था कि कुआं एक मंदिर है.

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने पूछा कि दूसरों को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति देने में क्या बुराई है. इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने कहा कि नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस में इसे (कुआं) हरि मंदिर कहा गया है. अब वो इसका उपयोग पूजा, स्नान आदि के लिए करना शुरू करेंगे.

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वहां धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की योजना

उन्होंने कहा कि कुएं का उपयोग मस्जिद के लिए किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने कुएं के ऐतिहासिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अनादि काल से इस कुएं से पानी निकाला जाता रहा है. मुस्लिम पक्ष ने नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस पर चिंता जताते कहा था कि हरि मंदिर बताते हुए वहां धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की योजना बनाई गई है.

मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि कुआं का कुछ हिस्सा मस्जिद परिसर के अंदर और कुछ बाहर है. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में पीठ के समक्ष गूगल मैप की एक तस्वीर का भी हवाला दिया. मस्जिद प्रबंधन समिति ने गुरुवार को शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कहा था कि संभल जिला प्रशासन शहर में पुराने मंदिरों और कुओं को पुनर्जीवित करने के लिए एक कथित अभियान चला रहा है.

याचिका में कहा गया था कि खबरों के मुताबिक कम से कम 32 पुराने अप्रयुक्त मंदिरों को बहाल किया गया है और 19 कुओं को सार्वजनिक उपयोग व प्रार्थना के लिए चिह्नित किया गया है. साथ ही जिला प्रशासन द्वारा बहाल किए जाने वाले कुओं की सूची में मस्जिद के प्रवेश द्वारा के पास स्थित निजी कुआं भी शामिल है. याचिका में कुआं को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.

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