हिंदी फिल्मों के कई ऐसे म्यूजिक डायरेक्टर हुए जिनका संगीत आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है. भुलाए नहीं भूलते वे मधुर और मायने वाले गाने-तराने. आपने वो गीत तो सुना ही होगा- जाने वाले कभी नहीं आते, जाने वाले की याद आती है… जी हां, ऐसे दिग्गज गीतकारों, संगीतकारों और कलाकारों को अक्सर हम उनकी जन्मतिथि या पुण्य तिथि पर याद कर लेते हैं. लेकिन कुछ ऐसे कलाकार भी हुए जिन्होंने महान योगदान दिया, दूसरे कलाकारों को ऊंचाई दी, पहचान स्थापित की, लेकिन खुद गुमनामी में खो गए. हुस्नलाल-भगतराम, चित्रगुप्त या राम-लक्ष्मण; ऐसे कई और दिग्गज संगीतकार हुए, जिनकी संगीत रचना ने फिल्मों को, गीतों को, कलाकारों को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया.
आज बातें संगीतकार राम-लक्ष्मण की, जिनकी आज यानी 22 मई को पुण्यतिथि है. राम-लक्ष्मण की संगीत रचना से कई फिल्म कलाकारों की किस्मत चमकी है. मिथुन चक्रवर्ती से लेकर सलमान खान और माधुरी दीक्षित तक की फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया. वे गीत-संगीत आज भी हर किसी की जुबान पर हैं. उस गीत-संगीत ने इन कलाकारों को उनके फैन्स तक पहुंचाया.
संगीतकार जोड़ियों में दोस्ती की मिसाल
आपको बताएं कि जब दुनिया कोविड के कहर के दौर से गुजर रही थी उसी दौरान साल 2021 में संगीतकार राम-लक्ष्मण का निधन हो गया था. उस वक्त भी उनके योगदान को याद करने वालों की संख्या नगण्य थी. उनके निधन तक बहुत से लोग केवल एक ही शख्स को राम-लक्ष्मण समझते थे लेकिन सचाई तो ये है कि संगीतकार राम-लक्ष्मण एक व्यक्ति का नाम नहीं बल्कि पहले यह जोड़ी हुआ करती थी. इस जोड़ी में दोस्ती की अपनी कहानी छिपी है. वैसे भी संगीतकार की जोड़ियां दोस्ती की बेमिसाल गाथाएं हैं. शंकर-जयकिशन, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, नदीम-श्रवण, शिव-हरि वगैरह.
राजश्री प्रोडक्शन की फिल्मों के संगीतकार
हिंदी में इस संगीतकार जोड़ी की कहानी सन् 1977 से शुरू होती है. राजश्री प्रोडक्शन कंपनी पारिवारिक फिल्में बनाने के लिए विख्यात रही है. इससे पहले इस जोड़ी ने मराठी की कुछ फिल्मों में संगीत दिया था. राजश्री प्रोडक्शन्स के मुख्य कर्ताधर्ता ताराचंद बड़जात्या को अपनी आगामी फिल्म के लिए नए संगीतकार की तलाश थी. इस फिल्म का नाम था- एजेंट विनोद (1977). यह एक औसत बजट फिल्म थी. इसके निर्देशक दीपक बाहरी थे. अभिनेता थे- महेंद्र संधु.
इसी फिल्म से राम-लक्ष्मण की जोड़ी ने अपने सफर का आगाज किया. दोनों ने संगीतकार जोड़ी के लिए अपना-अपना नया नाम रखा. लेकिन दुर्भाग्यवश राम का इसी दौरान निधन हो गया. लेकिन दोस्ती की भावना का सम्मान रखते हुए आगे चलकर विजय यानी लक्ष्मण ने जितनी भी फिल्में की, उन सभी में संगीतकार का नाम- राम-लक्ष्मण ही रखा. संगीतकार दोस्ती की ये मिसाल कही जाती है.
मिथुन चक्रवर्ती की तराना से नोटिस में आए
संगीतकार राम-लक्ष्मण ने वैसे तो मराठी, हिंदी और भोजपुरी की करीब डेढ़ सौ फिल्मों में सफल संगीत दिया लेकिन उन्हें राजश्री प्रोडक्शन की अगली ही फिल्म तराना से लोकप्रियता ता ब्रेक मिला. इस फिल्म में हीरो मिथुन चक्रवर्ती थे, और हीरोइन थी- रंजीता. इस फिल्म के सारे गाने तब खूब लोकप्रिय हुए. राजकपूर की बॉबी से पहचान बनाने वाले गायक शैलेंद्र सिंह की गूंजती आवाज राम-लक्ष्मण को काफी पसंद आती थी, लिहाजा उन्होंने तराना में शैलेंद्र सिंह के साथ ऊषा मगेश्कर से गाने गवाये और इन दोनों गायकों को आगे भी अपने साथ बनाए रखा.
सलमान की मैंने प्यार किया से मिली पहचान
तराना के बाद राम-लक्ष्मण ने कई फिल्मों में संगीत दिया… मसलन सांच को आंच नहीं, हम से बढ़कर कौन, जियो तो ऐसे जियो, सुन सजना, वो जो हसीना, हम से है जमाना वगैरह लेकिन अब भी उनको बड़ी सफलता का इंतजार था. और ये इंतजार पूरा हुआ- सलमान खान की पहली बतौर नायक फिल्म मैंने प्यार किया के आने के बाद. मैंने प्यार किया तक आते आते राजश्री प्रोडक्शन की फिल्मों की परंपरा में नई पीढ़ी की सोच आ गई थी. सलमान खान मुख्य हीरो बने, भाग्यश्री मुख्य हीरोइन. बॉबी या फिर एक दूजे के लिए के बाद इस फिल्में में भी एक किशोर वय की प्रेम कहानी दिखाई गई थी.
मैंने प्यार किया के गाने असद भोपाली और देव कोहली ने लिखे थे. कबूतर जा जा… आजा शाम होने आई… दिल दिवाना… जैसे गीतों ने तब के दौर में धूम मचा दी. आज भी ये गाने नॉस्टेल्जिया जगाते हैं. मैंने प्यार किया के ब्लॉकबस्टर होने के बाद दुनिया ने संगीतकार राम-लक्ष्मण की प्रतिभा को नये सिरे से सलाम किया. इसके बाद राजश्री प्रोडक्शन और राम-लक्ष्मण की बाउंडिंग और भी मजबूत हुई. अब तक राम-लक्ष्मण को मझोले किस्म का संगीतकार माना जाता था.
हम आपके हैं कौन और हम साथ-साथ हैं
मैंने प्यार किया के बाद संगीतकार राम-लक्ष्मण ने सलमान खान की आगामी उन फिल्मों में भी संगीत देना जारी रखा, जिसे राजश्री प्रोडक्शन बैनर तले बनाया गया था. सन् 1994 में आई हम आपके हैं कौन और फिर 1999 में आई हम साथ साथ हैं के संगीत ने एक बार फिर राम-लक्ष्मण की प्रतिभा को उस साल लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दियाय. हम आपके हैं में सलमान खान और माधुरी दीक्षित पर फिल्माए गए गाने दीदी तेरा देवर दीवाना… जूते दे दो पैसे ले लो… वगैरह आज भी नॉस्टेल्जिया पैदा करते हैं. बेशक आज राम-लक्ष्मण नहीं हैं लेकिन उनकी संगीत रचना इन फिल्मों की कीर्ति को कालजयी बनाती हैं.
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