• Wed. Jul 23rd, 2025

Saiyaara की कहानी कहां से कितनी चुराई, ओरिजिनल के नाम पर इंस्पिरेशन का खेल क्या कहलाता है?

ByCreator

Jul 23, 2025    150811 views     Online Now 301
Saiyaara की कहानी कहां से कितनी चुराई, ओरिजिनल के नाम पर इंस्पिरेशन का खेल क्या कहलाता है?

सैयारा में अनीत पड्डा का कैरेक्टर क्या कॉपी है?

क्या डायरेक्टर मोहित सूरी की फिल्म सैयारा चोरी की कहानी पर बनी है? यह सवाल इन दिनों सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. आरोप ये है कि सैयारा कोरियन भाषा की फिल्म अ मोमेंट टू रिमेंबर (A Moment to Remember) की कॉपी है, जो कि दक्षिण कोरिया की एक बहुचर्चित फिल्म थी. आखिर यह आरोप कितना सही है. दिलचस्प बात ये कि मोहित सूरी की ओर से इस सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और ना ही सैयारा के लेखकों मसलन संकल्प सदन और रोहन शंकर ने कोई जवाब दिया है. संकल्प इस फिल्म की कहानी और पटकथा लेखक हैं जबकि रोहन शंकर ने संवाद लिखे हैं. सैयारी की कहानी कॉपी होने की बात रिलीज के दूसरे दिन से ही लगातार उठाई जा रही है. फिर भी फिल्म की क्रिएटिव टीम ने कुछ नहीं कहा.

वैसे दर्शकों पर कहानी चोरी के इस मसले का कोई असर नहीं है. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को लेकर आकर्षण बना हुआ है. थिएटर्स का माहौल इमोशनल है. सैयारा आज की युवा पीढ़ी की इंस्पिरेशनल मूवी बन गई है. फिल्म की कहानी और अहान-अनीत के रोल ने युवाओं के दिलों-दिमाग पर जादू-सा असर किया है. अल्जाइमर पीड़ित युवती और उसके प्रति समर्पित युवक के प्रेम ने लोगों का मन मोहा है. भारत में फिल्म ने अभी तक करीब डेढ़ सौ करोड़ का कलेक्शन कर लिया है. इसे आज की दूसरी डीडीएलजे भी कहने की शुरुआत हो गई है. समझा ये भी जा रहा है कि इसकी सफलता से आज की फिल्मों में क्रूरता की जगह प्रेम और संवेदना की वापसी हो सकती है.

अ मोमेंट टू रिमेंबर की कॉपी है सैयारा?

बहरहाल मूल सवाल पर आते हैं. क्या सैयारा कोरियन फिल्म अ मोमेंट टू रिमेंबर की कॉपी है? अगर है तो किस हद तक? और हमारा बॉलीवुड इस कॉपी कल्चर में कितना ईमानदार रहा है? ये भी समझने की कोशिश करते हैं. सबसे पहले सैयारा और अ मोमेंट टू रिमेंबर की समानता देखते हैं. यह कोरियन फिल्म साल 2004 में ही आई थी. दक्षणि कोरिया की यह क्लासिक फिल्म है. वैसे यह फिल्म खुद भी एक जापानी टीवी सीरियल की कहानी से प्रेरित थी. यानी मौलिकता का संकट यहां भी था. लेकिन इस फिल्म ने तब कोरिया समेत जापान में भी काफी लोकप्रियता हासिल की थी. टर्की और मलेशिया में भी इससे प्रेरित फिल्में बनाई गईं.

See also  ऑपरेशन सिंदूर एक सबक...शांगरी-ला डायलॉग में भारत ने PAK को जमकर लताड़ा

यानी अल्जाइमर पीड़ित युवती की कहानी पहले से ही सुपरहिट हो चुकी थी. लिहाजा इसे हिंदी में आजमाने में सैयारा की टीम को कोई रिस्क महसूस नहीं हुआ. संभवत: इसकी कहानी को उठाते हुए यह भी समझा गया कि करीब बीस साल के बाद बहुत से लोग इसे भूल गए होंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सैयारा रिलीज होते ही सौशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आने लगीं. गौरतलब है कि इससे पहले साल 2008 में भी अल्जाइमर पीड़ित युवती की कहानी अजय देवगन और काजोल की फिल्म ‘यू मी और हम’ में दिखाई गई थी. यह फिल्म भले ही बहुत चर्चा में नहीं आई लेकिन नुकसान भी नहीं हुआ था. यह फिल्म खुद अजय देवगन ने डायरेक्ट की थी.

दोनों फिल्म में क्या-क्या समानताएं हैं?

सैयारा कोरियन फिल्म अ मोमेंट टू रिमेंबर की कॉपी न दिखे-इसके लिए डायरेक्टर और राइटर ने जबरदस्त दिमाग लगाया है लेकिन बहुत से सीन को ज्यों का त्यों भी रखा है और कहानी के ट्विस्ट भी. सैयारा की फीमेल किरदार का नाम वाणी बत्रा है और वह पत्रकार है, कविताएं और गाने लिखती हैं लेकिन उसे भूलने की आदत है यानी वह अल्जाइमर पीड़ित है. उसे इस बीमारी के बारे में बाद में पता चलता है. वह अपने गाने लिखी डायरी उठाना अक्सर भूल जाती है, जहां भी उसे रखती है. और यह डायरी हर बार उसके बॉयफ्रेंड को मिलती है, जोकि रॉक स्टार बनने के लिए संघर्ष कर रहा है. उसमें लिखे गीत को देखकर वह गाने लगता है.

अ मोमेंट टू रिमेंबर में भी ऐसा ही होता है. सुजैन नाम की युवती स्टोर से कोल्ड ड्रिंक खरीदती है, लेकिन उसे बाद में ध्यान आता है कि उसने स्टोर वाले को पैसे तो दे दिए थे लेकिन कोल्ड ड्रिंक वहीं छोड़ दी. ऐसी घटनाएं उसके साथ एक बार नहीं बल्कि कई बार होती हैं. हर बार कोल्ड ड्रिंक या पर्स उसके बॉयफ्रेंड के हाथ लगती है. वह उसे लौटाने आता है.

See also  चीन रच रहा था ताइवान की उपराष्ट्रपति पर हमले की साजिश? खुफिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सैयारा में दिखाया गया है कि वाणी बत्रा जब सिंगर कृष कपूर के काफी नजदीक आ जाती हैं, दोनों एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं तब वाणी को वह शादीशुदा शख्स मिलता है, जिससे उसकी शादी होने वाली होती है. वाणी अपने पूर्व मंगेतर को देखकर कृष को भूल जाती और उसके साथ रहना चाहती है. यहां कई सारे शॉट्स ज्यों के त्यों हैं. वाणी अपने पूर्व मंगेतर के सामने ठीक उसी तरह से रिएक्ट करती है जैसे अ मोमेंट टू रिमेंबर में सुजैन. यहां तक कि सैयारा में जिस तरह से युवती अपनी बीमारी को प्रेमी से छुपाती है उसी तरह अ मोमेंट टू रिमेंबर में भी. फिल्म का एंड भी करीब-करीब एक समान है.

दोनों फिल्मों में अंतर क्या-क्या है?

सैयारा और अ मोमेंट टू रिमेंबर में कुछ समानताओं के बावजूद कुछ अंतर भी है. डायरेक्टर और राइटर ने बहुत ही समझदारी के साथ फीमेल कैरेक्टर के साथ इमोशंस को बनाए रखने की कोशिश की है. अ मोमेंट टू रिमेंबर की सुजैन के कैरेक्टर के साथ ज्याजा छेड़छाड़ नहीं की है. सुजैन और वाणी करीब-करीब एक समान हैं. लेकिन सैयारा के हीरो की लाइफ को कोरियन फिल्ंम के हीरो से एकदम अलग रखा गया है. अ मोमेंट टू रिमेंबर में हीरो सुजैन के पिता की कंपनी में एक सामान्य सा कर्मचारी है जो बाद में आर्किटेक्ट बनता है जबकि सैयारा का हीरो रॉकस्टार बनने के लिए स्ट्रगल कर रहा है. वह स्ट्रीट सिंगर है और एक दिन बड़ा रॉकस्टार बनना चाहता है.

हम कह सकते हैं कि कोरियन फिल्म में जो हीरो आर्किटेक्ट बनना चाहता है वह सैयारा में रॉकस्टार बनना चाहता है. अ मोमेंट टू रिमेंबर के हीरो की तरह सैयारा की हीरो भी अपनी अल्जाइमर पीड़ित प्रेमिका का हर कदम पर साथ देता है, उसका लाइफपार्टनर बनता है. लेकिन मोहित सूरी ने सैयारा के हीरो के कैरेक्टर को रणबीर कपूर की रॉकस्टार, और अपनी ही फिल्में आशिकी 2 और एक विलेन के मेल प्रोटोगोनिस्ट का कॉकटेल बना दिया है. वैसे सैयारा के डायरेक्टर-राइटर ने बड़ी ही चालाकी के साथ फिल्म में शब्द और संवेदना को उतनी तरजीह दी है जितनी हाल की हिंसा आधारित फिल्मों में नहीं दी गई. फिल्म का यह पक्ष लोगों को पसंद आया है.

See also  CG Accident News: स्कूटी सवार महिला और बच्चे को कार ने रौंदा, इधर ट्रक की ठोकर से एक की मौत

यहां फिल्मी चोरी को इंस्पिरेशन कहा जाता है

मोहित सूरी को इसी का भरपूर लाभ मिला है. सैयारा में क्रिएटिव फ्रीडम खूब देखने को मिला है. गीत-संगीयमय और कवितामय प्रेम कहानी बनाकर मोहित सूरी ने नई पीढ़ी को झकझोर दिया है. फिल्म सोशल मीडिया पर हल्की-फुल्की संवेदनाओं की लहर के साथ बह जाने वाली आज की नई पीढी के जज्बात को छू गई. गौरतलब है कि मोहित सूरी पर इससे पहले भी विदेशी फिल्मों के प्लॉट को अडाप्ट करने के आरोप लगे हैं. बॉलीवुड में इसे इंस्पिरेशन कहा जाता है. कुछ फिल्मकार हैं जो बकायदा घोषित करते हैं कि उन्होंने फलां विदेशी फिल्म का रीमेक बनाया है. जैसे कि आमिर खान ने ‘दी फॉरेस्ट गंप’ का हिंदी रीमेक ‘लाल सिंह चड्ढा’ बनाई और हाल में स्पेनिश ‘चैंपियंस’ का रीमेक ‘सितारे जमीन पर’.

लेकिन कुछ फिल्मकार इसकी घोषणा नहीं करते. बॉलीवुड में फिल्कारों को ओरिजिनल बनाने से डर लगता है. हिट फॉर्मूले को आजमाने का चलन ज्यादा है. कॉपी करके भी इंस्पिरेशन या अडाप्टेशन की घोषणा नहीं करते. यह बात समीक्षकों की ओर से बताई जाती है. ब़ॉलीवुड में यह रिवाज सालों पुराना है. बिमल रॉय की दो बीघा जमीन पर भी दी बाइस्किल थीव्स का प्रभाव बताया गया था. यह चलन देव आनंद, फिरोज खान, मनमोहन देसाई, प्रकाश मेहरा, मंसूर खान, एन. चंद्रा, सुभाष घई जैसे डायरेक्टरों ने भी अपने अपने तरीके से आगे बढ़ा.

शोले भी कई विदेशी फिल्मों का मिक्सचर थी. सलीम-जावेद पर आज भी सवालों के तीर चलाए जाते हैं. यहां फिल्मी चोरी को इंस्पिरेशन का नाम दिया गया है. इसी तरह सैयारा के डायरेक्टर मोहित सूरी की ‘मर्डर 2’ फिल्म की कहानी ‘द चेजर’ से इंस्पायर्ड थी तो ‘एक विलेन’ को लोगों ने ‘आई सॉ द डेविल’ की कॉपी बताया.

यह भी पढ़ें :Saiyaara की सक्सेस का संदेश साफ हैएनिमल-मार्का वायलेंस अब बस! साउथ सिनेमा को भी फिल्मी जवाब

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You missed

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL