प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के आरपीएफ डीआईजी स्वच्छता पखवाड़ा मनाने के लिए दुर्ग गए हुए थे. यहां निरीक्षण और पूरा काम करने के बाद वे अपनी महिला मित्र के साथ मॉल में घुमते मिले. हैरानी की बात ये है कि उक्त महिला मित्रों को आरपीएफ की स्क्वार्ट करने वाली गाड़ी जिसमें बकायदा नीली बत्ती लगी थी वो उन्हें लेने और छोड़ने भी गई. हालांकि आरपीएफ के डीआईजी ने इस बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनके साथ कोई नहीं गया था और वे अकेले कॉफी पीने मॉल गए थे.
अब आपको बताते है पूरी असली हकीकत, जिसके बाद डीआईजी की बाते कितनी सच है इसका अंदाजा आपको चल जाएगा. दरअसल रेलवे स्वच्छता पखवाड़ा मना रहा है. इसी कड़ी में जोन के आरपीएफ डीआईजी दुर्ग गए हुए थे. करीब 12 बजकर 10 मिनट पर आरपीएफ डीआईजी दुर्ग पहुंचे. स्वच्छता पखवाड़ा के तहत उन्होंने वहां सफाई की. इसके बाद वे निरीक्षण करते हुए आरपीएफ पोस्ट गए, जहां बीच रास्ते में उन्होंने सफाई ठेकेदार से सफाई को लेकर कई सवाल-जवाब किए. सूत्र बताते है कि इसके बाद कोई उद्घाटन का काम भी उन्होंने दुर्ग में किया. लेकिन इसके बाद जो हुआ वो काफी संदिग्ध और आरपीएफ के लिए जांच का विषय है.
करीब 2 बजकर 30 से 35 मिनट के बीच डीआईजी दुर्ग के सागर इंटरनेश्नल होटल में लंच करने पहुंचे. लेकिन इस दौरान उनके साथ दो उनकी महिला मित्र भी होटल के अंदर मौजूद थी. अच्छी खबर डांट इन के पास पुख्ता जानकारी है कि डीआईजी अपनी दो महिला मित्र के साथ होटल के रेस्टॉरेंट की लास्ट वाली टेबल में बैठकर लंच किया.
अच्छी खबर डांट इन के पास पुख्ता जानकारी है कि डीआईजी दोनो महिला मित्रों के साथ लंच करने के बाद करीब 3 बजकर 30 मिनट में बाहर निकले और वहां से वे सीधे सूर्या मॉल यानी भिलाई के ट्रेजर आईलेंड मॉल पहुंचे.
होटल से निकलने के बाद यहां वे करीब 15 मिनट बाद लगभग 3 बजकर 42 से 45 मिनट के बीच में वे मॉल के अंदर गए और यहां भी उनकी एक महिला मित्र के साथ महिला मित्र की सहेली पूरे समय साथ में थी.
यहां पहुंचने के बाद वे मॉल के नीचे एक ब्रांडेड कंपनी के शोरूम में गए, हालांकि यहां से उन्होंने कुछ नहीं लिया. इसके बाद एस्कलेटर से वे ऊपर पहुंचे. यहां मूवी टिकट के काउंटर के पास डीआईजी ने इंक्वायरी करने की कोशिश की और फिर आगे बढ़े. इसके बाद दो तीन अन्य दुकानों में घुमने के बाद एक अन्य कंपनी के शोरूम में पहुंचे, यहां भी उन्होंने कोई भी शॉपिंग नहीं की.
इसके बाद वे राजस्थानी चप्पल की दुकान में पहुंचे जहां से एक जोड़ी चप्पल खरीदी गई, हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि ये चप्पल महिला मित्र ने खरीदी या डीआईजी साहब ने.
थोड़ी देर बाद महिला मित्र के साथ मॉल में ही मौजूद टैटू की शॉप में महिला मित्र ने टैटू बनवाया और इसके बाद वे सीधे नीचे एक ब्रांडेड पिज्जा शॉप में पहुंचे.
यहां उन्होंने तीन कॉफी के साथ फ्रैंच फ्राइस और अन्य खाद्य पदार्थ ऑर्डर किया. करीब 5 बजकर 6 से 8 मिनट के बाद वे उक्त शॉप से बाहर निकले. इसके बाद जो हुआ वो बेहद चौंकाने वाला और आरपीएफ के लिए सबसे बड़ा जांच का विषय है.
मॉल से बाहर निकलने के बाद पार्किंग में उक्त महिला मित्र ने डीआईजी की गाड़ी के सामने अपनी फोटो खिंचवाई. इस दौरान डीआईजी और उनका साथ गए ड्राइवर और बॉडीगार्ड कार से बाहर उतर गए और डीआईजी की महिला मित्र और उसके साथ गई सहेली उसकी फोटो खिंचती रही.
यहां से निकलने के बाद डीआईजी की गाड़ी को पाइलेटिंग करती हुए नीली बत्ती लगी हुई गाड़ी में उक्त महिला मित्र अपनी सहेली के साथ बैठी. हालांकि ये जांच का विषय है कि उक्त गाड़ी जिसमें नीली बत्ती लगी हुई थी वह आरपीएफ की है या महिला मित्र की, लेकिन वो गाड़ी पूरे रास्ते में डीआईजी की गाड़ी को पाइलेटिंग करती हुई गई.
कुछ दूर आगे जाने के बाद डीआईजी की गाड़ी आगे चली गई और महिला मित्र उक्त नीली बत्ती लगी हुई गाड़ी जिसका नंबर अंत में 9996 है वे एक कपड़े की दुकान में पुनः शॉपिंग करने पहुंचे. जहां से फिर वो गाड़ी चली गई.
मेरे साथ कोई नहीं गया था, मैं कॉफी पीने मॉल गया था… अब कॉपी पीने भी नहीं जा सकता क्या ?: DIG RPF
इस मामले में अच्छी खबर डांट इन ने आरपीएफ के डीआईजी से उनका पक्ष लिया. उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि वे किसी के साथ मॉल गए थे. उन्होंने ये स्वीकारा कि वे कॉफी पीने मॉल गए थे लेकिन उनके साथ कोई नहीं गया था.