आरडी बर्मन से ‘पंचम’ बनने का किस्सा Image Credit source: सोशल मीडिया
आज यानी 27 जून को इंडस्ट्री के दिग्गज संगीतकार आरडी बर्मन की बर्थ एनिवर्सरी है. इस खास मौके पर उनसे जुड़े एक किस्से पर नजर डालते हैं. आरडी बर्मन का नाम उन कलाकारों में लिया जाता है, जिन्होंने इंडियन से वेस्टर्न म्यूजिक तक में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. कोलकाता में जन्मे आरडी बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन का भी संगीत से गहरा नाता रहा है. आरडी बर्मन की मां भी गीतकार थीं. ये जानकर हैरानी हो सकती है कि आरडी बर्मन ने अपना पहला गाना महज 9 साल की उम्र में बनाया था. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
आरडी बर्मन के नाम ‘पंचम’ के पीछे दो कहानियां हैं. कहा जाता है कि जब आरडी बर्मन छोटे थे तो एक बार एक्टर अशोक कुमार उनके घर आए थे. अशोक कुमार को देखकर वो संगीत के पांच सुर यानी सा.रे.गा.मा.पा का पांचवां सुर यानी ‘पा पा’ दोहरा रहे थे. जिसके बाद अशोक कुमार ने उनका नाम ‘पंचम’ रख दिया.
दूसरी कहानी क्या है?
‘पंचम’ नाम के पीछे दूसरी कहानी ये है कि जब आरडी बर्मन बचपन में रोते थे तो वो आवाज उनके माता-पिता को उस ‘पा’ धुन की याद दिलाती थी. जिसके कारण उनका उपनाम ‘पंचम’ पड़ गया. आरडी बर्मन के बारे में ये भी कहा जाता है कि जब उन्होंने अपना पहला गाना ‘ऐ मेरी टोपी पलट के आ’ लिखा था, तब वो महज 9 साल के थे.
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इस गाने का इस्तेमाल उनके पिता सचिन देव बर्मन ने ‘फंटूश’ में किया था. ये फिल्म साल 1956 में आई थी. साल 1972 पंचम दा के लिए बहुत अच्छा साल था. उस साल उनके कई गाने सुपरहिट साबित हुए. उन्होंने ‘बॉम्बे टू गोवा’, ‘परिचय’, ‘सीता और गीता’, ‘मेरे जीवन साथी’ और ‘जवानी दीवानी’ जैसी फिल्मों में गाने गाए थे. साल 1975 में उनका गाना ‘महबूबा-महबूबा’ रिलीज हुआ था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. ये गाना अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘शोले’ का है.
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