• Thu. May 2nd, 2024

Raksha Bandhan: 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये दुर्लभ मंदिर केवल रक्षाबंधन पर ही है खुलता, जानिए इस मंदिर का इतिहास

ByCreator

Aug 30, 2023    150817 views     Online Now 410

Raksha Bandhan: रक्षाबंधन की कहानियां तो आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा मंदिर है जो सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलता है. आइए जानते है रक्षाबंधन त्योहार से जुड़े इस पवित्र मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य.

बता दें कि उत्तराखंड का वंशीनारायण मंदिर समुद्र तल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. उर्गम घाटी के बुग्याल के मध्य में स्थित इस मंदिर का निर्णाम छठवीं सदी में राजा यशोधवल के समय में किया गया था. तभी से लेकर अब तक इस अनोखे मंदिर में भगवान विष्णु भगवान की पूजा किये जाने का चलन है. इस मंदिर को लेकर ये भी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडव काल में किया गया था.

साल में केवल एक दिन होती है भगवान विष्णु की पूजा (Raksha Bandhan)

सबसे हैरान करने वाली बात वंशीनारायण मंदिर में ये हैं कि यहाँ रक्षाबंधन के दिन केवल भगवान विष्णु की पूजा होती है, इसके अलावा साल के बाकी 364 दिन यहां देवर्षि नारद भगवान की पूजा-अर्चना किये जाने का विधान है. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार सिर्फ इसी पर्व पर मनुष्यों को दर्शन और पूजा-अर्चना करने की अनुमति होती है. बाकी पूरे वर्ष मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और मंदिर के अंदर सभी का प्रवेश वर्जित होता है.

भगवान को बांधा जाता है रक्षासूत्र (Raksha Bandhan)

भगवान वंशीनारायण के इस मंदिर में यहाँ आपको भिन्न-भिन्न प्रकार के कई दुर्लभ रंग-बिरंगे फूल दिखाई देंगे, इन्हे भी सिर्फ श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के पर्व पर ही तोड़े जाने का विधान है. साल में एक बार मंदिर के कपाट खुलने पर इन्ही फूलों से भगवान नारायण का श्रृंगार होता है. जिसके बाद भक्त व स्थानीय ग्रामीण भगवान वंशीनारायण के दर्शन कर उन्हें रक्षाबंधन पर रक्षासूत्र बांधते हुए सुख-समृद्धि का वचन मांगते हैं.

मंदिर की है पौराणिक महत्वता

वंशीनारायण मंदिर द्वारा मनुष्यों को सिर्फ एक दिन ही पूजा का अधिकार दिया गया है, जिसके पीछे भी यहाँ के लोग बेहद रोचक कहानी का वर्णन करते हैं. पुजारी रघुवीर सिंह अनुसार एक बार राजा बलि के आग्रह करने पर भगवान नारायण को पाताल लोक में द्वारपाल की ज़िम्मेदारी संभालनी पड़ी थी, जिसके बाद मां लक्ष्मी उन्हें खोजते हुए देवर्षि नारद के पास यहीं वंशीनारायण मंदिर पहुँचीं जहाँ उन्होंने भगवान नारायण का पता पूछा. इसके बाद देवर्षि नारद ने माता लक्ष्मी को भगवान के पाताल लोक में द्वारपाल बनने तक की पूरी घटना बतलाई और भगवान नारायण को पाताक लोक से मुक्त कराने की एक योजना भी बताई.

देवर्षि ने मां लक्ष्मी को कहा कि आप राजा बलि के हाथों में रक्षासूत्र बांधकर उनसे वचन के तौर पर भगवान नारायण को वापस मांग लें. देवर्षि की बात सुनकर मां लक्ष्मी योजना के तहत ही कार्य करने लगीं लेकिन पाताल लोक का मार्ग न ज्ञात होने के चलते उन्होंने नारद से अपने साथ चलने की विनती की. जिसके बाद नारद माता लक्ष्मी के साथ पाताल लोक की ओर बढ़ गए और भगवान को मुक्त कराकर वापस स्वर्ग लोक ले आए. माना जाता है कि यही वो दिन था, जब देवर्षि वंशीनारायण मंदिर में पूजा नहीं कर पाए, जिस कारण देवर्षि की गैरमजदगी में इस दिन उर्गम घाटी के कलकोठ गांव के जाख पुजारी ने भगवान वंशी नारायण की पूजा की. तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

Threads App पर achchhikhabar.in को फॉलो करने के लिए https://www.threads.net/@lalluramnews इस लिंक पर क्लिक करें, ताकि आपको देश दुनिया की पल-पल की खबरें मिलती रहेंगी.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Related Post

आप भी आंखों में करते हैं मस्कारा का बहुत ज्यादा इस्तेमाल, तो पहले जान लें इससे आंखों को होने वाले नुकसान
अलीगढ़ में चुनाव खत्म होते ही एक्शन में BJP, जिला उपाध्यक्ष समेत चार नेताओं पर गिरी गाज | BJP expels four leaders from the party in Aligarh accused of working against the candidate
Lok Sabha Election 2024: कल MP आएंगे राजनाथ सिंह, प्रत्याशी के समर्थन में करेंगे जनसभा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

NEWS VIRAL