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राजस्थान में खाप पंचायतों पर हाईकोर्ट का सख्त रुख

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Mar 23, 2025    150828 views     Online Now 249

Rajasthan News: राजस्थान में खाप पंचायतों की पुरानी परंपरा पर अब रोक लगने जा रही है। राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाते हुए खाप पंचायतों और उनसे जुड़ी सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगाने के लिए एक पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया है। इस आयोग में चार वकील और एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे, जो गांवों में जाकर खाप पंचायतों की वास्तविक स्थिति की जांच करेंगे।

खाप पंचायतें – कानून से परे फैसले

राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में खाप पंचायतें एक गैर-सरकारी अदालत के रूप में काम करती हैं। ये पंचायतें अपने नियम खुद बनाती हैं और गांव के सभी लोगों को उन्हें मानने के लिए बाध्य करती हैं। हालांकि, ये पूरी तरह से अवैध हैं और कई बार क्रूर फैसले सुनाकर लोगों का जीवन तबाह कर देती हैं।

हाल ही में खाप पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार और भारी जुर्माने जैसे कई मामले सामने आए हैं। कई परिवारों को गांव से बाहर निकालने या उन पर आर्थिक दंड लगाने के फरमान दिए गए। इसके खिलाफ कई शिकायतें भी दर्ज हुईं, लेकिन अभी तक खाप पंचायतों को पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी।

राजस्थान हाईकोर्ट का सख्त फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने अब इस मामले में दखल देते हुए सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने खाप पंचायतों की अमानवीय गतिविधियों को उजागर किया।

हाईकोर्ट ने पाया कि खासकर पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, नागौर और पाली जैसे जिलों में खाप पंचायतों की सामाजिक बुराइयां गहराई तक फैली हुई हैं।

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राजस्थान में सामाजिक सुधार की जरूरत

कोर्ट ने अपने फैसले में राजा राम मोहन राय द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि समाज में समय-समय पर कुरीतियों को खत्म करने के प्रयास किए गए हैं। लेकिन अब ग्रामीण स्तर पर जाकर वास्तविक स्थिति का विश्लेषण करने की जरूरत है, ताकि इन समस्याओं को जड़ से समाप्त किया जा सके।

खाप पंचायतों की निगरानी के लिए गठित आयोग

  • यह आयोग कोर्ट कमिश्नर के रूप में काम करेगा।
  • आयोग के सदस्यों को पुलिस अधीक्षक से संपूर्ण सहयोग और सुरक्षा मिलेगी।
  • वे प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे, स्थानीय पुलिस, सरपंच, ग्राम सेवक और ब्लॉक विकास अधिकारियों से बातचीत करेंगे।
  • रीति-रिवाजों और परंपराओं की आड़ में हो रहे कदाचारों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

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