
इमरान प्रतापगढ़ी. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए पुलिस की कड़ी निंदा करते हुए
कहा कि महज कविता, स्टैंड-अप कॉमेडी और कला या मनोरंजन के किसी भी रूप के प्रदर्शन से समुदायों के बीच दुश्मनी या नफरत पैदा होने का आरोप नहीं लगाया जा सकता.
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ एफआईआर को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि कविता, नाटक, फिल्म, स्टैंड-अप कॉमेडी, व्यंग्य और अन्य स्टेज शो सहित साहित्य ने मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाया है.
नफरत फैलाने का आरोप
पीठ ने कहा कि हमारे गणतंत्र के 75 वर्षों के बाद भी हम अपने मूल सिद्धांतों के मामले में इतने कमजोर नहीं दिख सकते कि महज एक कविता या किसी भी प्रकार की कला या मनोरंजन जैसे स्टैंड-अप कॉमेडी के माध्यम से विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी या नफरत पैदा करने का आरोप लगाया जा सके.
अभिव्यक्ति की आजादी
कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे दृष्टिकोण को अपनाने से सार्वजनिक क्षेत्र में सभी वैध विचारों की अभिव्यक्ति बाधित होगी, जो स्वतंत्र समाज के लिए बहुत ही मूलभूत चीज है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि हमारे संविधान के अस्तित्व में आने के 75 साल बाद भी राज्य की कानून प्रवर्तन प्रणाली इस महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार के बारे में या तो अनभिज्ञ है या इसकी परवाह नहीं करती.
गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
कांग्रेस नेता ने गुजरात हाईकोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है. प्रतापगढ़ी पर तीन जनवरी को जामनगर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित भड़काऊ गीत गाने के लिए मामला दर्ज किया गया था. अन्य धाराओं के अलावा कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापगढ़ी पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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