प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे शिंकुल ला टनल प्रेजेक्ट का शुभारंभ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ में शामिल होने के लिए आज लद्दाख में होंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री कारगिल युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वर्चुअली लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग (टनल) परियोजना का पहला विस्फोट भी करेंगे. शिंकुन ला सुरंग 4.1 किमी लंबी होगी और इसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा.
निर्माण के बाद शिंकुन ला चीन की 15590 फीट की ऊंचाई पर बनी सुरंग को पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बन जाएगी. बड़ी बात यह है कि इस सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा. समारोह के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त), सीडीएस और तीनों सेना प्रमुख भी मौजूद रहेंगे.
करगिल स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे प्रधानमंत्री
दरअसल पीएम मोदी 1999 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद में आज लद्दाख में करगिल समर स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा क् 26 जुलाई, हर भारतीय के लिए बेहद खास दिन है. हम 25वां करगिल विजय दिवस मनाएंगे. यह उन सभी को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने हमारे देश की रक्षा की. मैं करगिल समर स्मारक पर जाऊंगा और हमारे बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा.
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिंकुन ला सुरंग परियोजना का भी काम शुरू होगा. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, यह परियोजना लेह को सभी मौसम में संपर्क प्रदान करेगी और पूरी होने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी.
शिनखुन ला सुरंग एक ट्विन-ट्यूब डबल लेन सुरंग होगी, जिसमें हर 500 मीटर पर क्रॉस रोड होगा. सुरंग की विशेषताओं में सुपरवाइजरी कंट्रोल और डेटा अधिग्रहण प्रणाली (एससीएडीए), मैकेनिकल वेंटिलेशन, फायर ब्रिगेड और कम्युनिकेशन सिस्टम्स शामिल हैं.
पीएमओ ने एक बयान में कहा कि शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी. यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगी.
विशेष रूप से, लेह के लिए दो मौजूदा धुरी हैं, पहली श्रीनगर-ज़ोजिला-कारगिल-लेह और दूसरी मनाली-अटल सुरंग-सरचू-लेह. इनमें उच्च ऊंचाई वाले दर्रे हैं जो साल में 4-5 महीनों तक बर्फ से ढके रहते हैं. अटल सुरंग के पूरा होने के साथ, मनाली से दारचा तक का मार्ग अब पूरे साल चालू रहेगा. वहीं 25 मार्च 2024 को होली के शुभ दिन पर, बीआरओ ने 298 किलोमीटर लंबी निमू-पदुम-दारचा सड़क पर कनेक्टिविटी हासिल कर ली थी, जो लेह के लिए तीसरी और सबसे छोटी धुरी है. यह सड़क केवल एक ही दर्रे से होकर गुजरती है.
शिंकुन ला सुरंग परियोजना 16,700 फीट की ऊंचाई पर है, जो बर्फ से ढका रहता है और इस वजह से वह लगभग पांच महीनों तक कटा रहता है. लद्दाख में हर मौसम में कनेक्टिविटी हासिल करने में बची एकमात्र बाधा को दूर करने के लिए, बीआरओ ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना पर काम शुरू कर दिया है.
शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी सुरंग शामिल है और इसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा, जो इसे दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बनाएगी. सुरंग से चार किलोमीटर से अधिक की दूरी बच जाएगी और यात्रा का समय लगभग 30 मिनट कम हो जाएगा. शिंकुन ला सुरंग प्रत्येक 500 मीटर पर क्रॉस मार्ग के साथ ट्विन-ट्यूब डबल लेन सुरंग होगी.
शिंकुन ला सुरंग लद्दाख को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करके हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी. यह हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगी. यह लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को बढ़ावा देगा, नए अवसर लाएगा और लोगों की आजीविका में भी सुधार करेगा.
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