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रेहड़ी-पटरी लगाने पर रोक संबंधी याचिका खारिज, नागरिकों के जीवन और सुरक्षा से समझौता नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट

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Jun 13, 2025    15089 views     Online Now 242

दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High-Court) ने लाजपत नगर मार्केट में रेहड़ी-पटरी लगाने पर रोक लगाने की याचिका को खारिज करते हुए नागरिकों के जीवन और सुरक्षा के अधिकार को प्राथमिकता दी है. अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी की आजीविका महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन यह दूसरों की सुरक्षा को खतरे में डालकर नहीं की जा सकती.

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न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि इस क्षेत्र में फेरीवालों को अनुमति दी गई, तो यह हजारों लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है. दिल्ली नगर निगम (MCD) ने अदालत में एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए बताया कि 1996 में लाजपत नगर में हुए बम धमाके के दौरान अतिक्रमण के कारण आपातकालीन सेवाओं को घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हुई थी. इसी प्रकार, हाल ही में नेहरू प्लेस में आग लगने की घटना में भी दमकल की गाड़ियों को पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, क्योंकि फुटपाथ और सड़कें अवैध विक्रेताओं से भरी हुई थीं.

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एमसीडी ने हालात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के कई क्षेत्रों को नो-वेंडिंग और नो-स्क्वाटिंग जोन के रूप में घोषित किया है. अदालत ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रेहड़ी-पटरी वालों की याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता 45 विक्रेताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें टाउन वेंडिंग समिति (टीवीसी) के सर्वे में शामिल नहीं किया गया, जिससे उनके भविष्य के अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है. वे यह चाहते थे कि भले ही वे वर्तमान में वहां बिक्री न कर सकें, लेकिन भविष्य में विक्रेताओं के रूप में उनकी पहचान बनी रहे.

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लाजपत नगर को नो-वेंडिंग जोन के रूप में घोषित किया गया है, जैसा कि एमसीडी ने अदालत को बताया. जुलाई 2021 के आदेश के अनुसार, इस क्षेत्र में कोई सर्वेक्षण करने की आवश्यकता नहीं है. अदालत ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ताओं ने जानबूझकर पूर्व के आदेशों की अनदेखी की और तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया. इस कारण से, उन पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसे उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन में 2 सप्ताह के भीतर जमा करने का निर्देश दिया गया.

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