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9 साल की उम्र में लकवा, मां ने फिजियोथेरेपिस्ट बनकर दी नई जिंदगी, अब जीता पैरालंपिक मेडल – Hindi News | Paralympics 2024 silver medalist discus thrower yogesh kathuniya profile

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Sep 2, 2024    150849 views     Online Now 254
9 साल की उम्र में लकवा, मां ने फिजियोथेरेपिस्ट बनकर दी नई जिंदगी, अब जीता पैरालंपिक मेडल

कौन हैं पैरालंपिक एथलीट योगेश कथूनिया? (फोटो- Paul Miller/Getty Images)

पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 में भारतीय खिलाड़ी काफी दमदार प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी तक भारत की झोली में 8 मेडल आ चुके हैं. भारत को खेलों का 8वां मेडल योगेश कथूनिया ने पुरुषों के डिस्कस थ्रो एफ-56 कैटेगरी में दिलवाया. वह सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे. योगेश ने 44.22 मीटर थ्रो के साथ मेडल जीता. बता दें, योगेश ने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है. योगेश कथूनिया के लिए पैरालंपिक में खेलने और मेडल जीतने का सफर काफी मुश्किल रहा है. उनकी इस सफलता में उनकी मां का सबसे बड़ा हाथ है.

कौन हैं पैरालंपिक एथलीट योगेश कथूनिया?

योगेश कथूनिया का जन्म 3 मार्च 1997 में हुआ था. वह दिल्ली के रहने वाले हैं. उनके पति ज्ञानचंद कथूनिया आर्मी में रहे हैं. वहीं, मां मीना देवी हाउसवाइफ हैं. योगेश जब 8 साल के थे, तभी उन्हें लकवा मार दिया. वह गिलियन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी का शिकार हो गए थे. जिसके चलके उनके हाथ और पैरों ने काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद उनके मां-बाप ने काफी समय तक उनका इजाज करवा, जिसके बाद उनके हाथों ने काम शुरू कर दिया था. लेकिन उनके पैरों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला था.

ऐसे में योगेश कथूनिया की मां मीना देवी ने फिजियोथेरेपी सीखी और लगभग 3 साल तक अपने बेटे का इलाज किया. जिसके बाद उनकी मां की मेहनत रंग लाई और उन्होंने 12 साल की उम्र में फिर से चलने के लिए मांसपेशियों की ताकत हासिल कर ली. बता दें, योगेश ने चंडीगढ़ में इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की है. यहीं उन्होंने डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो खेलना शुरू किया. फिर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की और डिस्कस थ्रो को जारी रखा. यहीं से उनका करियर आगे बढ़ता चला गया.

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कॉलेज के दोस्त ने की थी मदद

योगेश कथूनिया ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें एक बार पेरिस में होने वाली ओपन ग्रैंडप्रिक्स चैंपियनशिप में जाना था. इसके लिए टिकट और बाकी दूसरे खर्चों के लिए उन्हें 86 हजार रुपये की जरूरत थी. लेकिन घर में आर्थिक तंगी थी. ऐसे में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उनके दोस्त रहे सचिन यादव ने मदद की थी. खास बात ये रही कि योगेश ने वहां जाकर गोल्ड मेडल जीता था. योगेश ने 2018 में पंचकूला में हुई नेशनल चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता था. वहीं, वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुके हैं.

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