
पाकिस्तान की ज्यूडिशरी में बवाल.
पाकिस्तान की ज्यूडिशरी में इन दिनों घमासान मचा हुआ है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट (IHC) के जस्टिस बाबर सत्तार और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (CJ) सरफराज डोगर के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया है. जस्टिस सत्तार ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार नहीं है कि वह यह तय करें कि किसी विशेष मामले की सुनवाई कौन करेगा. उन्होंने साफ कहा कि न्यायिक आदेशों में मुख्य न्यायाधीश या उनके कार्यालय का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जा सकता.
जस्टिस बाबर सत्तार का यह बयान उस समय आया जब उन्होंने एक केस को दूसरी पीठ को सौंपने का आदेश दिया, लेकिन इस मामले की फाइल फिर से उन्हीं के पास लौटा दी गई. उन्होंने इसे “रजिस्ट्रार कार्यालय या कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय की एक अनजानी गलती” करार दिया. उनका कहना था कि एक बार जब किसी जज ने यह फैसला कर लिया कि वह किसी कारणवश किसी केस की सुनवाई नहीं करना चाहते, तो उस न्यायिक आदेश में मुख्य न्यायाधीश या रजिस्ट्रार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.
चीफ जस्टिस पर उठाए सवाल
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के नियमों का हवाला देते हुए जस्टिस सत्तार ने कहा कि मामलों की सुनवाई के लिए बेंच का निर्धारण डिप्टी रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में आता है, और मुख्य न्यायाधीश केवल पहले से तय रोस्टर को मंजूरी देते हैं. उन्होंने साफ कहा कि एक बार जब बेंच का रोस्टर तय हो जाता है, तो उसके बाद किसी मामले को सुनवाई के लिए किस पीठ के समक्ष पेश किया जाएगा, यह तय करने में मुख्य न्यायाधीश की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
इससे पहले 14 मार्च को जस्टिस बाबर सत्तार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा था कि न्यायहित में यह मामला किसी अन्य पीठ को सौंप दिया जाए. लेकिन इसके बावजूद यह मामला फिर से उसी बेंच के समक्ष पहुंचा दिया गया. इस पर नाराज होकर उन्होंने कहा कि किसी भी जज के यह कहने के बाद कि वह किसी विशेष कारण से कोई मामला नहीं सुनना चाहते, उस फैसले में प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.
न्यायपालिका के भीतर इस विवाद ने पाकिस्तान में न्यायिक स्वतंत्रता को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है. जस्टिस बाबर सत्तार ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि यदि कोई पीठ किसी मामले से खुद को अलग करना चाहती है, तो उसे मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में डिप्टी रजिस्ट्रार को यह तय करना चाहिए कि मामला किस अन्य बेंच के समक्ष पेश किया जाए.
पाक ज्यूडिशरी में मतभेद
यह विवाद पाकिस्तान की न्यायपालिका के अंदर गहरे मतभेदों को दर्शाता है. न्यायिक मामलों में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका और उनके अधिकारों को लेकर यह बहस अब सार्वजनिक हो चुकी है. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश सरफराज डोगर की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका में इस तरह के मतभेद आगे भी जारी रह सकते हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login