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कौन हैं बलोच नेता अकबर बुगती, जिनकी बरसी पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान को दहला दिया? – Hindi News | Pakistan BLA attack connection Baloch leader nawab Akbar khan Bugti death anniversary

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Aug 26, 2024    150835 views     Online Now 116
कौन हैं बलोच नेता अकबर बुगती, जिनकी बरसी पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान को दहला दिया?

बलोच नेता अकबर बुगती की बरसी पर BLA ने पाकिस्तान पर कई हमले किए हैं.

पाकिस्तान में आजाद बलूचिस्तान का संघर्ष दशकों पुराना है, लेकिन बलोच नेता नवाब अकबर खान बुगती ने इस आंदोलन को मजबूत बनाया था. 6 फीट ऊंचा कद, मूंछों पर ताव, चेहरे पर रौब और सीधे-स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहने वाले अकबर बुगती का जन्म 12 जुलाई 1927 हो बरखान में हुआ था. वो बुगती कबीले के मुखिया नवाब मेहराब खान बुगती के बेटे थे.

अकबर बुगती को 26 अगस्त 2006 को एक सैन्य ऑपरेशन में मार डाला गया. इसके बाद पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ विरोध और बलोच आंदोलन तेज़ हो गया. पाकिस्तान सरकार भले ही उन्हें विद्रोही मानती थी लेकिन लाखों बलोच लोगों के लिए वो एक हीरो थे, जो आज़ाद बलूचिस्तान के लिए संघर्ष कर रहे थे. माना जा रहा है कि बुगती की बरसी के मौके पर ही बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान में एक के बाद एक कई हमले किए हैं, जिसमें पाकिस्तानी सेना के 62 जवानों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है.

12 साल की उम्र में बने कबीले के सरदार

अकबर बुगती के कंधों पर छोटी उम्र में ही बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ आ गया. साल 1939 में पिता की मौत के बाद महज 12 साल की उम्र में ही बुगती समुदाय के मुखिया बन गए. बताया जाता है कि उन्होंने 12 साल की ही उम्र में पहली बार एक शख्स की हत्या की थी. इसके लिए उन्हें किसी भी तरह की सज़ा नहीं हुई. अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने इस घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि, “वो शख्स मुझे परेशान कर रहा था और मैंने उसे गोली मार दी. मुझे गुस्सा बड़ी जल्दी आ जाता है और कबायली नियमों के तहत मैं इसके लिए किसी सज़ा का हकदार नहीं था क्योंकि मैं मुखिया का बेटा था.”

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किताबें पढ़ने के शौकीन थे अकबर बुगती

कराची ग्रामर स्कूल से शुरुआती शिक्षा के बाद लाहौर के एक कॉलेज से उन्होंने आगे की पढ़ाई की. सुरक्षा के चलते उन्हें अपने गृह क्षेत्र डेरा बुगती का दौरा नहीं करने दिया जाता था. स्थानीय मीडिया द बलोच न्यूज ने उनके एक दोस्त के हवाले से लिखा है कि, बुगती को इतिहास की बहुत ही अच्छी जानकारी थी, वो रात भर सोते नहीं थे और एक के बाद एक कई किताबें पढ़ते रहते थे. उन्हें इंग्लिश लिटरेचर, बलोची क्लासिकल कविता, राजनीति और इतिहास के बारे में पढ़ना काफी अच्छा लगता था.

बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री-गवर्नर भी रहे

अकबर बुगती बलूचिस्तान के सबसे बड़े कबायली नेता रहने के अलावा, बलूचिस्तान के गवर्नर और मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. 79 साल की उम्र में बलूचिस्तान की आजादी के संघर्ष करते हुए वो मारे गए थे. हालांकि उनकी मौत को लेकर भी कई तरह के दावे किए जाते हैं. तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने दावा किया था कि बुगती की मौत उस वक्त हो गई जब वह बंकर में छिपे हुए थे और वह ढह गया, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि जब पाकिस्तानी सेना ने बुगती को चारों ओर से घेर लिया था तब उन्होंने खुद को गोली मार ली थी.

बलूचिस्तान के लिए किया संघर्ष

अकबर बुगती बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी के तत्कालीन चीफ बलाच मारी के काफी करीबी बताए जाते थे. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) को आजाद बलूचिस्तान के लिए संघर्ष करने वाला सबसे बड़ा संगठन माना जाता है. 2005 में बुगती ने पाकिस्तान सरकार के सामने 15 सूत्री एजेंडा पेश किया था. उनकी मांग थी कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर वहां के लोगों का नियंत्रण हो साथ ही सैन्य ठिकानों के निर्माण पर रोक लगाई जाए. इस दौरान इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले बढ़ गए. तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ इन हमलों के लिए बलूच संगठनों और उनके नेताओं को जिम्मेदार मानते थे. दिसंबर 2005 में उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि पहले की सरकारों ने इन संगठनों और इनके मुखिया के साथ समझौता कर रखा था. मुशर्रफ ने कहा कि हम इनके साथ समझौता नहीं करेंगे बल्कि इनका खात्मा करेंगे.

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पहली बार चुनाव लड़कर बने मुख्यमंत्री

नवाब अकबर खान बुगती ने 1988 में बलूचिस्तान नेशनल अलायंस बनाया था. इस साल उन्होंने चुनाव में हिस्सा लिया और वह बलूचिस्तान विधानसभा के सदस्य और मुख्यमंत्री बने. 1990 तक उन्होंने बलूचिस्तान सरकार के मुखिया के तौर पर काम किया बाद में पाकिस्तान सरकार ने असेंबली को भंग कर दिया.

1990 में ही उन्होंने जम्हूरी वतन पार्टी बनाई, इस साल हुए विधानसभा चुनाव में वह फिर चुनकर आए. जून 1992 में उनके बेटे सलाल बुगती की हत्या के बाद उन्होंने खुद को डेरा बुगती तक ही सीमित कर लिया. लेकिन जनवरी 2005 में पाकिस्तान में एक महिला डॉक्टर का रेप कर दिया गया. इस रेप का आरोप पाकिस्तानी सेना के कैप्टन पर था, बुगती ने इसे बलोच समुदाय का अपमान बताया और इंसाफ के लिए आरोपी को कड़ी सज़ा देने की मांग की. इसके बाद बातचीत के जरिए इस मामले को सुलझाने की कोशिश की गई लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

पाकिस्तानी सेना के हमले में मारे गए

साल 2005 में बुगती को पकड़ने के लिए पाकिस्तानी सेना ने उनके घर पर हवाई हमले किए जिसके बाद उन्होंने पहाड़ों में अपना ठिकाना बना लिया. इस दौरान बलूचिस्तान से करीब डेढ़ लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. वहीं 26 अगस्त 2006 को 3 दिन तक चले सैन्य ऑपरेशन में उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के बाद बलूचिस्तान की एंटी टेररिज्म अदालन ने परवेज़ मुशर्रफ और कई अधिकारियों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया जिसके बाद जून 2013 में मुशर्रफ की गिरफ्तारी की गई लेकिन कई साल चले केस के बाद 2016 में उन्हें बुगती की हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया.

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