संजय कुमार झा जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं
2025 विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने संजय कुमार झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. जेडीयू संगठन में नीतीश कुमार के बाद झा सबसे पावरफुल रहेंगे. संजय झा को मिली जिम्मेदारी के बाद जेडीयू में राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट में भी बड़ा बदलाव हुआ है.
पिछले 20 साल में यह पहली बार है, जब जेडीयू के टॉप लीडरशिप में सवर्ण नेताओं का दबदबा बढ़ गया है. राष्ट्रीय स्तर पर जेडीयू के पास जो 4 बड़े पद हैं, उनमें से 3 पर सवर्ण नेताओं का ही दबदबा है. जेडीयू की टॉप लीडरशिप में अकेले नीतीश कुमार पिछड़े वर्ग के नेता रह गए हैं.
5 साल पहले नीतीश के किचन कैबिनेट में कौन-कौन थे?
2019 लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश के किचन कैबिनेट में आरसीपी सिंह, ललन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा शामिल थे. आरसीपी के पास केंद्रीय मंत्री, ललन सिंह के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपेंद्र कुशवाहा के पास संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष पद था.
आरसीपी राज्यसभा में तो ललन सिंह लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता थे. पार्टी के भीतर आरसीपी कुर्मी, ललन सिंह भूमिहार और उपेंद्र कुशवाहा कोइरी बिरादरी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. कोइरी-कुर्मी बिहार में जेडीयू का कोर वोटर माना जाता है.
नीतीश के किचन कैबिनेट में अब कौन-कौन?
2024 चुनाव के बाद नीतीश की किचन कैबिनेट अब पूरी तरह बदल गई है. किचन कैबिनेट में पुराने चेहरे में सिर्फ ललन सिंह बचे हैं. ललन सिंह के अलावा किचन कैबिनेट में संजय झा और हरिवंश शामिल हो गए हैं.
ललन सिंह केंद्र में मंत्री हैं, जबकि हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति हैं. संजय कुमार झा को नीतीश कुमार ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. झा राज्यसभा में पार्टी के नेता भी हैं.
जेडीयू में सवर्ण हुए पावरफुल, 20 साल में पहली बार
जनता दल यूनाइटेड में पहली बार सवर्ण समुदाय के नेताओं का दबदबा बढ़ा है. 2003 में जब जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार ने शरद यादव के साथ मर्जर किया था, तब जेडीयू के टॉप लीडरशिप में पिछड़ों का दबदबा था. शरद यादव पार्टी के अध्यक्ष थे, जबकि नीतीश और जॉर्ज केंद्र में मंत्री. उपेंद्र कुशवाहा को उस वक्त बिहार में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था.
2005 में बिहार में सरकार बनी तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनाए गए. शरद यादव का पद जस का तस रहा. शरद यादव 2016 तक जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 2016 में नीतीश कुमार ने अपने पास यह पद रख लिया.
वर्तमान में नीतीश कुमार ही पार्टी के मुखिया हैं. हालांकि, बीच में कुछ सालों के लिए आरसीपी सिंह और कुछ सालों के लिए ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जरूर बने, लेकिन यह पहली बार है जब जेडीयू के बड़े पदों पर सवर्ण समुदाय के नेताओं का दबदबा है. बिहार में सवर्ण समुदाय की आबादी करीब 14 प्रतिशत है.
हरिवंश- 2020 में जेडीयू को दूसरी बार राज्यसभा में उपसभापति का पद मिला तो पार्टी ने हरिवंश पर ही भरोसा जताया. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हरिवंश ठाकुर बिरादरी के हैं. हरिवंश बिहार के स्थानीय अखबार के संपादक रह चुके हैं और कहा जाता है कि यहीं पर नीतीश कुमार से उनके राजनीतिक रिश्ते बने.
राज्यसभा में उपसभापति का पद एक संवैधानिक पद है. भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं. सभापति के न होने पर उपसभापति ही देश के ऊपरी सदन का संचालन करते हैं.
ललन सिंह- 2024 में एनडीए की सरकार बनने के बाद जेडीयू को मोदी कैबिनेट में एक पद केंद्रीय स्तर का और एक पद राज्य स्तर का मिला. केंद्रीय स्तर का पद जेडीयू ने ललन सिंह को दे दिया. ललन सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वे मुंगेर लोकसभा से चुनाव जीते हैं और भूमिहार बिरादरी से आते हैं.
ललन लंबे वक्त से नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के सदस्य हैं. वे बिहार जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.
संजय कुमार झा- 2012 में बीजेपी छोड़ जेडीयू में आए संजय कुमार झा भी नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के प्रमुख सदस्य हैं. झा अभी पार्टी में राज्यसभा के नेता भी हैं. झा को इसी साल फरवरी में जेडीयू ने राज्यसभा भेजा था.वे इससे पहले बिहार सरकार में जल संसाधन और जनसंपर्क जैसे बड़े विभाग के मंत्री रह चुके हैं.
झा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी से की थी, लेकिन साल 2010 के आसपास वह नीतीश के काफी करीब आ गए. शुरुआत में वह नीतीश कुमार के ब्लॉग पोस्ट का मैनेजमेंट करते थे.
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