
डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस.
डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) मुंबई ने करोड़ों रुपए के लग्ज़री फर्नीचर आयात में की गई धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया है. यह घोटाला सुनियोजित ढंग से मूल्य कम बताने (Undervaluation) और गलत घोषणाएं (Misdeclaration) कर कस्टम ड्यूटी से बचने के लिए किया जा रहा था. विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर, DRI अधिकारियों ने कई स्थानों पर छापे मारे, जिनमें व्यापारिक परिसर, गोदाम, फ्रेट फॉरवर्डर, कस्टम ब्रोकर्स और अन्य संबंधित संस्थाएं शामिल थीं.
जांच में एक जटिल नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें डमी आयातकों (IEC धारक), स्थानीय दलाल, विदेशी शेल कंपनियां, फर्जी चालान और कागजातों के जरिए ब्रांडेड लग्जरी फर्नीचर का मूल्य 70% से 90% तक कम करके घोषित किया जा रहा था.
क्या है पूरा मामला?
DRI की अब तक की जांच में यह सामने आया है कि इस पूरे रैकेट का मुख्य लाभार्थी एक प्रसिद्ध पैन-इंडिया लग्जरी फर्नीचर ब्रांड है, जो इटली और यूरोप के अन्य नामी ब्रांड्स से फर्नीचर मंगवा रहा था. लेकिन चालान दुबई स्थित शेल कंपनियों के नाम से बनाए जा रहे थे, जबकि माल सीधे यूरोप से भारत भेजा जा रहा था. साथ ही, सिंगापुर स्थित एक फर्जी मध्यस्थ के माध्यम से अब्रांडेड फर्नीचर के नाम पर कम मूल्य पर चालान बनाकर कस्टम्स में गलत घोषणा की जा रही थी.
आयात क्लियरेंस के बाद, माल कागज़ों में एक स्थानीय बिचौलिये के जरिए असली मालिक तक ट्रांसफर किया जाता था, जबकि वास्तव में माल सीधे उसी को या ग्राहक को पहुंचाया जाता था, जिसके निर्देश पर यह सारा घोटाला हो रहा था.
कस्टम ड्यूटी की चोरी
प्रारंभिक जांच में 30 करोड़ रुपए से अधिक की कस्टम ड्यूटी की चोरी सामने आई है. DRI ने घोटाले में संलिप्त मुख्य लाभार्थी, IEC धारक (डमी आयातक) और स्थानीय बिचौलिये को कस्टम अधिनियम, 1962 की धाराओं के तहत 21 और 22 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया है. इससे पहले मई 2025 में भी DRI ने एक ऐसे ही लग्ज़री फर्नीचर आयात धोखाधड़ी का खुलासा किया था, जिसमें एक फर्जी कंपनी को IEC धारक के रूप में इस्तेमाल कर कम मूल्य पर आयात दिखाया गया था. उस मामले में भी 20 करोड़ रुपए से अधिक की ड्यूटी चोरी और तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई थी.
पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच
DRI अब इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है, जिसमें और भी शेल कंपनियां, डमी IECs, मास्टरमाइंड्स, और वित्तीय लेनदेन शामिल हो सकते हैं. DRI की यह कार्रवाई ऐसे वाणिज्यिक घोटालों पर शिकंजा कसने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो न सिर्फ सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि ईमानदार आयातकों और देशी निर्माताओं के लिए भी अनुचित प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाते हैं.
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