
मुगल शासक अकबर
सितंबर साल 2023 को शायद ही देश में कोई भूल सकता है. जब पूरा देश G-20 की मेजबानी में लगा हुआ था. हर तरफ G-20 का शोर था और मोदी सरकार की विदेशी मेहमानों के सामने देश की एक अलग झलक पेश करने की तैयारी थी. इसी तैयारी से जोडकर मोदी सरकार ने G-20 में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों के लिए भारत-द मदर ऑफ डेमोक्रेसी नाम से एक 38 पन्नों की खास बुकलेट भी छपवाई. यूं तो बुकलेट में कई चीजों का जिक्र था, लेकिन जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा-वो था मुगल शासक अकबर का महिमामंडन. मोदी सरकार ने इस बुकलेट में अकबर की जमकर तारीफ की. इसमें अकबर को महान बताती चार चीजों का खास जिक्र किया गया था.
बुकलेट में इन 4 चीजों का खास जिक्र किया गया था
- अकबर ने धार्मिक भेदभाव के खिलाफ सभी धर्मों को एक समान मानने के एक उपकरण के रूप में सुल्ह-ए-कुली यानी सार्वभौमिक शांति या वैश्विक शांति के सिद्धांत को पेश किया.
- बुकलेट में बताया गया कि, अकबर ने सभी धर्मों को समान तरीके से साथ रख एक समावेशी समाज बनाने के लिए नए समन्वयवादी धर्म का प्रस्ताव रखा जिसे ‘दीन-ए-इलाही’ या ईश्वरीय आस्था के नाम से जाना जाता है.
- अकबर ने खास इबादत खाना (पूजा का घर) की भी स्थापना की, जहां विभिन्न धर्मों, संप्रदायों के ज़हीन लोग मिलते थे और बहस-चर्चा करते थे.
- अकबर के नवरत्नों में हर धर्म के ज्ञानी लोग थे,जो उनकी जन-समर्थक योजनाओं को धरातल पर लागू करने का काम करते थे.
अचानक क्रूर शासक कैसे बन गया अकबर?
डेढ़ साल पहले मोदी सरकार के विचार यहीं नहीं थमते, जिस पर कांग्रेस हमलावर है. वो बुकलेट का हवाला देकर मोदी सरकार को इतिहास से छेड़छाड़ करने वाला बता रही है. पार्टी के मुताबिक, बुकलेट में मोदी सरकार ने ये भी कहा कि, अकबर की लोकतांत्रिक सोच असमान्य और अपने समय से बहुत आगे थी. मगर सवाल तो ये उठ रहा है कि आखिर इस महिमामंडन के डेढ़ साल बीत जाने के बाद क्यों यही अकबर मोदी सरकार को चुभने लगा. आखिर कैसे साल 2023 तक शांति और लोकतंत्र के प्रणेता के साथ धार्मिक भेदभाव को मिटाने वाला शासक अकबर आज साल 2025 में क्रूर शासक और धार्मिक भेदभाव वाला शासक बन गया?
अकबर क्रूर लेकिन सहिष्णु- NCERT किताब
दरअसल, ये सवाल इसलिये उठ रहा है क्योंकि हाल ही में NCERT ने कक्षा आठ की सामाजिक विज्ञान की किताब में कई बड़े बदलाव किए हैं. किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में धार्मिक असहिष्णुता के उदाहरण बताए गए हैं. अकबर को सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण वाला बताया गया है. अब ये बहस सियासी बहस बन चुकी है कि कैसे 1605 में मरा मुगल शासक अकबर मोदी राज के डेढ़ साल में ही अचानक क्रूर और हिन्दू विरोधी कैसे हो गया?
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