बजट से एमएसएमई सेक्टर को है बड़ी आस
देश के छोटे कारोबारी खासकर के सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (MSME) में लगे लोग भारत की जीडीपी में करीब 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं. नए जमाने में अब कई स्टार्टअप्स भी इसी सेक्टर का हिस्सा हैं. ऐसे में वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश होने से पहले इस सेक्टर के लोग चाहते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उनकी कुछ मांगें मान लें.
लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी में सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था. इसलिए अब जुलाई के आखिर तक सरकार वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश कर सकती है. वित्त मंत्री से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक तक सभी ने एमएसएमई सेक्टर की बात सुनी हैं, क्योंकि बेरोजगारी की चुनौती से निपटने में ये सेक्टर काफी मदद कर सकता है.
रोजगार के लिए मंत्रालय ने मांगे 5,000 करोड़
एमएसएमई सेक्टर के लिए सबसे पहली मांग खुद सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय की ओर से की गई है. कुछ दिन पहले ही एमएसएमई मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपए की मांग की है. इस फंड का इस्तेमाल मंत्रालय प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत आवेदनों के निपटारे के लिए करेगा.
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पीएमईजीपी के तहत सरकार खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के माध्यम से स्वरोजगार के लिए रियायती दरों पर बैंक लोन मुहैया कराती है. सरकार ने 2021-2026 के लिए पीएमईजीपी के तहत 13,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया हुआ है. अब मंत्रालय ने अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपए की मांग की है.
कैश फ्लो और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर काम करने की जरूरत
कोविड के बाद के असरों से अब तक जूझ रहे एमएसएमई सेक्टर की एक और बड़ी डिमांड बजट में कैश फ्लो को बेहतर बनाने वाली किसी योजना एवं पॉलिसी को लाने की है. इसमें भी स्टार्टअप्स की फंडिंग का मुद्दा काफी अहम है. वहीं एमएसएमई सेक्टर चाहता है कि सरकार को इस सेगमेंट में भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर ज्यादा काम करना चाहिए.
इंडस्ट्री एक्स्पर्ट और एथिक एडवाइजरी के फाउंडर रतिश पांडे का कहना है कि ईज ऑफ डूइंग के लिए आने वाले बजट में सरकार एमएसएमई सेक्टर के लिए आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रावधान कर सकती है. सरकार उन्हें आईटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में निवेश करने के लिए किए गए खर्च पर टैक्स राहत दे सकती है. इससे उन्हें भविष्य की तकनीक एआई, सप्लाई चेन सिस्टम और सीआरएम इत्यादि को अपनाने में मदद करेगा.
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी एमएसएमई सेक्टर के संगठनों के साथ सोमवार को बैठक करने वाली है. ताकि उनकी जरूरतों को समझ सके. साथ ही यह जान सके कि अगर आरबीआई एमएसएमई के लिए कैश फ्लो बढ़ाने की कोई व्यवस्था करती है, तो उसकी व्यवहारिकता कैसी होगी.
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