आरिफ शेख, श्योपुर। सरकारी स्कूल के हालत जर्जर बने हुए हैं। स्कूल की छत टपक रही है। डर के साए में बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। मामला श्योपुर तहसील के शासकीय प्राथमिक विद्यालय बमोरी जाट का है। जहां स्कूल भवन क्षतग्रस्त होने की कगार पर है। हाल में राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल गिरने की दुर्घटना के बाद परिजन डरे सहमे हैं और बच्चों का स्कूल जाना बंद कर दिया है।
छात्र बोले- राजस्थान की घटना के बाद से स्कूल आने में लगता है डर
इस बारे में शिक्षक बाबूलाल बिसारिया का कहना है कि 25 जुलाई से बच्चों ने स्कूल आना बंद कर दिया है। कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी स्कूल की मरम्मत नहीं करवाई गई। वहीं एक विद्यार्थी का कहना था कि झालावाड़ में 7 बच्चों की मौत की वजह से हम डरे हुए हैं। हमारा स्कूल भी क्षतिग्रस्त हालत में है। इसीलिए हमने स्कूल आना बंद कर दिया।

कटनी में टपकती छत के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे
अनूप दुबे, कटनी (ढीमरखेड़ा)। कटनी जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दादर सिंहुडी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम ऊमरपानी की माध्यमिक शाला में 101 बच्चे पढ़ते हैं। छाहर गांव की प्राथमिक शाला में 49 बच्चे दर्ज हैं। दोनों ही गांव के सरकारी भवन जर्जर हैं। छाहर गांव में एक ही कमरे में प्राथमिक शाला लगाई जा रही है, जहां बच्चों को बैठने में डर लगता है।
बारिश में स्कूल में लगा था करंट
ऊमर पानी माध्यमिक शाला में पिछले वर्ष बारिश के मौसम में भवन में करंट आने लगा था। बच्चों ने बताया कि इस साल भी छत टपकने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जर्जर भवन में डर लगता है। स्कूली बच्चों ने बताया सभी जगह विकास हो रहा है। लेकिन हमारे गांव के स्कूल की समस्या जस की तस है। छात्राओं ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से जल्द से जल्द नए भवन बनाने की मांग की है। शिक्षक वचन सिंह ने बताया कि जर्जर भवन की जानकारी विभागीय स्तर पर अधिकारियों को दी गई है, लेकिन किसी प्रकार का सुधार नहीं हो पाया।

राजस्थान जैसी घटना एमपी में घटने का खौफ
ग्राम पंचायत दादर सिंहुडी के सरपंच पति निरंजन सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम छाहर और ऊमरपानी स्कूल की बिल्डिंग क्षतिग्रस्त है। इसमें विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। राजस्थान झालावाड़ की घटना की पुनरावृत्ति इस क्षेत्र में भी हो सकती है। क्योंकि आदिवासी क्षेत्र के बहुत सारे स्कूल जर्जर स्थिति में संचालित किए जा रहे हैं। जर्जर स्कूलों में कोई भी बड़ी घटना घटित होने की बात को नकारा नहीं जा सकता।
जर्जर भवन में जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे बच्चे, एक कमरे में लग रही तीन क्लास
ढीमरखेड़ा तहसील के ग्राम बांध स्थित सरकारी स्कूल का भी हाल बेहाल है। पुराना भवन होने के कारण जगह-जगह छत से पानी टपक रहा है /बीती चार जुलाई को तेज बारिश के कारण पीछे खिड़की से पानी स्कूल में भर गया था और झरने जैसा नजारा दिखाई दे रहा था। कमरों की हालत खराब होने के कारण शिक्षकों के द्वारा प्राइमरी कक्षाएं दहलान में लगाई जा रही हैं। एक कमरे में माध्यमिक शाला का संचालन किया जा रहा है। जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।

बच्चों ने बताया कि परिजन जर्जर स्कूल में जाने के लिए मना करते हैं। लेकिन बच्चे अपनी जिद के कारण स्कूल आ रहे हैं। जर्जर स्कूल में कभी भी कोई बड़ी घटना घटित होने की बात को नकारा नहीं जा सकता है।
कटनी कलेक्टर दिलीप यादव ने बारिश की शुरुआत में ही जर्जर भवनों में स्कूल और आंगनबाड़ी संचालित न करने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद समस्या ऐसी है कि गांव में दूसरे भवन उपलब्ध नहीं है। मजबूरन शिक्षकों को जर्जर स्कूल भवन में स्कूल संचालित करवाना पड़ रहा है /
जनपद सदस्य पति छत्रपाल सिंह मरावी ने शासन प्रशासन के ऊपर आरोप लगाते हुए राजस्थान झालावाड़ की घटना का भी जिक्र किया और जल्द से जल्द विद्यालय में नवीन भवन दिलवाने की मांग की है। जब तक नए भवन की व्यवस्था नहीं होती, तब तक कही दूसरे भवन में कक्षा संचालित किया जाए।
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