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पुश्तैनी संपत्ति विवाद में सैफ अली खान को झटका, 25 साल पुराना फैसला हुआ रद्द

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Jul 4, 2025    150810 views     Online Now 108
पुश्तैनी संपत्ति विवाद में सैफ अली खान को झटका, 25 साल पुराना फैसला हुआ रद्द

सैफ अली खान

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल रियासत हमीदुल्ला खान की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में ट्रायल कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया है. ट्रायल कोर्ट की तरफ से ये फैसला साल 2000 में सुनाया गया था. कोर्ट ने अब पूरे मामले की नए सिरे से सुनवाई करने की बात कही है. इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को 1 साल के भीतर फैसला सुनाने का आदेश भी दिया है.

इस पूरे मामले में नवाब हमीदुल्ला खान के बड़े भाई के वंशज बेगम सुरैया, कमरताज राबिया सुल्तान एवं अन्य की ओर से अपील दायर की गई थी. इस मामले में पूर्व क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी, शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान, सबा सुल्तान, सोहा अली खान को पक्षकार बनाया गया था.

कोर्ट में दायर याचिका में बाकी वारिसों ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक संपत्ति बंटवारे की मांग उठाई है. इसमें याचिकाकर्ता की तरफ से ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गलत तरीके से मान लिया कि नवाब की निजी संपत्तियां सिंहासन का हिस्सा हैं. इस प्रकार वे स्वत: ही सिंहासन के उत्तराधिकारी को हस्तांतरित हो जाएंगी.

नए सिरे हो पूरे मामले की सुनवाई- हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सैफ अली खान की संपत्तियां मौजूद हैं. उन्हीं को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील के जवाब में कहा कि संपत्तियों का उत्तराधिकार से कोई लेना-देना नहीं है. संपत्तियों का बंटवारा उत्तराधिकार के कानून से ही होगा. यही कारण है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल ट्रायल कोर्ट के 25 साल पुराने फैसले को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही आदेश दिया कि पूरे मामले की सुनवाई नए सिरे से की जाए और अगले एक साल के भीतर फैसला सुनाया जाए.

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हाईकोर्ट ने इसलिए कर दिया फैसला रद्द

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को आधार बनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की तरफ से सुनवाई के दौरान अन्य पहलुओं पर विचार नहीं किया गया है कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला संपत्ति के बंटवारे से जुड़ा हुआ है. इसलिए, सीपीसी के आदेश 14 नियम 23 ए के अनुसार, इन मामलों को नए सिरे से तय करने के लिए ट्रायल कोर्ट में वापस भेजा जाता है.

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