नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार को लेकर देश में हिंसा.
हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रविवार को 10 दिन बाद बहाल कर दी गईं. सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार को लेकर देश में हुई हिंसा के बीच सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि छात्र समूह ने चेतावनी दी है कि अगर उनके नेता रिहा नहीं हुए तो वह एक बार फिर प्रदर्शन करेंगे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) राज्य मंत्री जुनैद अहमद पलक ने घोषणा की कि सेवाएं बहाल होने के बाद तीन दिन तक सभी उपयोगकर्ताओं को 5 जीबी इंटरनेट मुफ्त दिया जाएगा. स्थानीय समयानुसार अपराह्न लगभग तीन बजे मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया गया.
हिंसा बढ़ने के बाद मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद
खबर के अनुसार, ढाका में रॉबी, ग्रामीणफोन, बांग्लालिंक और अन्य ऑपरेटर के उपयोगकर्ताओं ने कहा कि वे अपराह्न तीन बजे के आसपास अपने मोबाइल फोन पर इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं. सरकार ने 18 जुलाई को देशभर में हिंसा बढ़ने के बाद मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया था.
सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें
रिपोर्ट के अनुसार, उस समय मंत्री ने कहा था कि यह निर्णय देश में मौजूदा संकट के मद्देनजर और सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए लिया गया है. सोशल मीडिया मंचों के इस्तेमाल के संबंध में पलक ने कहा कि बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) ने फेसबुक, टिकटॉक और यूट्यूब सहित सोशल मीडिया मंचों के अधिकारियों को पत्र भेजे हैं.
नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन
उन्होंने कहा कि उनके प्रतिनिधियों को स्पष्टीकरण देने के लिए 31 जुलाई तक ढाका आना होगा. फिर, उनके साथ चर्चा करने के बाद हम कोई निर्णय लेंगे. ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्रों ने 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसने हिंसक रूप ले लिया था.
हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत
देशव्यापी हिंसा के बाद इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई थीं. स्थानीय समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार, हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, मौतों के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को हिंसा के बाद कर्फ्यू लगाने का आदेश देने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि लोगों के जीवन और उनकी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए गए. बांग्लादेश में हालांकि बुधवार को स्थिति सामान्य हो गई.
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