ऐतिहासिक शहर ‘मेरठ’
मेरठ, उत्तर प्रदेश का वो ज़िला है जो अपने आप में एक रोचक इतिहास समेटे हुए है. यह पहले स्वतंत्रता संग्राम के लिए तो मशहूर है ही और साथ ही इसका नाता महाभारत काल से भी रहा है. गंगा और यमुना के बीच बसे इस शहर के बारे में कहा जाता है कि त्रेता युग में राक्षसराज रावण के ससुर मय दानव ने इसे बसाया था और तब इसका नाम था मयराष्ट्र, यानि मय का प्रदेश. फिर एक बार पुरातत्व विभाग की खुदाई के बाद पता चला कि ये शहर प्राचीन ऐतिहासिक नगर हस्तिनापुर का अवशेष है. वही हस्तिनापुर जो महाभारत काल में कौरवों-पांडवों की राजधानी हुआ करती थी.
इतना ही नहीं मौर्य सम्राट अशोक के राज में मेरठ बौद्ध धर्म का केंद्र था तो मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में यहां तांबे के सिक्कों की टकसाल हुआ करती थी. शहर पर पहला बड़ा आक्रमण मोहम्मद गौरी ने 1192 में किया था जबकि तैमूर लंग ने 1398 में यहां हमला बोला. इन हमलों से मेरठ कुछ बिखरा ज़रूर था लेकिन जल्दी ही संभलकर निखरता चला गया.
आजादी का पहला बिगुल बजा था यहां
ब्रिटिश हुकूमत के वक्त मेरठ सेना का बड़ा केंद्र था. 10 मई, 1857 को अंग्रेजी शासन के खिलाफ ब्रिटिश सेना के भारतीय जवानों का विद्रोह इसी शहर से शुरू हुआ. स्वतंत्रता के इन सेनानियों ने मेरठ शहर पर एक दिन में ही कब्जा कर लिया और अगले दिन तक दिल्ली का लाल किला भी इनके कब्जे में था जिसका मतलब था लगभग पूरे देश पर कब्जा होना. इस अभियान में इन पहले स्वतंत्रता सेनानियों को आम देशवासियों का भी पूरा साथ मिला.
मेरठ से निकली ये चिंगारी जल्दी ही ज्वाला बनकर पूरे देश में फैल गई और स्वतंत्रता के लिए लोगों ने ऐसा संघर्ष शुरु किया कि अंग्रेजों को करीब एक साल का समय लग गया इस विद्रोह की आवाज को दबाने में. उस वक्त उठी आवाज दब तो गई लेकिन इस स्वतंत्रता आंदोलन की गूंज देशवासियों के कानों में गूंजती रही. बाद में जब एक बार फिर से देश को आजाद करवाने के लिए लोग एकजुट होने लगे तो इस आंदोलन से लोगों को प्रेरणा मिली.
बदलते वक्त के साथ बदला शहर
दिल्ली से नजदीक होने के कारण मेरठ में बहुत जल्दी कई बड़े बदलाव होते रहे. सड़क मार्ग और रेल मार्ग से इसका जुड़ाव बेहतरीन है जिससे यहां आना-जाना या यहां रहना सबके लिए सुगम है. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे इसे दिल्ली के और करीब लाता है, साथ ही यहां मेट्रो की शुरुआत भी जल्दी ही होने वाली है.
मेरठ की चीनी मिलें और यहां बनने वाले खेलों के सामान इसे अलग पहचान दिलाते हैं. यहां बनने वाले क्रिकेट बैट्स दुनिया भर में मशहूर हैं. महेंद्र सिंह धोनी से लेकर सचिन तेंदुलकर तक कई बड़े क्रिकेटर मेरठ में बने बैट्स से खेलना पसंद करते हैं. साथ ही इन उद्योगों की वजह से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है.
पर्यटन के लिए मशहूर मेरठ
इस ऐतिहासिक शहर में घूमने के लिए कई जगहें हैं. भगवान शिव के औघड़नाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि 1857 में मंगल पांडे और उनके साथियों ने इसी मंदिर से अपनी क्रांति की शुरुआत की थी. मेरठ-बिजनौर रोड से जुड़ा हुआ हस्तिनापुर अपने-आप में कई ऐतिहासिक दास्तानों को समेटे हुए है. उत्तर भारत के सबसे पुराने चर्चों में से एक सेंट जॉन चर्च भी मेरठ में ही मौजूद है. इसके अलावा सूरजकुंड पार्क और पांडव मंदिर भी यहां के दर्शनीय स्थलों में शुमार है.
मेरठ की पहचान को आगे बढ़ाने में एक मेले का भी बड़ा योगदान है और वो है नौचंदी मेला. ये मेला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है. हज़रत बाले मियां की दरगाह और नवचण्डी देवी का मंदिर आस-पास मौजूद हैं. यहां मंदिर के घंटे और अज़ान की आवाज़ एक साथ सुनाई देती है जो अपने-आप में बेहद अनूठा लगता है. नौचंदी मेला चैत्र महीने की नवरात्रि से एक हफ्ते पहले शुरु होता है और एक महीने तक चलता है.
मेरठ मंडल उत्तर प्रदेश के 18 प्रशासनिक मंडलों में से एक है. इस मंडल में छह जिले शामिल हैं, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और हापुड़. दिल्ली से 72 किलोमीटर दूर मौजूद मेरठ में पांच विश्वविद्यालय के अलावा कई महाविद्यालय और स्कूल हैं. ये उत्तर प्रदेश के तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्रों में से एक है.
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