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Bhuteshwar Mahadev Temple : कोतवाल के रूप में शिव का वास, जानिए मथुरा के भूतेश्वर महादेव मंदिर की अद्भुत कथा

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Jul 15, 2025    150821 views     Online Now 112
Bhuteshwar Mahadev Temple : कोतवाल के रूप में शिव का वास, जानिए मथुरा के भूतेश्वर महादेव मंदिर की अद्भुत कथा

भूतेश्वर महादेव मंदिर

Bhuteshwar Mahadev Temple : श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, जहां कदम-कदम पर राधे-राधे की गूंज सुनाई देती है, वहीं इस पावन भूमि पर भगवान भोलेनाथ भी भूतेश्वर महादेव के रूप में कोतवाल बनकर विराजमान हैं. सावन मास के आगमन के साथ ही पूरी नगरी में जहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के जयकारे लग रहे हैं, वहीं हर तरफ भोलेनाथ के जयघोष भी गूंज रहे हैं. मथुरा में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है और इसकी महिमा का बखान सदियों से किया जाता रहा है.

श्रीकृष्ण की नगरी के रक्षक, भूतेश्वर महादेव

उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर के भूतेश्वर चौराहे पर स्थित यह मंदिर सिर्फ एक शिवालय नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की नगरी का रक्षक स्थल माना जाता है. मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और उन्होंने कंस का वध किया, तब उन्होंने मथुरा और बृजवासियों की रक्षा के लिए भगवान शिव को इस नगरी का कोतवाल नियुक्त किया. तभी से भोलेनाथ यहां भूतेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं.

मंदिर की प्राचीनता और रहस्य

इस मंदिर को लेकर विभिन्न मान्यताएं प्रचलित हैं. कुछ इतिहासकार और श्रद्धालु इसे लगभग 400-500 वर्ष पुराना मानते हैं, जबकि कई लोगों का दावा है कि यह मंदिर 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना है. एक किंवदंती के अनुसार, तारकासुर नामक राक्षस ने यहीं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी.

पौराणिक कथा के अनुसार

एक और प्रचलित कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन से मथुरा लौटे, तो उन्हें अपने माता-पिता के वचनों के अनुसार चार धाम यात्रा करनी थी. लेकिन, उन्होंने सभी देवी-देवताओं को ब्रज में ही आमंत्रित किया. इसी क्रम में, भगवान भोलेनाथ ने काशी विश्वनाथ के रूप में ब्रज में भूतेश्वर महादेव के रूप में विराजमान होने की बात कही. इसके बाद, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं भगवान भोलेनाथ को ब्रज का कोतवाल नियुक्त किया, ताकि वे यहां की सुरक्षा कर सकें.

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52 शक्तिपीठों में से एक

भूतेश्वर महादेव मंदिर की एक अन्य खास बात यह है कि यह भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. यही नहीं, इस मंदिर के भूमिगत गर्भगृह में पाताल देवी का वास भी है, जहां माना जाता है कि कभी कंस ने भी पूजा अर्चना की थी.

पूजा का विशेष महत्व

सावन मास में इस मंदिर में विशेष पूजा और रुद्राभिषेक होते हैं. श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, चंदन और दूध चढ़ाकर भगवान से अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहां आराधना करता है, उसकी हर मनोकामना अवश्य पूरी होती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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