
(स्क्रीन शॉट)
मणिपुर में राज्य परिवहन की बस पर से मणिपुर नाम हटाने का मुद्दा गरमा गया है. मैतेई समूह ने रविवार से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है. इस बीच मैतेई समूहों के संयुक्त मंच COCOMI का 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार (27 मई) को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात करेगा. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल राज्य परिवहन की बस पर से मणिपुर नाम हटाने के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगा.
COCOMI (मणिपुर की अखंडता पर समन्वय समिति) के संयोजक खुरैजम अथौबा का कहना है कि बैठक के एजेंडे में ग्वालटाबी घटना पर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और मुख्य सचिव, डीजीपी एवं सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग शामिल है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और COCOMI के बीच बातचीत जारी है. गृह मंत्रालय ने COCOMI को एक विशेष बैठक के लिए आमंत्रित किया है, जो मंगलवार को होगी.
3 अधिकारियों के इस्तीफे की मांग
COCOMI के संयोजक अथौबा ने कहा कि हमारा मकसद दीर्घकालिक संकट के संबंध में लंबित राजनीतिक और सुरक्षा प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाना है. हालांकि हाल ही में ग्वालटाबी की घटना और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई सार्वजनिक अशांति के मद्देनजर अब एजेंडा का विस्तार हो गया है. अथौबा ने शीर्ष 3 अधिकारियों के इस्तीफे या उनके स्थानांतरण की मांग को दोहराते हुए दावा किया कि उन्हें अक्षम और राज्य विरोधी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है जिसकी वजह से हालात और बिगड़ गए हैं.
प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प
इधर राजधानी इंफाल में राजभवन का घेराव करने जा रहे प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच रविवार को झड़प हो गई. ये प्रदर्शनकारी सरकारी बस से राज्य का नाम हटाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. COCOMI द्वारा बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के आह्वान पर प्रदर्शनकारी ख्वाइरामबंद में एकत्र हुए और सुरक्षाबलों द्वारा रोके जाने से पहले लगभग 500 मीटर तक रैली निकाली.
राज्य परिवहन की बस से हटाया मणिपुर का नाम
दरअसल यह विरोध प्रदर्शन 20 मई को उखरुल जिले में शिरुई महोत्सव के लिए जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस से मणिपुर शब्द हटाने के निर्देश देने के बाद हुआ है. सुरक्षा बलों ने मंगलवार 20 मई को उखरुल जिले में ‘शिरुई लिली’ उत्सव की रिपोर्टिंग करने के लिए पत्रकारों को ले जा रही एक सरकारी बस को कथित तौर पर रोक दिया था और सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय ( DIPR) के अधिकारियों को खिड़की पर लिखे राज्य के नाम को सफेद कागज से छिपाने के लिए मजबूर किया था. जिससे लोगों में भारी नाराजगी है.
इधर मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए 2 सदस्यीय जांच समिति गठित की है. वहीं मेइती समूह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा माफी मांगने से इनकार करने के विरोध में रविवार से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है.
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